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    सीयूजे की शोधकर्ता ने जल प्रदूषण रोकने और टिकाऊ खेती का निकाला समाधान, बताए इसके फायदे

    Updated: Wed, 03 Sep 2025 11:45 PM (IST)

    सेंट्रल युनिवर्सिटी आफ झारखंड की पीएचडी शोधार्थी जाएरा खालिद ने जलीय मास श्रेणी के जलीय पौधे पर अध्ययन से जल प्रदूषण और टिकाऊ खेती का समाधान निकाला है। उन्होंने जलीय मास टैक्सीफाइलम बारबियरी जैसे पौधे की खोज की है जो कि छोटे बिना फूल वाले पौधे होते हैं । ये नम जगहों पर अच्छी तरह से उगने वाले पौधे हैं।

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    सीयूजे की शोधकर्ता ने जलीय मास पर अध्ययन से जल प्रदूषण और टिकाऊ खेती का समाधान निकाला है।

    कुमार गौरव, रांची। सेंट्रल युनिवर्सिटी आफ झारखंड में शोध कार्यों को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। हाल ही में सीयूजे की पीएचडी शोधार्थी जाएरा खालिद ने जलीय मास श्रेणी के जलीय पौधे पर अध्ययन से जल प्रदूषण पर रोक और टिकाऊ खेती का समाधान निकाला है।

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    उन्होंने जलीय मास टैक्सीफाइलम बारबियरी जैसे पौधे की खोज की है, जो कि छोटे, बिना फूल वाले पौधे होते हैं । ये नम जगहों पर अच्छी तरह से उगने वाले पौधे हैं।

    ये पानी को रोकने, मिट्टी को स्थिर रखने और पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए लाभकारी होते हैं। टैक्सीफाइलम बारबियरी, घरों और एक्वेरियम में सजावटी पौधे के रूप में उपयोग किए जाते हैं।

    ये पानी, मिट्टी के साथ आसपास की हवा की गुणवत्ता सुधारने में भी मददगार होते हैं। इस गैर पुष्पीय पौधे में मूलाभास होते हैं जो उन्हें पानी और पोषक तत्वों को सीधे अवशोषित करने में मदद करते हैं।

    ये एक्वैरियम के लिए सजावटी पौधे के रूप में कार्य करते हैं, पानी को आक्सीजन युक्त रखते हैं और मछलियों के लिए आश्रय प्रदान करते हैं। जलीय मास पानी में कणों को अवशोषित कर पानी की गुणवत्ता में सुधार करते हैं।

    सतत पर्यावरणीय प्रबंधन में मिलेगी मदद 

    इस अध्ययन में यह देखा गया कि पोषक तत्वों की मात्रा, डिजाल्व्ड इन-आर्गेनिक कार्बन और रोशनी की उपलब्धता, टी. बारबियरी के विकास और उसके पिगमेंट उत्पादन को कैसे प्रभावित करते हैं।

    परिणामों में पाया गया कि संतुलित पोषक तत्व आपूर्ति मास की अच्छी वृद्धि और पिगमेंट विकास के लिए आवश्यक है। सबसे अच्छे परिणाम तब मिले जब पोषक माध्यम में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम शामिल थे।

    जो कि मिट्टी उर्वरता बढ़ाने के लिए बेहतर विकल्प हैं। इसकी सस्ती उपज से फाइटोरेमेडिएशन (प्राकृतिक तरीके से प्रदूषण की सफाई) और बायो-ऊर्जा उत्पादन की संभावनाएं भी खुलती हैं।

    यह अध्ययन मास की वृद्धि को अधिकतम करने के लिए व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान करता है और सतत पर्यावरणीय प्रबंधन में इसके संभावित योगदान को दर्शाता है।

    शोधार्थी जाएरा खालिद ने पर्यावरण विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. भास्कर सिंह के मार्गदर्शन में एक यह शोध कार्य किया है। यह शोध जर्नल आफ ब्रायोलाजी नामक एससीआइ-इंडेक्स पत्रिका में प्रकाशित होने के लिए स्वीकार किया गया है। इस शोध में जलीय मास को प्रभावी ढंग से उगाने के तरीके बताए गए हैं।

    यह भी दिखाया गया है कि यह मास प्रदूषित पानी की जांच और सफाई में मदद कर सकता है। अध्ययन मानव गतिविधियों से उत्पन्न पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान देने में उपयोगी है। इसके लिए उन्हें प्रतिष्ठित वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद् वरिष्ठ अनुसंधान छात्रवृत्ति (सीएसआइआर-एसआरएफ) डायरेक्ट फेलोशिप भी प्रदान की गई है।

    क्या है जलीय मास पौधा 

    जलीय मास एक प्रकार का छोटा, गैर-पुष्पीय पौधा है जो मीठे पानी के वातावरण, जैसे नदियों, तालाबों और एक्वैरियम में उगता है। इन मास में वास्तविक जड़ें नहीं होतीं बल्कि इनमें मूलाभास होते हैं जो उन्हें सतहों से चिपके रहने और पोषक तत्व अवशोषित करने में मदद करते हैं।

    जलीय मास एक्वैरियम में पानी की गुणवत्ता में सुधार करने, मछलियों और अन्य जलीय जीवों को शिकारियों से छिपाने के लिए एक सुरक्षित स्थान प्रदान करते हैं और एक प्राकृतिक सौंदर्य जोड़ने के लिए उपयोग किया जाता है।

    इस गैर पुष्पीय पौधे में मूलाभास होते हैं जो उन्हें पानी और पोषक तत्वों को सीधे अवशोषित करने में मदद करते हैं। ये एक्वैरियम के लिए सजावटी पौधे के रूप में कार्य करते हैं, पानी को आक्सीजन युक्त रखते हैं और मछलियों के लिए आश्रय प्रदान करते हैं। जलीय मास पानी में कणों को अवशोषित कर पानी की गुणवत्ता में सुधार करते हैं।

    शोध में यह परखा गया कि जलीय मास अधिक पोषक तत्वों की मौजूदगी में कितना सहन कर सकता है। अक्सर कृषि अपशिष्ट और गंदे पानी से मिट्टी में अशुद्ध तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है। टी. बारबियरी की सहनशीलता एक अच्छा बायो-मानिटरिंग टूल और प्राकृतिक बायोफिल्टर बनाती है।

    - जाएरा खालिद, शोधार्थी, सीयूजे।

    जलीय मास समूह के कई पौधे हैं लेकिन टैक्सीफाइलम बारबियरी जैसे पौधे की खोज जल व वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में आशा की किरण है। इस पौधे पर अभी और रिसर्च किए जाने की आवश्यकता है ताकि इसके गुणों को और सरलता के साथ सामने लाया जा सके।

    -डा. भास्कर सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, पर्यावरण विज्ञान विभाग, सीयूजे।

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