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    Tender Commission Scam : 3000 करोड़ रुपये से अधिक का है टेंडर घोटाला, सुप्रीम कोर्ट में ईडी का बड़ा दावा

    Updated: Wed, 22 May 2024 10:30 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट में झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के अंतरिम जमानत से जुड़े मामले में दाखिल हलफनामे में ईडी ने दावा किया कि झारखंड में 3000 करोड़ रुपये से अधिक का टेंडर घोटाला हुआ है। हेमंत की गिरफ्तारी भूमि घोटाले में हुई थी। ईडी ने बताया है कि यहां सिर्फ भूमि घोटाला ही नहीं हुआ बल्कि टेंडर कमीशन में भी बड़ा खेल हुआ है।

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    बढ़ने वाली है हेमंत सोरेन और आलमगीर आलम की मुश्किलें। (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, रांची। सर्वोच्च न्यायालय में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अंतरिम जमानत से जुड़े मामले में दाखिल हलफनामे में ईडी ने आंशिक रूप से दावा किया है कि झारखंड में 3000 करोड़ रुपये से अधिक का टेंडर घोटाला हुआ है। हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी भूमि घोटाले में हुई थी।

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    ईडी ने हलफनामे में बताया है कि यहां सिर्फ भूमि घोटाला ही नहीं हुआ, बल्कि यहां टेंडर कमीशन में भी बड़ा खेल हुआ है। टेंडर कमीशन घोटाला मामले में ही ईडी ने राज्य के ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम को गत 15 मई को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। वे 17 मई से ईडी की रिमांड पर हैं, जिनसे पूछताछ चल रही है।

    मंत्री आलमगीर आलम की गिरफ्तारी वर्क आर्डर आवंटन के बदले ठेकेदारों, इंजीनियरों से कमीशन वसूलने के मामले में हुई है। कमीशन की राशि मंत्री से लेकर विभाग के अन्य नौकरशाहों तक पहुंचता था।

    ईडी ने अपने हलफनामे में इसका जिक्र किया है कि टेंडर कमीशन घोटाले में गत वर्ष 23 फरवरी को ग्रामीण कार्य विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम को गिरफ्तार किया था। उनके विरुद्ध जांच में करीब सवा सौ करोड़ की अवैध संपत्ति अर्जित करने का पता चला था।

    इसके बाद छानबीन में पता चला कि इस टेंडर कमीशन घोटाले में ग्रामीण विकास विभाग के करीबी वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं।

    मिले सबूतों से पता चला कि यहां टेंडर में एक निश्चित कमीशन वरिष्ठ मंत्री व अधिकारियों को जाता है। इस तरह के अपराध की अनुमानित आय करीब 3000 करोड़ रुपये है।

    ईडी ने छह मई को ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल व संजीव लाल के नौकर जहांगीर आलम को गिरफ्तार किया था। तब छापेमारी में जहांगीर आलम के फ्लैट से 32 करोड़ 20 लाख रुपये नकदी मिले थे।

    छह, सात व आठ मई की छापेमारी में ईडी ने इस केस से जुड़े अन्य सहयोगियों के ठिकानों से छापेमारी में कुल 37.54 करोड़ रुपये की बरामदगी की थी। ईडी के दावे के अनुसार उक्त रुपये मंत्री आलमगीर आलम के कमीशन से संबंधित थे।

    10 हजार के रिश्वत से शुरू हुआ मामला 3000 करोड़ तक पहुंचा

    ईडी के हलाफनामे के अनुसार, एसीबी जमशेदपुर ने वहां 2019 में एक जूनियर इंजीनियर को दस हजार रुपये रिश्वत लेते पकड़ा था। इसी केस में ईडी की एंट्री हुई।

    ईडी ने ईसीआइआर दर्ज किया और आज दस हजार रुपये से शुरू केस 3000 करोड़ रुपये के घोटाले तक पहुंच गया है।

    इसी केस में पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी हुई थी, जिसके विरुद्ध जांच में वह सवा सौ करोड़ की अवैध संपत्ति का मालिक पाया गया था।

    बांग्लादेश भी काला धन भेजने की आशंका

    सूत्रों की मानें तो टेंडर घोटाले में मिले काले धन को विदेश में भी भेजे जाने की आशंका है। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि पैसे बांग्लादेश सहित अन्य देशों में भी भेजे गए हैं। मंत्री का एक भाई बांग्लादेश में रहता है जो चावल मिल और कई अन्य उद्योग चलाता है।

    हालांकि, ईडी ने सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल हलफनामे में काला धन विदेश या बांग्लादेश भेजे जाने का जिक्र नहीं किया है। ईडी को इससे संबंधित गोपनीय जानकारी मिली है, जिसका सत्यापन चल रहा है।

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