सिसल से Jharkhand की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रही मजबूती, अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला में हुआ प्रदर्शन, जानिए क्या है सिसल
झारखंड की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सिसल से सहारा मिल रहा है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में सिसल उत्पादों का प्रदर्शन किया गया, जिससे इसकी लोकप्रियता बढ़ी। सिसल से रस्सी, बैग जैसे हस्तशिल्प बनते हैं, जिनकी बाजार में मांग है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ रहा है और अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है।

दिल्ली में 44वे अंतरराष्ट्रीय eमेला में झारखंड पवेलियन इस वर्ष खास चर्चा में है।
राज्य ब्यूरो, रांची । दिल्ली में 44वे अंतरराष्ट्रीय eमेला में झारखंड पवेलियन इस वर्ष खास चर्चा में है, जहां वन विभाग के राज्य की हरित अर्थव्यवस्था और सतत विकास की दिशा में किए जा रहे उल्लेखनीय प्रयासों को प्रमुखता से प्रदर्शित किया जा रहा है।
पवेलियन में उत्पादों और नवाचारों का प्रदर्शन झारखंड की उभरती संभावनाओं से रूबरू करा रहा है। झारखंड में सिसल (एगेव) पौधे की खेती तेजी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में परिवर्तन ला रही है।
कम पानी और प्रतिकूल मौसम में पनपने वाला यह पौधा प्राकृतिक फाइबर का प्रमुख स्रोत है, जिसका उपयोग रस्सी, मैट, बैग और विभिन्न हैंडक्राफ्ट उत्पादों के निर्माण में किया जाता है। इसके रस से बायो-एथेनाल और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं।
औषधीय और कास्मेटिक उपयोग ने स्थानीय उद्यमिता को नई दिशा दी है। एगेव का बंजर और कम उपजाऊ भूमि पर भी आसानी से उगना इसे भूमि संरक्षण, पारिस्थितिक पुनरुद्धार और जलवायु अनुकूल खेती का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाता है।
सिसल पौधारोपण कर ग्रामीणों के लिए स्थायी आजीविका के अवसर
अनितेश कुमार ने सिसल परियोजना की प्रगति पर जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में 450 हेक्टेयर क्षेत्र में सिसल का रोपण कार्य पूरा किया जा चुका है और विभाग का लक्ष्य इस वित्तीय वर्ष में इसे 100 हेक्टेयर और बढ़ाने का है।
पिछले वित्तीय वर्ष में सिसल उत्पादन 150 मीट्रिक टन रहा था, जबकि इस वित्तीय वर्ष के लिए 82 मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वन विभाग की पहल पर राज्य में बड़े पैमाने पर सिसल पौधारोपण कर ग्रामीणों के लिए स्थायी आजीविका के अवसर तैयार किए जा रहे हैं।
विभाग हर वर्ष लगभग 90,000 मानव-दिवस का रोजगार सृजित कर रहा है, जो ग्रामीण परिवारों की आर्थिक स्थिरता और हरित विकास को महत्वपूर्ण गति प्रदान कर रहा है।
समृद्ध हस्तशिल्प परंपरा को प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत कर रहे जूट उत्पाद
पवेलियन में प्रदर्शित जूट उत्पाद भी झारखंड की समृद्ध हस्तशिल्प परंपरा को प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत कर रहे हैं। स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाए गए ईको-फ्रेंडली जूट बैग, गृह सज्जा सामग्री और हस्तनिर्मित उपयोगी वस्तुएं राज्य की कला-कौशल, सूक्ष्म बुनाई तकनीक और ग्रामीण कारीगरी की गहरी जड़ों को दर्शाती हैं।
ये उत्पाद न केवल झारखंड की सांस्कृतिक पहचान को आगे बढ़ाते हैं, बल्कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कारीगरों के लिए नए अवसर भी उत्पन्न होता है।

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