Move to Jagran APP

झारखंड के खरसावां की हल्दी को आज देश स्तर पर मिलेगा दिल्ली में सम्मान

अवार्ड फार इनोवेटिव प्रोडक्ट आइडियाज सम्मान के लिए चयनित। झारखंड के ल‍िए यह गर्व की बात है। झारखंड समेत देश के आठ राज्यों के दस प्रोडक्ट किए गए हैं चयनित। पिछले दिनों ही लांच की गई थी विशेष गुणों वाली यह हल्दी।

By M EkhlaqueEdited By: Published: Fri, 06 Aug 2021 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 06 Aug 2021 06:00 AM (IST)
झारखंड के खरसावां की हल्दी को आज देश स्तर पर मिलेगा दिल्ली में सम्मान
सरायकेला खरसावां जिले के खरसावां प्रखंड के रायजेमा गांव की हल्दी

रांची (संजय कृष्ण)। झारखंड के सरायकेला खरसावां जिले के खरसावां प्रखंड के रायजेमा गांव की हल्दी कई गुणों से भरपूर है। यह गांव पिछले साठ वर्षों से आर्गेनिक हल्दी उत्पादित करता आ रहा है। पारंपरिक बाजारों में पइला (मापने वाला कटोरा) से बेचता आ रहा है। लेकिन अब न केवल केवल इस गांव का आर्थिक स्वास्थ्य बेहतर होगा, बल्कि देश का स्वास्थ्य भी। शुक्रवार को नई दिल्ली में आदिवासी मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुुंडा इस हल्दी को 'अवार्ड फार इनोवेटिव प्रोडक्ट आइडियाज' से नवाजेंगे। देश के आठ राज्यों के दस प्रोडक्ट चयनित किए गए हैं। इसमें झारखंड से यह हल्दी शामिल है। इसके अलावा पश्‍च‍िम बंगाल, असम, नगालैंड, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, ओडिशा व महाराष्ट्र के प्रोडक्ट शामिल हैं।

loksabha election banner

इस हल्दी में 7.01 प्रतिशत करक्यूमिन

राज्य खाद्य जांच प्रयोगशाला, नामकुम में इसी अप्रैल में खरसावां हल्दी की जांच की गई तो इसके पावडर में 7.01 प्रतिशत करक्यूमिन पाया गया। जबकि सामान्य तौर पर दो प्रतिशत पाया जाता है। करक्यूमिन (ब्रोकेन) व (होल) भी 3.55 प्रतिशत मिला है।

क्या है करक्यूमिन

हल्दी पाउडर में एक मुख्य यौगिक होता है जिसे करक्यूमिन कहा जाता है। करक्यूमिन एक तरह का रसायन है। इसका यह विशेष गुण है। इसका इस्तेमाल त्वचा संबंधी उत्पादों के निर्माण में किया जाता है। साथ ही यह हमारे शरीर में कोशिकाओं को नष्ट होने से बचाता है। एंटीऑक्सीडेंट कैंसर और दिल संबंधी रोगों में भी यह लाभप्रद है। करक्यूमिन मांसपेशियों में होने वाले तनाव तथा अकडऩ को दूर करने में मदद पहुंचाता है। करक्यूमिन ज़ुकाम, खांसी और कफ बनाने वाले कीटाणुओं को नष्ट करने में मदद करता है। कोरोना काल में इसका उपयोग काफी बढ़ गया है। डा. सुरेश अग्रवाल कहते हैं कि हल्दी से लीवर भी स्वस्थ रहता है। इसका कई तरह से उपयोग किया जा सकता है।

ट्राइफेड ने इस उत्पाद को दिया व्यापक बाजार

रायजेमा व आसपास के गांवों की करीब दो हजार महिलाएं पिछले साठ वर्षों से इस हल्दी की खेती आर्गेनिक तरीके से करती आ रही हैं। स्थानीय बाजार में पइला 40 से 80 रुपये की दर से कच्चा बेच देती थीं। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने इस दिशा में पहल की और ट्राइफेड को इस दिशा में काम करने के लिए कहा। नतीजा सामने है। ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक प्रवीर कृष्ण कहते हैं कि मंत्री की पहल से आज हजारों महिलाओं की जिंदगी बदलने जा रही है। इसे और व्यापक बनाया जाएगा। अब उनके उत्पाद का सही दाम भी मिलेगा। ट्राइफेड के क्षेत्रीय प्रबंधक (रांची) शैलेंद्र कुमार राजू ने बताया कि गांव में भी इसकी प्रोसेसिंग से लेकर पैंकिंग की जा रही है। सारी व्यवस्था ट्राइफेड की ओर से की गई है। इससे लोगों को रोजगार मिल रहा है। देश में ट्राइफेड के जितने भी आउटलेट हैं, वहां इसकी बिक्री हो रही है। आनलाइन भी इसकी मांग है। 100 ग्राम की कीमत 35 रुपये है। 250 ग्राम की कीमत 80 रुपये व 700 ग्राम की कीमत 190 रुपये। पिछले दिनों ही इसकी लांचिंग की गई थी। अब इसे 'अवार्ड फार इनोवेटिव प्रोडक्ट आइडियाज' मिल रहा है। यह झारखंड के लिए गर्व की बात है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.