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    High Court के आदेश पर छठे वेतनमान की विसंगति दूर करे सरकार, प्राथमिक शिक्षक संघ ने रखी मांग

    By Neeraj Ambastha Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Sat, 13 Dec 2025 08:09 PM (IST)

    रांची: प्राथमिक शिक्षक संघ ने हाई कोर्ट के आदेश पर सरकार से छठे वेतनमान की विसंगति दूर करने की मांग की है। संघ का कहना है कि वेतनमान में सुधार से शिक् ...और पढ़ें

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    सरकारी विद्यालयों में कार्यरत प्राथमिक शिक्षकों ने छठे वेतनमान की विसंगति दूर करने को लेकर झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश को लागू करने की मांग की है।

    राज्य ब्यूरो,रांची।  सरकारी विद्यालयों में कार्यरत प्राथमिक शिक्षकों ने छठे वेतनमान की विसंगति दूर करने को लेकर झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश को लागू करने की मांग की है। उच्च न्यायालय ने 27 नवंबर को वेतन विसंगति दूर करने को लेकर महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है।

    उच्च न्यायालय द्वारा सुधीर कुमार सिंह एवं अन्य मामले में एक जनवरी 2006 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों के छठे वेतनमान में आरंभिक वेतन निर्धारण विसंगति पर उच्च न्यायालय द्वारा निराकरण करते हुए आदेश पारित किया गया है।

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    इसमें राज्य सरकार को यह निर्देश दिया गया है कि जनवरी 2006 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों का फिटमेंट टेबल एस 12 के अनुसार वेतन निर्धारित किया जाए और इस प्रकार उन्हें 16,290 का आरंभिक वेतन स्वीकृत किया जाए। उच्च न्यायालय के इस आदेश से राज्य के हजारों शिक्षकों के वेतन विसंगति समस्या का समाधान हो सकेगा।

    अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनूप कुमार केसरी तथा महासचिव राम मूर्ति ठाकुर कहा है कि छठे वेतनमान की अधिसूचना लागू हुए लगभग 16 वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक इस समस्या का समाधान लंबित है। 

    अधिसूचना में जनवरी 2096 से पूर्व के नियुक्त शिक्षकों के लिए फिटमेंट टेबल एस 12 स्वीकृत है, लेकिन शिक्षा, वित्त और लेखा विभाग द्वारा किसी अज्ञात, अघोषित और काल्पनिक टेबल से शिक्षकों को आरंभिक वेतन 13,500 स्वीकृत कर वेतन निर्धारण किया गया है, जो सर्वथा त्रुटिपूर्ण है।

    विगत 16 वर्षों से राज्य के शिक्षकों के लिए अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ इस समस्या के समाधान के लिए जिस फिटमेंट टेबल की मांग करता रहा है उसी टेबल को उच्च न्यायालय ने भी स्वीकृति प्रदान की है। संघ ने राज्य सरकार से मांग की है कि यथाशीघ्र इस न्यायादेश को लागू कर शिक्षकों के साथ न्याय करे।