सुप्रीम कोर्ट का सीबीआइ से सवाल : राजनीतिक लड़ाई में दुरुपयोग क्यों?
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से पूछा कि वह राजनीतिक लड़ाई में अपनी मशीनरी का गलत इस्तेमाल क्यों करती है। कोर्ट ने चिंता जताई कि सीबीआइ का प्रयोग राजनैतिक उद्देश्यों के लिए हो रहा है। कोर्ट ने सीबीआई को निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से कार्य करने की सलाह दी और राजनीतिक हस्तक्षेप से बचने को कहा ताकि एजेंसी की विश्वसनीयता बनी रहे। कोर्ट ने सभी मामलों की निष्पक्ष जांच करने का आदेश दिया है।

झारखंड विधानसभा सचिवालय में नियुक्ति और प्रोन्नति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ की हस्तक्षेप याचिका को खारिज कर दिया।
राज्य ब्यूरो, रांची। सुप्रीम कोर्ट में झारखंड विधानसभा सचिवालय में नियुक्तियों और प्रोन्नति में अनियमितता के मामले में सीबीआइ जांच पर लगी रोक के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने मामले में प्राथमिक जांच की मांग वाली सीबीआइ की याचिका को खारिज कर दिया।
इस दौरान अदालत ने कहा कि राजनीतिक लड़ाइयों में केंद्रीय एजेंसी मशीनरी का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है। पिछले साल 14 नवंबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 23 सितंबर 2024 के हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी गई थी।
प्रार्थी शिवशंकर शर्मा ने विधानसभा में नियुक्तियों और प्रोन्नति में अनियमितता का आरोप लगाते हुए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर सीबीआइ जांच की मांग की थी। उनकी ओर से कहा गया था कि मामले की जांच जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग ने की थी। जिसकी रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी गई।
राज्यपाल ने इस पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जिसके बाद हाई कोर्ट ने इसकी जांच सीबीआइ को सौंपी थी। इसके खिलाफ विधानसभा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील याचिका दाखिल की गई।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने सीबीआइ की अंतरिम याचिका पर सुनवाई करते हुए सवाल उठाया कि हम पूर्व में भी कई बार यह सवाल उठा चुके हैं कि सीबीआइ राजनीतिक लड़ाइयों में सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल क्यों करती है।
इसके बाद सीबीआइ की हस्तक्षेप याचिका को खारिज कर दिया। बता दें कि मामला 2003 से 2007 के बीच हुई विधानसभा में नियुक्ति और बाद में प्रोन्नति से जुड़ा हुआ है। 2019 में जांच रिपोर्ट के आधार पर दो अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति भी दे दी गई है।
झारखंड विधानसभा सचिवालय और अन्य पक्षों ने हाई कोर्ट के 23 सितंबर 2024 के आदेश को चुनौती दी थी। पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सीबीआइ जांच पर रोक लगा दी थी। तब सीबीआइ ने इस रोक को हटाने के लिए आवेदन दिया था।

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