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    अभी जेल में ही रहेंगे योगेंद्र साव, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की अपील याचिका Ranchi News

    By Sujeet Kumar SumanEdited By:
    Updated: Wed, 27 Nov 2019 10:23 PM (IST)

    Jharkhand. रंगदारी के मामले में ढाई साल की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए थे योगेंद्र साव। जस्टिस यू ललित और इंदु मल्होत्रा की अदालत में हुई सुनवाई।

    अभी जेल में ही रहेंगे योगेंद्र साव, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की अपील याचिका Ranchi News

    रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। राज्य के पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव को बुधवार को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने योगेंद्र साव को मिली ढाई साल की सजा के खिलाफ की गई अपील को खारिज कर दिया। जस्टिस यू ललित और इंदु मल्होत्रा की अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले में हाई कोर्ट ने सभी बिंदुओं पर विचार किया है। इस कारण हाई कोर्ट का आदेश सही है और इसमें हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। अभी वे जेल में ही रहेंगे।

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    योगेंद्र साव पर रामगढ़ स्पंज आयरन फैक्ट्री से पांच लाख रुपये की रंगदारी मांगने का आरोप था। इस मामले में कंपनी के प्रबंधक ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। योगेंद्र साव को रंगदारी मांगने के एक मामले में हजारीबाग की निचली अदालत  ने वर्ष 2015 में ढाई साल की सजा सुनाई है। इस सजा के खिलाफ योगेंद्र साव ने हाईकोर्ट में अपील की थी। हाई कोर्ट ने इस अपील याचिका पर सुनवाई करने के बाद निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा और अपील खारिज कर दी थी।

    इसके बाद योगेंद्र साव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। योगेंद्र साव की ओर से अदालत को बताया गया कि घटना के समय योगेंद्र साव विधायक थे, इसलिए उन पर मुकदमा चलाने से पहले सरकार से अभियोजन स्वीकृति लेनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया था, इसलिए निचली अदालत की कार्यवाही गलत है। यह भी बताया गया कि इस मामले में अदालत में पेश सीडीआर (कॉल डिटेल रिपोर्ट) भी घटना के दिन की नहीं है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सभी दलीलों को खारिज कर दिया।

    पुलिस पर हमले के आरोपित पूर्व मंत्री योगेंद्र साव के दूसरे मामले में सुनवाई

    एनटीपीसी के लिए जमीन अधिग्रहण का विरोध करने व पुलिस पर हमले के मामले में जेल में बंद राज्य के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की जमानत याचिका पर बुधवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई है। हाई कोर्ट ने साव की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए योगेंद्र को शपथ पत्र के माध्यम से अपनी बात रखने का निर्देश दिया है। इस मामले की पूर्व में सुनवाई करते हुए अदालत ने निचली अदालत से रिपोर्ट मांगी था।

    बुधवार को सरकार की ओर से बताया गया कि अभी 20 लोगों की गवाही होनी है। इसका योगेंद्र साव की ओर से विरोध किया गया। अदालत को बताया गया मामले में पहले ही 18 लोगों की गवाही हो चुकी है। गवाहों की संख्या बढ़ाना उचित नहीं है। इस पर अदालत ने कहा कि वह शपथपत्र के माध्यम  से अपनी बात रखें। शपथपत्र दाखिल करने के लिए अदालत ने चार दिसंबर तक का समय दिया।