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    Success Story: जानिए, किन कारणों से रांची के 'न्यूटन' को यूएसए ने माना बड़ा एसेट, आखिर क्यों मिला आइंस्टीन वीजा

    By M EkhlaqueEdited By:
    Updated: Thu, 24 Feb 2022 12:38 PM (IST)

    Jharkhand News रांची के रहने वाले मिर्जा फैजान की पहचान एयरोस्पेस साइंटिस्ट के रूप में है। अमेरिका ने यूएस नेशनल मेडल से सम्मानित किया है। नासा और पेंटागन की अनुशंसा पर आइंस्टीन वीजा मिला है। जिस तरह उन्होंने यह सफलता हासिल की है सबके लिए प्रेरणास्रोत है।

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    Success Story Jharkhand: मिर्जा फैजान की पहचान एयरोस्पेस साइंटिस्ट के रूप में है।

    रांची, संजय सिन्हा। Aerospace Scientist Mirza Faizan रांची के सेंट जेवियर कालेज से पढ़ा वह लड़का जिसे उसके शिक्षक 'न्यूटन' कहकर बुलाया करते थे, कहते थे- यह लड़का आगे चलकर कुछ बड़ा काम जरूर करेगा। ऐसी ऊंचाइयों को छुएगा जिसे पाना सबके वश की बात नहीं होती...। वह लड़का जो आगे चलकर प्रसिद्ध एयरोस्पेस साइंटिस्ट बना, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका ने प्रतिष्ठित यूएस नेशनल अवार्ड दिया है। इस एयरोस्पेस साइंटिस्ट का नाम है- मिर्जा फैजान।

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    मिर्जा फैजान ने रनवे सेफ्टी के लिए बनाया जीआरआइपीएस

    मिर्जा फैजान ने रनवे सेफ्टी पर बड़ा काम किया है। नासा और दूसरी संस्थाओं ने इसके लिए उन्हें तमाम संसाधन और सुविधाएं उपलब्ध कराईं। रनवे सेफ्टी के लिए बना सिस्टम ग्राउंड रियल्टी इंफॉरमेशन प्रोसेसिंग सिस्टम (जीआरआइपीएस) मिर्जा बंधुओं की ही खोज है। जैसे पहला विमान उड़ाने के लिए राइट बंधुओं की बात होती है, वैसे ही रनवे सेफ्टी के लिए बना जीआरआइपीएस विकसित करने का श्रेय मिर्जा फैजान को दिया जाता है।

    इनके बनाए जीआरआइपीएस को दुनिया के कई देशों ने अपनाया

    दरअसल, मिर्जा फैजान और मिर्जा रिजवान दोनों ने मिलकर एयरोस्पेस में उल्लेखनीय काम किया है। उनके बनाए जीआरआइपीएस को अमेरिका, इजरायल सहित दुनिया के कई देशों ने अपनाया है। पूरी दुनिया में रनवे सेफ्टी महत्वपूर्ण है। विमानन कंपनियां विमानों के सुरक्षित लैंड करने या उड़ान भरने को लेकर लगातार नई तकनीकों पर काम कर रहीं हैं। मिर्जा फैजान ने इसमें सबसे महत्वपूर्ण काम किया है। उनका जीआरआइपीएस ​सिस्टम रियल टाइम पर आधारित है जो एलगोरिदम के जरिए बताता है कि रनवे पर कौन-सी ऐसी चीज है, जो सुरक्षित उड़ान के लिहाज से संवेदनशील है।

    डिफेंस के लिए भी कर चुके हैं कई बेहतरीन काम

    एयरोस्पेस साइंटिस्ट मिर्जा फैजान ने एयरोस्पेस के डिजाइन और डेवलपमेंट के साथ-साथ डिफेंस के लिए भी काफी कुछ किया है। उनकी विकसित की गईं तकनीकों को इस समय नासा, पेंटागन-एएमआरडीईसी (आर्मी मिसाइल रिसर्च, डेवलपमेंट एंड इंजीनियरिंग सेंटर, यूएस एयर फोर्स ने अपनाया है।

    रांची से गहरा नाता है मिर्जा फैजान का

    मिर्जा फैजान का जन्म अविभाजित बिहार में हुआ। मूल रूप से बिहार की राजधानी पटना के रहनेवाले हैं। हालांकि, उनकी पढ़ाई झारखंड की राजधानी रांची के सेंट जेवियर कालेज से हुई है। वर्ष 1992-94 बैच में यहां से उन्होंने इंटरमीडिएट किया था। मिर्जा फैजान कहते हैं तब कालेज में फिजिक्स के टीचर थे फादर डिब्रोअर। चूंकि मेरा फिजिक्स और मैथ्स इतना मजबूत था कि वो मुझे प्यार से न्यूटन बुलाते थे।

    जब मुकाम हासिल किया तो मेरे शिक्षक नहीं रहे

    मिर्जा फैजान के अनुसार, शिक्षक कहते थे- जब तुम जीवन में बड़ा काम कर लेना तब एक पोस्टकार्ड भेजकर मुझे सूचित करना। अब जब नासा और पेंटागन की अनुशंसा पर मुझे आइंस्टीन वीजा मिला और यूएस नेशनल अवार्ड मिला तब सोचा फादर डिब्रोअर को पोस्ट कार्ड भेजूं। लेकिन अफसोस तब तक इस दुनिया से विदा हो चुके थे।

    रिसर्च के इवैल्युएशन में ली जाती है उनसे मदद

    मिर्जा फैजान कहते हैं कि सेंट जेवियर्स कालेज के प्रोफेसरों ने जो बचपन में साइंटिफिक एप्रोच सिखाया वह आज तक काम आ रहा है। यही कारण है कि नासा और दुनिया के दूसरे बड़े लैब की रिसर्च के इवैल्युएशन में उनकी मदद ली जाती है। मिर्जा फैजान फिजिक्स के टीचर प्रोफेसर डी डे सर को भी याद करते हैं।

    नई प्रतिभाओं को तराशने में लगे फैजान

    मिर्जा फैजान फिलहाल युवा प्रतिभाओं को तराशने में लगे हैं। उन्होंने एक फाउंडेशन का निर्माण किया है, जिसका नाम है डिस्कवर स्टेम। डिस्कवर स्टेम के जरिए दुनियाभर से युवा इस इनोवेशन प्लेटफार्म पर आते हैं। ऐसा ही एक सिस्टम है सेल्फ डिस्इंंफेक्टिंग डोर हैंडल मेकेनिज्म टू प्रीवेंट कोविड। फैजान ने बच्चों की सीखने की क्षमता और उनके डेवलपमेंट पर भी काम किया है।