जानिए, टाटा स्टील कंपनी और झारखंड से क्या है स्वामी विवेकानंद का रिश्ता
Swami Vivekananda birthday क्या आपको पता है स्वामी विवेकानंद का झारखंड से बहुत ही गहरा नाता रहा है। स्वामी विवेकानंद के कहने पर ही झारखंड में टाटा स्टील कंपनी की स्थापना हुई थी। आज यह कंपनी झारखंड के लिए गर्व का विषय है। आइए जानते हैं इसकी कहानी-
रांची, डिजिटल डेस्क। भारतीय महापुरुष स्वामी विवेकानंद एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्हें पूरी दुनिया प्यार करती है और सम्मान की नजर से देखती है। स्वामी विवेकानंद युवाओं के प्रेरणा स्रोत रहे हैं। जब कभी युवाओं को प्रेरित करने की बात आती है, तो सबसे पहले स्वामी विवेकानंद का नाम लिया जाता है। स्वामी विवेकानंद के कहे हुए वाक्यों और उपदेशों को लोगों के बीच सुनाया जाता है। आज स्वामी विवेकानंद की जयंती है। पूरा देश स्वामी विवेकानंद को याद कर रहा है। उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है। ऐसे में भला झारखंड पीछे कैसे रह सकता है।
टाटा स्टील कंपनी की बुनियाद रखने में बहुत बड़ा योगदान
झारखंड की माटी से स्वामी विवेकानंद का गहरा नाता रहा है। झारखंड के जमशेदपुर में आज जो टाटा स्टील कंपनी है, जिस पर हम सब गर्व महसूस करते हैं, उसकी बुनियाद रखने में स्वामी विवेकानंद का बहुत बड़ा योगदान रहा है। स्वामी विवेकानंद ने ही सबसे पहले झारखंड के जमशेदपुर शहर में टाटा कंपनी की बुनियाद रखने की सलाह दी थी। तब इस शहर का नाम जमशेदपुर नहीं हुआ करता था। यह कालीमाटी के नाम से जाना जाता था। कंपनी शुरू होने के वर्षों बाद जमशेदपुर शहर आबाद हुआ।
स्वामी विवेकानंद की बात मान गए जमशेदजी टाटा
स्वामी विवेकानंद की पहचान भले ही एक आध्यात्मिक और दार्शनिक व्यक्ति के रूप में रही है, लेकिन यह भी सच है कि उन्हें विज्ञान और तकनीक की काफी अच्छी समझ थी। उन्हें पता था कि झारखंड का यह इलाका खनिज संपदा से परिपूर्ण है। यहां स्टील उद्योग का कारोबार काफी बेहतर तरीके से विस्तार पा सकता है। यहां खनिज होने के साथ-साथ नदियों का पानी भी इस उद्योग के लिए वरदान साबित हो सकता है। टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी नसरवानजी टाटा ने स्वामी विवेकानंद की सलाह पर ही भारत की प्रतिष्ठित टाटा स्टील कंपनी की स्थापना जमशेदपुर शहर में की थी। टाटा स्टील कंपनी के संग्रहालय में आज भी वह दस्तावेज उपलब्ध है जो दोनों महान हस्तियों की मुलाकात के साक्षी हैं।
ऐसे हुई थी जेएन टाटा और स्वामी विवेकानंद की पहली मुलाकात
बात वर्ष 1893 की है। स्वामी विवेकानंद शिकागो के धार्मिक सम्मेलन में शामिल होने के लिए पानी जहाज से वहां जा रहे थे। उसी पानी जहाज में जेएन टाटा यानी जमशेदजी नसरवानजी टाटा भी सफर कर रहे थे। इस यात्रा के दौरान दोनों में बातचीत शुरू हो गई। स्वामी विवेकानंद ने जेएन टाटा को बताया कि झारखंड का सिंहभूम क्षेत्र खनिज और नदियों से संपन्न है। यहां भरपूर मात्रा में लौह खनिज संपदा है। जेएन टाटा को उनकी बात पसंद आ गई। जेएन टाटा ऐसे ही क्षेत्र की तलाश में थे। उन्होंने इस क्षेत्र का अध्ययन करना शुरू कर दिया। अंततः एक दिन ऐसा आया कि झारखंड के इस जमशेदपुर शहर में टाटा स्टील कंपनी शुरू हो गई।
झारखंड के लिए वरदान साबित होती रही है टाटा कंपनी
झारखंड की पहचान जल, जंगल और जमीन से तो है ही टाटा स्टील कंपनी के कारण भी है। जब कभी झारखंड की देश-दुनिया में बात होती है, टाटा स्टील का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है। टाटा स्टील ने जमशेदपुर शहर को आधुनिक शहर के रूप में विकसित किया है। झारखंड के तमाम शहरों में सबसे खूबसूरत अगर कोई शहर है तो यही शहर है। जमशेदपुर में वह तमाम नागरिक सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो एक अच्छे शहर में होनी चाहिए। टाटा स्टील यहां कंपनी कमांड एरिया में बिजली, पानी, सड़क, पार्क समेत तमाम नागरिक सुविधाएं मुहैया कराती है। जरा, कल्पना कीजिए! अगर यहां टाटा स्टील कंपनी नहीं होती तो क्या होता...! इसलिए इसका श्रेय स्वामी विवेकानंद को भी जाता है।
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