पिता की बनाई अपराध की जमीन पर आतंक की फसल काट रहा था अमन, पूछताछ में रवि सरदार को बताया गिरोह का कर्ताधर्ता
झारखंड पुलिस की आतंकवाद निरोधक दस्ता सहित विभिन्न जांच एजेंसियों ने छह दिनों तक श्रीवास्तव गिरोह के प्रमुख अपराधी अमन श्रीवास्तव से पूछताछ की जिसमें उसने कई अहम खुलासे किए। उसने बताया कि गिरोह का असली कर्ताधर्ता रवि सरदार है जो अभी फरार है।
राज्य ब्यूरो, रांची। मुंबई से एटीएस के हाथों गिरफ्तार श्रीवास्तव गिरोह के प्रमुख अपराधी अमन श्रीवास्तव को बुधवार को कोर्ट में प्रस्तुत करने के बाद न्यायिक हिरासत में रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में भेज दिया गया है।
पिता की मौत के बाद अमन ने संभाली थी गिरोह की कमान
उससे झारखंड पुलिस की आतंकवाद निरोधक दस्ता सहित विभिन्न जांच एजेंसियों ने छह दिनों तक पूछताछ की है। उसने पूछताछ में बताया है कि उसके पिता व श्रीवास्तव गिरोह के गैंगस्टर सुशील श्रीवास्तव की दो जून 2015 को हजारीबाग कोर्ट परिसर में हुई हत्या के बाद उसने गिरोह की कमान संभाली थी। पिता की बनाई अपराध की जमीन पर ही वह आतंक की फसल काट रहा था।
गिरोह का असली कर्ताधर्ता अमन नहीं, रवि सरदार
पहले से जहां-जहां से लेवी-रंगदारी मिल रहे थी, वे जारी रही। सुशील श्रीवास्तव के गुर्गे अब उसके लिए काम करने लगे थे। कई पकड़े भी गए थे। उसने यह भी बताया कि वह तो नाम भर का गिरोह का प्रमुख था। गिरोह का असली कर्ताधर्ता रवि सरदार है, जो अभी फरार है। पूर्व में उसके कई सहयोगियों के जेल जाने के बाद लेवी वसूली में कमी आई थी।
अमन ने लेवी को लेकर दी एटीएस को अहम जानकारी
उसके खासमखास शिव शर्मा, मुकेश सिंह जैसे कुख्यात अपराधी अभी जेल में हैं। पूर्व में गिरफ्तार उसके भाई व बहनोई सहित कई अन्य सहयोगी वर्तमान में जमानत पर हैं। उसने एटीएस को अपने लेवी के स्रोत व लेवी की राशि से संबंधित कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी दी हैं।
मना करने के बावजूद हरदेव कंस्ट्रक्शन पर हुई थी फायरिंग: अमन
एटीएस की पूछताछ में अमन ने बताया है कि पतरातू में गत दो मई को रेलवे निर्माण में लगी हरदेव कंस्ट्रक्शन कंपनी के साइट पर फायरिंग के पीछे उसका कोई हाथ नहीं है। लेवी के लिए कंपनी को कहा गया था, जिसे जिम्मेदारी मिली थी, उसे फायरिंग नहीं करने के लिए आदेश दिया गया था। इसके बावजूद उसने फायरिंग की थी।
इस मामले में एक सप्ताह के भीतर ही पतरातू पुलिस ने बेगूसराय निवासी दो आरोपितों सन्नी कुमार व ब्रजेश कुमार को गिरफ्तार किया था। दोनों ने स्वीकारा था कि अमन श्रीवास्तव के कहने पर ही उन लोगों ने उक्त घटना को अंजाम दिया था।
रंगदारी के लिए टेलीग्राम एप का प्रयोग
झारखंड एटीएस ने महाराष्ट्र एटीएस के सहयोग से ही अमन श्रीवास्तव को गत 15 मई को नवी मुंबई स्थित वासी रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था। अमन श्रीवास्तव को पकड़ना आसान भी नहीं था। आठ साल पुरानी तस्वीर के सहारे एटीएस उसे खोज रही थी। पिछले पांच महीने से तकनीकी स्रोत से उसके आने-जाने की जानकारी मिली। इसके बाद संबंधित रेलवे स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज को भी एटीएस खंगालती रही।
अमन को पकड़ने के लिए एटीएस को करनी पड़ी कड़ी मशक्कत
इसी क्रम में कुछ संदिग्ध चेहरे मिले, जिसे महाराष्ट्र एटीएस ने झारखंड एटीएस को भेजा था। उसके माध्यम से उसे पहचानने की कोशिश होती रही। एटीएस ने पाया कि नवी मुंबई में वासी रेलवे स्टेशन से उतरने के बाद वह खारघर रेलवे स्टेशन जाता था। वहां से चेंबूर पहुंचने के लिए आटो रिक्शा का इस्तेमाल करता था।
चेंबूर से दादर रेलवे स्टेशन के लिए वह टैक्सी किराए पर लेता था। दादर से ट्रेन से गुजरात के बड़ौदा जाता था। यह आए दिन वह करता था। जब एटीएस उसके इस रूट को लेकर आश्वस्त हो गई, तब उसी अनुसार जाल बिछाई गई, जिसमें वह पकड़ा गया। वह नकली मतदाता पहचान पत्र का उपयोग करके बड़ौदा व राजस्थान में रहता था। वह लेवी मांगने के लिए टेलीग्राम एप का उपयोग करता था।