Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Shardiya Navratri 2025: हाथी पर सवार होकर आ रहीं मां दुर्गा, शारदीय नवरात्रि में मिल सकते हैं ये शुभ फल

    Updated: Thu, 04 Sep 2025 07:56 AM (IST)

    इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर को विजयदशमी के साथ समाप्त होगा। इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी जो शुभ संकेत है। विजयादशमी 2 अक्टूबर 2025 को है और माता का प्रस्थान मनुष्य की सवारी पर होगा। 22 सितंबर को कलश स्थापना और शैलपुत्री पूजन होगा। 27 सितंबर को बेल बोधन और 29 सितंबर को नवपत्रिका प्रवेश होगा।

    Hero Image
    हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, अच्छी वर्षा व धन-धान्य में की होगी बढ़ोतरी

    जागरण संवाददाता, रांची। शारदीय नवरात्र इस बार 22 सितंबर से शुरू हो रहा है और दो अक्टूबर को विजयादशमी के साथ समापन होगा। इस बार चतुर्थी तिथि दो दिन है। पूर्णिमा सात अक्टूबर को होगा। 28 अक्टूबर को छठ का पारण हो जाएगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी। प्रतिपदा के अनुसार हाथी पर आना शुभ है और अच्छी वर्षा का संकेत है। कृषि में वृद्धि होती है। दूध का उत्पादन बढ़ता है साथ ही देश में धन धान्य की बढ़ोतरी होती है।

    पं. रामदेव पांडेय ने बताया कि देवी भागवत महापुराण के अनुसार जब रविवार और सोमवार के दिन माता का आगमन होता है तो माता का वाहन हाथी होता है। यानी इस बार 22 सितंबर को मां दुर्गा का आगमन हाथी से हो रहा है।

    जब माता हाथी से आती है तो इसे बेहद शुभ माना जाता है। वहीं, इस बार दो अक्टूबर 2025 गुरुवार के दिन विजयदशमी है। माता के प्रस्थान का वाहन मनुष्य की सवारी होगा। ऐसे में लोगों को सुख शांति का अनुभव होगा। समय बहुत ही भाग्यशाली रहेगा।

    पं. रामदेव ने बताया कि 22 सितंबर को प्रातः पांच बजे से दोपहर तक कलश स्थापना का योग है। इसी दिन शैलपुत्री का पूजन होगा। 27 सितंबर पंचमी सुबह 8:46 तक है। इसके बाद षष्ठी है। इसीलिए 27 को बेल बोधन (बेल भरनी) शनिवार शाम को होगा। षष्ठी शाम को शनिवार को हो सकता है।

    28 सितंबर षष्ठी तिथि दिन 10:30 तक रहेगा या 28 सितंबर के शाम को भी बेल भरनी पूजन आमंत्रण व्यावहारिक रूप से मान्य है। 29 को महासप्तमी है। सोमवार को दिन 12:26 तक है। इसी दिन नवपत्रिका प्रवेश होगा। महानिशा पूजन रात को होगी, जिसमें चामुंडा देवी का पूजन व 108 दीप प्रज्वलित के साथ होगा।

    30 को महाअष्टमी दिन में 1:45 तक है। इसी समय संधि पूजा होगी। नवमी का उपवास भी होगा। एक अक्टूबर को महानवमी तिथि दोपहर 2:37 तक है। इस दिन कन्या पूजन, अपराजिता, शमी पूजन, नीलकंठ दर्शन, हवन होगा। मूर्ति विसर्जन गुरुवार को जो नहीं करते हैं, वे शाम को विसर्जन कर सकते हैं। दो अक्टूबर विजयादशमी तिथि दोपहर 2:57 तक है।