झारखंड: एक ऐसे संत की कहानी, जिसने इस तालाब में पानी के लिए त्याग दिया था अन्न-जल
Story of Saint भारत संत-महात्माओं और जन सेवा के लिए अपना सब कुछ त्याग कर देने वाले महान आत्माओं का देश है। ये कहानी ऐसे ही एक महान आत्मा व संत की है जिसने तालाब बनवाया और उसमें पानी के लिए अपना अन्न-जल त्याग दिया। तालाब आज भी मौजूद है।

लोहरदगा, [राकेश कुमार सिन्हा]। Story of Saint भारत संत-महात्माओं और जन सेवा के लिए अपना सब कुछ त्याग कर देने वाले महान आत्माओं का देश है। यहां कई ऐसे भी चमत्कार होते आएं है, जो युगों-युगों तक लोगों को परोपकार की शिक्षा देते रहेंगे। ऐसी ही एक कहानी झारखंड के लोहरदगा जिले के भंडरा प्रखंड की भी है। जिसे लोग आज भंडरा गांव के नाम से जानते है।
कहा जाता है कि भंडरा गांव का नाम 14वीं शताब्दी में मधुबन गांव था। उस समय भंडरा में एक तालाब खोदे जाने के बाद पानी के लिए तीन दिन तक आचार्य जईमन राम ज्योतिष व उनकी पत्नी द्वारा अन्न, जल त्याग कर तपस्या की गई थी। तालाब में पानी नहीं निकला तो संत तप करने लगे थे। आकाशवाणी के बाद भी अपने संकल्प से वह संत डिगे नहीं।
भंडरा के वयोवृद्ध लोगों का कहना है कि 14वीं शताब्दी में संत आचार्य जईमन राम ज्योतिष अपनी पत्नी के साथ एक बार रातू के महाराजा बड़लाल के दरबार में किसी समस्या के समाधान के लिए पहुंचे। वह अन्य संतो और विद्वानों के साथ गए हुए थे। जहां उनकी किसी बात को लेकर भविष्यवाणी की परीक्षा ली गई थी। जिसे खुश होकर रातू के महाराज ने उन्हें दान स्वरुप भंडरा में चार एकड़ जमीन दी थी।
जिसमें संत जईमन राम ज्योतिष ने चार एकड़ जमीन में तालाब व उसके इर्द-गिर्द की जमीन में बागवानी करने की इच्छा लेकर तीन एकड़ जमीन में तालाब खुदवाया, परंतु तालाब खुदवाने के बाद भी पानी नहीं निकला। इस पर संत जईमन राम ज्योतिषी ने अपनी पत्नी के साथ ढाई दिन तक तालाब के बीच जामुन पेड़ के नीचे राधा-कृष्ण की प्रतिमा लेकर तपस्या शुरु कर दी। जिसके बाद तीसरे दिन की रात आकाशवाणी हुई कि पूरब-उत्तर दिशा से पानी निकल रहा है।
तालाब से निकल जाएं। इस पर भी इन्होंने अपना हठ नहीं छोड़ा और तप में बैठे रहे। उन्होने संकल्प ले लिया कि जब तक तालाब में पानी नहीं देखेंगे, तक तक तालाब से नहीं निकलेंगे। इसके बाद आकाशवाणी के अनुसार पूरब-उत्तर दिशा से पानी का आगमन हुआ। जिसमें कहा जाता है कि पानी की रफ्तार इतनी थी कि तालाब लबालब भर गया, इसके बाद भी पानी आना बंद नहीं हो रहा था, जिससे बाद भंडरा के ग्रामीणों द्वारा चट्टान लाकर पानी निकल रहे स्थान को बंद किया गया।
कहा जाता है कि वह चट्टान आज भी तालाब में स्थित है। जिसे चार साल पूर्व तालाब की सफाई करने के दौरान स्थानीय ग्रामीणों द्वारा देखा गया थ। साथ ही उस चट्टान के किनारे से आज भी पानी का रिसाव होता है। इसकी जानकारी जैसे ही रातू के महाराज बड़लाल को हुई। महाराजा ने तुरंत अपने दरबारियों को भेज संत जईमन राम ज्योतिषी को अपने दरबार में बुलाया। इसके उपरांत महाराज ने उन्हें अपना राज पुरोहित मनोनीत करते हुए भंडरा में 30 मौजा का गांव दान में दिया था।
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