Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Supreme Court: जमानत के बदले पैसा जमा करने की शर्त गैरकानूनी, सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

    By Jagran NewsEdited By: M Ekhlaque
    Updated: Thu, 06 Oct 2022 09:25 PM (IST)

    Supreme Court India सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट के फैसले को रद कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत के बदले पैसे जमा करने की शर्त को गैर कानूनी बताया है। अदालत ने ऐसे मामलों को फिर से विचार करने के लिए हाई कोर्ट के पास भेज दिया है।

    Hero Image
    Jharkhand News: सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट के एक फैसले को निरस्त कर दिया है।

    रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand High Court Order Canceled सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट के पैसे जमा करने की शर्त पर जमानत दिए जाने के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि अग्रिम और नियमित जमानत के कई मामलों में आरोपित को एक निश्चित राशि जमा करने की शर्त पर जमानत प्रदान करना कानूनन सही नहीं है। अदालत ने कहा कि गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत की याचिका पैसों की रिकवरी वाली प्रक्रिया नहीं है। अगर किसी शख्स को अपनी गिरफ्तारी की आशंका है तो उसे अग्रिम जमानत के लिए पैसे जमा करने का कोई औचित्य नहीं है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जमानत का फैसला अपराध की प्रकृति पर लेना चाहिए

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि झारखंड हाई कोर्ट आरोपित की पैसे जमा करने की क्षमता को आधार पर बनाकर जमानत प्रदान की है, जबकि जमानत का फैसला अपराध की प्रकृति और उसकी गंभीरता को देखते हुए लिया जाना चाहिए। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की अदालत ने हाई कोर्ट को ऐसे सभी मामलों पर फिर से सुनवाई करने का निर्देश दिया है, साथ ही प्रार्थी की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए पैसे जमा करने की हाई कोर्ट की शर्त को निरस्त कर दिया।

    सिंगल बेंच द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया कानूनन सही नहीं

    सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट के कई ऐसे फैसलों को देखा और कहा कि अदालत के एक सिंगल बेंच ने जो प्रक्रिया अपनाई है, वह कानून के अनुसार सही नहीं है। ऐसे ही एक आदेश में हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति और उसके मां-बाप को घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न के मामले में अग्रिम जमानत दे दी थी। इसके लिए कोर्ट ने 25 हजार रुपये का बांड भरने और पीड़ित को अंतरिम मुआवजे के तौर पर साढ़े सात लाख रुपये देने की शर्त रखी। पीड़ित पत्नी के मुताबिक, उसके परिवार ने ससुराल वालों को साढ़े सात लाख रुपये का दहेज दिया था।

    टिप्पणी- क्या पैसा नहीं होगा तो जमानत नहीं दी जाएगी

    आरोपितों की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की ओर से लगाए गए जमानत की शर्तों को निरस्त कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा है कि इन सभी मामलों में एक चीज सामान्य है। एक ही जज ने अपराध की प्रकृति के हिसाब से जमानत की जरूरतों पर सही से विचार किए बिना ही बड़ी रकम जमा करने की शर्त पर जमानतें दी। अगर कोई शख्स बड़ी रकम नहीं जमा कर सकता, उसके पास पैसे नहीं हों तो उन्हें जमानत देने से इन्कार नहीं किया जा सकता। लेकिन ऐसा ही होता दिख रहा।

    जज ने किस आधार पर फैसला लिया, यह समझ से परे

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जज ने किस आधार पर जमानत का फैसला किया, यह हमारे समझ से परे है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इससे पहले भी हाई कोर्ट ने आरोपितों की जमानत याचिका को मंजूर करते हुए इसी तरह के आदेश पारित किए हैं। इनमें दहेज से लेकर आइपीसी की धारा 420, 376, पाक्सो एक्ट से जुड़े मामले शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे सभी मामलों पर नए सिरे से विचार करने के लिए हाई कोर्ट के पास भेज दिया है।