शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव ने हटिया गढ़ को बनाया था राजधानी
रांची अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव का 163 वा शहादत दिवस पर बुधवार क
जागरण संवाददाता, रांची : अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव का 163 वा शहादत दिवस पर श्रद्धासुमन अर्पित किया जाएगा। मानवता, सद्भाव और मातृभूमि की रक्षा के लिए प्राण न्यौछावर करनेवाले इस वीर की जीवन गाथा मौजूदा दौर में भी प्रासंगिक है। विश्वनाथ शाहदेव का जन्म 12 अगस्त 1817 में हुआ था। ठाकुर रघुनाथ शाहदेव के निधन के बाद सतरंजी गढ़ में ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव का राज्याभिषेक किया गया। इन्होंने हटिया गढ़ को राजधानी बनाकर बड़कागढ़ राज्य का संचालन आरम्भ किया। इन्होंने 1856 में उन्होंने बंगाल के तत्कालीन गवर्नर को पत्र लिखकर साफ़ कह दिया कि अब विद्रोह के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।
एक अगस्त 1857 को छोटानागपुर में पहली बार रामगढ़ छावनी में सिपाहियों ने माधो सिंह,नादीर अली, जयमंगल पाण्डेय के नेतृत्व में विद्रोह कर दिया। दो अगस्त 1857 को राची की डोरंडा छावनी पहुंचकर यहा भी विद्रोह की ज्वाला सुलगा दी। समस्या यह थी कि सभी विद्रोही सामान्य सैनिक थे और उन्हें एक नेतृत्व और जरूरी साधनों की दरकार थी। ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव इन दोनों जरूरतों की पूर्ति करने में सक्षम थे। लिहाजा, विद्रोहियों ने उन्हें प्रस्ताव दिया जिसे ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के नेतृत्व में झारखंडी वीरों ने अंग्रेजी सेना के दात खट्टे कर दिए। अंग्रेजी सेना के पाव उखड़ गए, उन्हें भागना पड़ा और करीब छह महीने तक यह भूभाग फिरंगी दासता से मुक्त रहा। दुर्भाग्य से कुछ जयचंदों की गद्दारी की वजह से ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव गिरफ्तार हो गए और 16 अप्रेल 1858 को अंग्रेजी हुकूमत ने राची जिला स्कूल (वर्तमान में अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव जिला विद्यालय, राची) के प्रागण में एक पेड़ पर फासी दे दी।
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