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    ये सात बड़े रोड प्रोजेक्ट झारखंड की प्रगति को देंगे रफ्तार, सुगम होगी connectivity, खिलखिलाएगा Tourism

    Updated: Fri, 22 Aug 2025 07:00 AM (IST)

    झारखंड के सात बड़े रोड प्रोजेक्ट प्रगति को रफ्तार देंगे। बड़े रोड प्रोजेक्ट दिल्ली-कोलकाता और रांची-पटना कनेक्टिविटी से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। विकास से अछूते गढ़वा पलामू समेत कोडरमा हजारीबाग और संताल में आर्थिक विकास की रफ्तार बढ़ेगी। 1523 किलोमीटर लंबी दिल्ली-कोलकाता सिक्स लेन परियोजना जून 2026 तक पूरी होगी।

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    झारखंड की प्रगति को रफ्तार देंगे सात बड़े रोड प्रोजेक्ट।

    प्रदीप सिंह, रांच। Jharkhand में सात प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं राज्य के विकास को नई गति प्रदान करने के लिए तैयार हैं।

    इनमें रांची-बनारस इकोनोमिक कारिडोर, रायपुर-धनबाद, दिल्ली-कोलकाता सिक्स लेन, रांची-पटना, देवघर-बासुकीनाथ, महगामा-हंसडीहा और साहिबगंज-गंगा ब्रिज शामिल हैं।

    ये परियोजनाएं दिल्ली, कोलकाता, पटना और रायपुर से connectivity को सुगम बनाएंगी जिससे यात्रा समय में भारी कमी आएगी। ये सड़कें आवागमन को आसान बनाएंगी।

    साथ ही विकास से अछूते गढ़वा, पलामू, कोडरमा, हजारीबाग और संताल परगना क्षेत्र में आर्थिक विकास, पर्यटन और खनिज लाजिस्टिक्स को भी बढ़ावा देंगी।

    ये परियोजनाएं झारखंड को कनेक्टिविटी और आर्थिक विकास के नए दौर में ले जाएंगी। समय और लागत में कमी के साथ-साथ ये सड़कें राज्य की प्रगति को शानदार रफ्तार देंगी।

    इलाके की आर्थिकी में जबरदस्त उछाल

    सड़कें संपर्क के साथ-साथ तेज विकास में सहायक होती है। ज्यादातर परियोजनाएं अगले वर्ष तक पूरी हो जाएगी। जिन क्षेत्रों से ये सड़कें निकली हैं, वहां के जमीन का मोल भी काफी ज्यादा मिला।

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    स्थिति यह है कि जमीन अब खोजने से नहीं मिलती। पूर्व के मुकाबले चार गुना तक रेट में उछाल आया है। जो परियोजना का कार्य 80 फीसद से अधिक हो चुका, वहां जनसुविधा और लाइफ स्टाइल भी बदला है।

    रांची-बनारस कारिडोर : 12 घंटे की यात्रा महज साढ़े चार घंटे में

    रांची-बनारस इकोनोमिक कारिडोर का 60 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। 413 किलोमीटर लंबी यह फोरलेन सड़क जनवरी 2028 तक तैयार होगी, जिसकी लागत 13 हजार करोड़ रुपये है।

    झारखंड में इसकी लंबाई 253 किलोमीटर होगी, जिसपर आठ हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस सड़क के बनने से रांची से बनारस की 12 घंटे की यात्रा मात्र साढ़े चार घंटे में पूरी होगी।

    गढ़वा, पलामू, लातेहार और लोहरदगा जैसे क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। बाबा बंसीधर मंदिर की कनेक्टिविटी भी बेहतर होगी। इस कारिडोर में कुछ स्थानों पर फारेस्ट क्लीयरेंस बाकी है।

    रायपुर-धनबाद परियोजना : 16 घंटे की यात्रा आठ घंटे में

    626 किलोमीटर लंबी रायपुर-धनबाद परियोजना का 77% काम पूरा हो चुका है। 18 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना में झारखंड में 238 किलोमीटर सड़क बनेगी, जिस पर आठ हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।

    इसमें 90 किलोमीटर ग्रीनफील्ड सड़क शामिल है। यह सड़क 16 घंटे की यात्रा को आधा कर देगी। गोला, ओरमांझी और हुंडरू फाल जैसे स्थानों की कनेक्टिविटी बढ़ेगी, जिससे औद्योगिक और पर्यटन विकास को बल मिलेगा। इसे एक्सेस कंट्रोल मार्ग बनाने का प्रस्ताव भी है।

    दिल्ली-कोलकाता सिक्स लेन - 30 घंटे की बजाय सिर्फ 14 घंटे

    1523 किलोमीटर लंबी दिल्ली-कोलकाता सिक्स लेन परियोजना जून 2026 तक पूरी होगी। झारखंड में 146 किलोमीटर सड़क बनेगी, जिसकी लागत छह हजार करोड़ रुपये है।

    चौपारण, बरही और बरकट्ठा में फ्लाईओवर और 26 अंडरपास का निर्माण हो रहा है। एक रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) भी बनाया जा रहा है। यह सड़क 30 घंटे की यात्रा को 14 घंटे में समेट देगी, जिससे व्यापार और आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी।

    रांची-पटना फोरलेन, साहिबगंज ब्रिज से होगा क्षेत्रीय विकास 

    323 किलोमीटर लंबी रांची-पटना फोरलेन परियोजना का 88 फीसद काम पूरा हो चुका है। दिसंबर 2027 तक पांच हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाली यह सड़क रांची, हजारीबाग, बरही और कोडरमा को पटना से जोड़ेगी।

    कोडरमा और झुमरी तिलैया में पर्यटन, साथ ही रजरप्पा मंदिर की कनेक्टिविटी बेहतर होगी। इससे खनिज लाजिस्टिक्स की लागत भी कम होगी। देवघर-बासुकीनाथ (34 किमी) और महगामा-हंसडीहा फोर-लेन मार्ग क्रमशः 61 प्रतिशत और 100 प्रतिशत पूरे हो चुके हैं।

    दोनों 1500-1500 करोड़ रुपये की लागत से दिसंबर 2025 तक तैयार हो जाएंगे। ये सड़कें बाबा वैद्यनाथ धाम और कांवड़ियों की यात्रा को सुगम बनाएंगी।

    साहिबगंज-गंगा ब्रिज (27 किमी) का 77 फीसद काम पूरा हो चुका है। दो हजार करोड़ रुपये की लागत से बन रहा यह ब्रिज संताल परगना क्षेत्र को बिहार से जोड़ेगा।

    इलाके की आर्थिकी में जबरदस्त उछाल

    सड़कें संपर्क के साथ-साथ तेज विकास में सहायक होती है। ज्यादातर परियोजनाएं अगले वर्ष तक पूरी हो जाएगी। जिन क्षेत्रों से ये सड़कें निकली हैं, वहां के जमीन का मोल भी काफी ज्यादा मिला।

    जमीनअब खोजने से नहीं मिलती। पूर्व के मुकाबले चार गुना तक रेट में उछाल आया है। जो परियोजना का कार्य 80 फीसद से अधिक हो चुका, वहां जनसुविधा और लाइफ स्टाइल भी बदला है।