मानवीय गुणों में भलाई सर्वश्रेष्ठ गुण
सभी मानवीय गुणों में भलाई को सर्वश्रेष्ठ गुण माना गया है।
जागरण संवाददाता रांची : सभी मानवीय गुणों में भलाई को सर्वश्रेष्ठ गुण माना गया है। इसे परहित और परोपकार आदि की भी संज्ञा दी गई है। वास्तव में वेदों एवं पुराणों में भी भलाई की शक्ति को रेखांकित किया गया है। भलाई या परोपकार में अपार शक्ति होती है। यही कारण है कि परोपकारी व्यक्ति काफी लोकप्रिय होता है।
प्रकृति में भी भलाई सर्वत्र देखी जाती है। पेड़-पौधे, नदियां, पर्वत, सूर्य चंद्रमा आदि सभी हमेशा भलाई में लगे रहते हैं। एक परोपकारी व्यक्ति की जीवन की सार्थकता कई गुणा बढ़ जाती है। कोई भी व्यक्ति परहित का कार्य कर असीम आनंद प्राप्त करता है। यह आनंद संपति-संचय या अन्य किसी से प्राप्त नहीं हो सकता। अत: यह कहा जा सकता है कि परोपकार हमारा नैतिक दायित्व है। यह हमें समाज में पूज्य बनाता है। भलाई ऐसा मानवीय गुण है जो अनुपम है, अद्वितीय है, अतुलनीय है। भलाई या परहित स्वार्थ पर आधारित नहीं होना चाहिए। समस्त संसार की सेवा करने वाला ही सच्चे अर्थों में मानव है। संकीर्णता से ऊपर उठकर दूसरों की सेवा करना ही सर्वोपरि धर्म है। हमारे देश में प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनियों द्वारा दूसरों की नि:स्वार्थ सेवा की गौरवशाली एवं समृद्ध परंपरा रही है। उन्होंने सभी के सुख की मंगल कामना की है। हम परहित का उपदेश और प्रेरणा प्रकृति से प्राप्त कर सकते हैं, क्योंकि प्रकृति नि:स्वार्थ भाव से अनवरत परहित में लगी रहती है। प्रकृति हम में ताजगी, स्फूर्ति एवं जोश का संचार करती है। हमें भी प्रकृति से प्रेरित होकर परहित में लगा रहना चाहिए। मानसिक तनाव से मुक्ति का यह सबसे सरलतम मार्ग है। तन-मन-धन से सर्वस्व समाज और राष्ट्र सेवा में लगा देना सबसे बड़ा पुण्य का कार्य है और मनुष्य का यही सबसे बड़ा धर्म है।
अंत में हम कह सकते हैं कि भलाई में अपार शक्ति है। यह सर्वोपरि मानवीय गुण है और इसी पर हमारे जीवन की सार्थकता आधारित है। अत: हम सभी परहित को अपना धर्म मानकर संपूर्ण विश्व के कल्याण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।
- सूरज शर्मा, प्राचार्य आक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल
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