Jharkhand News: 16 कंपनी कमांडर मांग रहे थे अपना अधिकार, विभाग ने किया शो काज
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अधिकार मांगने वाले गृह रक्षा वाहिनी के 16 कंपनी कमांडरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इन कमांडरों पर अनुशासनहीनता का आरोप है क्योंकि उन्होंने अपनी मांगों को लेकर सीधे मुख्यमंत्री सचिवालय और अन्य अधिकारियों को पत्र लिखा था। ये कमांडर अपनी सेवा निरंतरता वरीयता सूची और एरियर जैसे लाभों की मांग कर रहे हैं जिनसे वे अभी तक वंचित हैं।

राज्य ब्यूरो, रांची। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अपना अधिकार मांगने वाले गृह रक्षा वाहिनी के 16 कंपनी कमांडरों को गृह रक्षा वाहिनी सह अग्निशमन मुख्यालय ने शुक्रवार को शो काज किया है और एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
इन कंपनी कमांडरों में मनसिद्ध सुरीन, मोहम्मद जावेद इकबाल अंसारी, रंजीत कुमार, आनंद नायक, रोशन उरांव, श्रेय अलंकार, जयपाल कुजूर, ऋषिकेश, संजीव शर्मा, राजेश लकड़ा, प्रकाश लकड़ा, अनुराधा तिग्गा और प्रभु उरांव, निरल केरकेट्टा, सुमन कुमार व ऋषिकेश शामिल हैं।
इन पर आरोप है कि अपना मांगपत्र मुख्यमंत्री सचिवालय, आइजी प्रोविजन, राजभवन व अन्य वरीय पदाधिकारियों को प्रेषित कर दिया। इसे गृह रक्षा वाहिनी मुख्यालय ने अनुशासनहीनता माना है।
मुख्यालय का आरोप है कि विभाग के वरीय पदाधिकारियों के संज्ञान, अग्रसारण के बिना स्वयं के स्तर से विभाग एवं झारखंड मंत्रालय के वरीय पदाधिकारियों को सीधे पत्राचार किया जाना कर्तव्य के प्रति उदासीनता व सेवा संहिता का उल्लंघन है।
एरियर व देय लाभ मांग रहे हैं कंपनी कमांडर
ये सभी 16 कंपनी कमांडर अपनी सेवा निरंतरता, वरीयता सूची, एरियर व देय लाभ की मांग कर रहे हैं। वर्ष 2012 में दारोगा भर्ती बहाली के दौरान ये कंपनी कमांडर 30 नवंबर 2012 को बहाल हुए थे। नियुक्ति के बाद लगभग 15 माह का प्रशिक्षण लिया।
बहाली की प्रक्रिया में अनियमितता का आरोप लगाकर इन्हें 26 फरवरी 2014 को सेवा से मुक्त कर दिया गया था। सभी कंपनी कमांडरों ने सरकार के इस निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट ने कंपनी कमांडरों के पक्ष में फैसला सुनाया।
सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में इसे चुनौती दी, वहां से भी कंपनी कमांडर के पक्ष में फैसला आया और उस फैसले के आलोक में जून 2021 में 21 कंपनी कमांडर व 15 सार्जेंट के साथ इनकी पुन: नियुक्ति हुई।
कोर्ट के आदेश में वर्ष 2012 से सेवा निरंतरता, वरीयता सूची का लाभ, सेवा समाप्ति से लेकर पुन: बहाली तक का एरियर भुगतान सहित सभी देय लाभ का जिक्र था, लेकिन उन्हें सिर्फ सेवा में बहाल किया गया, अन्य लाभ नहीं मिला। इसे लेकर वे फिर कोर्ट गए तो कोर्ट ने सरकार को सभी देय लाभ देने का आदेश दिया।
अब तक ये उन सभी लाभों से वंचित हैं, जिसकी वे लगातार मांग कर रहे हैं। उन्हें मार्च 2014 से मई 2021 तक का वेतन, एरियर नहीं मिला है।
अपने इसी सात साल की अवधि के सभी लाभ जैसे एरियर, वरीयता सूची आदि की मांग के लिए इन कंपनी कमांडरों ने मुख्यमंत्री सचिवालय सहित सभी वरीय अधिकारियों से पत्राचार किया है। इसके लिए ही उन्हें शो-काज किया गया है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।