Saranda Century पर ग्रामीणों की राय जानने छोटानागरा पहुंची मंत्रियों की टीम, जानें किसने क्या कहा...
सारंडा को वन्य प्राणी अभ्यारण (सेंचुरी) घोषित करने के प्रस्ताव पर सरकार अब ग्रामीणों की रायशुमारी कर रही है। छोटानागरा के मचानगुटू मैदान में झारखंड के मंत्रियों की टीम की उपस्थिति में एक विशाल आमसभा आयोजित की गई।मंत्री एवं अधिकारियों ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि उनकी राय ही अंतिम रिपोर्ट का आधार बनेगी और किसी भी योजना को जबरन थोपा नहीं जाएगा।

जागरण संवाददात, चाईबासा। झारखंड के विशाल वनों में शुमार सारंडा को वन्य प्राणी अभ्यारण (सेंचुरी) घोषित करने के प्रस्ताव पर सरकार अब ग्रामीणों की रायशुमारी कर रही है।
इसी क्रम में मंगलवार को छोटानागरा के मचानगुटू मैदान में झारखंड के मंत्रियों की टीम की उपस्थिति में एक विशाल आमसभा आयोजित की गई।
पंचायत प्रतिनिधि, मुंडा-मानकी, सामाजिक व राजनीतिक संगठन भी हुए शामिल
सभा में हजारों ग्रामीणों के अलावा पंचायत प्रतिनिधि, मुंडा-मानकी, सामाजिक व राजनीतिक संगठन और कई जनप्रतिनिधि शामिल हुए।
प्रशासन की ओर से सुरक्षा और परिवहन की विशेष व्यवस्था की गई थी। सभा की अध्यक्षता मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने की।
टीम में मंत्री दीपक बिरुवा, चमरा लिंडा, संजय प्रसाद यादव और दीपिका पांडेय सिंह भी मंच पर मौजूद रहे। इनके साथ सांसद जोबा माझी, विधायक सोनाराम सिंकू, निरल पूर्ति, सुखराम उरांव, जगत माझी, जिला परिषद सदस्य लक्ष्मी सोरेन, उपायुक्त चंदन कुमार, पुलिस अधीक्षक अमित रेणु और सारंडा डीएफओ अभिरूप सिन्हा समेत कई अधिकारी उपस्थित थे।
सभा की शुरुआत डीएफओ अभिरूप सिन्हा ने संक्षिप्त संबोधन से की। उन्होंने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि उनकी राय ही अंतिम रिपोर्ट का आधार बनेगी और किसी भी योजना को जबरन लागू नहीं किया जाएगा। इसके बाद समिति ने गांव-गांव से आए प्रतिनिधियों से सीधा संवाद शुरू किया।
ग्रामीणों ने कहा- खेत और पूजा-स्थलों से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं
सभा में ग्रामीणों ने कई मुद्दों को खुलकर रखा। सबसे अहम सवाल जमीन और परंपरागत अधिकारों का था। लोगों ने स्पष्ट कहा कि उनके खेत, वनोपज और पूजा-स्थलों से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं होगी।
खनन और रोजगार को लेकर भी नाराजगी झलकी। ग्रामीणों ने कहा कि खदानें जंगल और नदी-नाले तो बर्बाद कर रही हैं, लेकिन स्थानीयों को रोजगार नहीं मिल रहा।
विस्थापित हुआ तो पुनर्वास और लाभ की क्या योजना है?
कई बंद खदानों को फिर से चालू करने और सौ प्रतिशत रोजगार सारंडा के युवाओं को देने की मांग उठी। मुखिया लिपि मुंडा और अन्य प्रतिनिधियों ने सवाल किया कि क्या सेंचुरी बनने पर गांवों को विस्थापित किया जाएगा? यदि ऐसा है तो पुनर्वास और लाभ की क्या योजना है?
स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी भी बड़ा मुद्दा रहा। ग्रामीणों ने कहा कि डीएमएफटी का पैसा खर्च हो रहा है लेकिन अस्पतालों में बेड तक उपलब्ध नहीं।
पोंगा नदी पर पुल अब तक नहीं बन पाया, जिससे आवाजाही में दिक्कत होती है। सभा में दर्जनों गांवों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे। लगुड़ा देवगम ने कहा कि सेंचुरी बने तो पहले ग्रामीणों का संरक्षण और विकास सुनिश्चित हो।
ग्रामसभा की अनुमति के बिना कोई फैसला मान्य नहीं
रोआम के रामो सिद्धू ने खदानों को रोजगार देने में विफल बताया। पंचायत समिति सदस्य रामेश्वर चांपिया ने कहा कि ग्रामसभा की अनुमति के बिना कोई फैसला मान्य नहीं होगा।
मुखिया मंगल सिंह गिलुआ ने साफ कहा, “अगर फायदा होगा तो समर्थन करेंगे, लेकिन अस्तित्व और अधिकार से समझौता नहीं करेंगे।” वहीं कई ग्रामीणों ने इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार का दबाव बताया।
सेंचुरी के पक्ष में तर्क दिए गए कि इससे वन्य प्राणियों का संरक्षण होगा, जैव विविधता बचेगी और ईको-टूरिज्म से नई रोजगार संभावनाएं खुलेंगी। वहीं विरोध करने वालों का कहना था कि इससे पारंपरिक अधिकार खतरे में पड़ जाएंगे, खेती-मवेशी चराई और वनोपज पर रोक लग सकती है।
मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने आश्वस्त किया- सरकार आपकी भावनाओं के खिलाफ नहीं जाएगी
विस्थापन का खतरा बढ़ जाएगा। सभा के समापन में मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि सरकार लोकतांत्रिक मर्यादा का पालन करना जानती है। हम आपकी भावनाओं के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाएंगे। जो भी निर्णय होगा, वह आपकी राय और संविधान के दायरे में होगा।
हिंसा का कोई रास्ता नहीं, हम मिलकर शांतिपूर्ण समाधान निकालेंगे।अब समिति ग्रामीणों की राय को संकलित कर रिपोर्ट तैयार करेगी, जिसे आगामी दिनों में सरकार को सौंपा जाएगा। इससे तय होगा कि सारंडा को सेंचुरी घोषित करने पर अंतिम निर्णय क्या होगा।
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