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    रावण को जलता देख कांप जाते हैं सेनापति अकंपन

    रांची के मुरारीलाल गुप्ता की रावण को जलता देख आंखें नम हो जाती हैं।

    By Sachin MishraEdited By: Updated: Fri, 29 Sep 2017 04:57 PM (IST)
    रावण को जलता देख कांप जाते हैं सेनापति अकंपन

    सौरभ सुमन, रांची। रावण को जलता देख रांची के मुरारीलाल गुप्ता की आंखें नम हो जाती हैं। दशहरा के दिन वह अपने घर से नहीं निकलते। न ही टीवी देखते हैं। आखिर देखें भी तो कैसे। महाबली लंकेश को जलते देखना आखिर उनके सेनापति अकंपन को कैसे पसंद आएगा?

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    रामानन्द सागर के प्रसिद्ध धारावाहिक रामायण के पात्र और रावण के सेनापति अकंपन का रोल रांची के मुरारीलाल ने निभाया था। वे आज भी पूरी रांची में रावण के सेनापति के नाम से ही जाने जाते हैं। रावण को जलता देख आज भी उनके चेहरे पर प्रतिशोध का भाव छलक जाता है। राम के प्रति भी श्रद्धा है, लेकिन अपने राजा के प्रति वफादारी की भावना सब पर भारी है।

    मुरारीलाल कहते हैं, 'रावण को हमेशा से एक भयानक राक्षस के रूप में ही जाना गया पर सच्चाई काफी अलग है। रावण जैसा ज्ञानी कोई नहीं था। आज की युवा पीढ़ी को राम के आदर्शो को अपनाने के साथ-साथ रावण के जीवन से प्रेरणा लेकर ज्ञान अर्जित करने की कोशिश करनी चाहिए। रामायण का असली मतलब यही है।' सेनापति के नाम से प्रसिद्ध मुरारीलाल गुप्ता बैंक की नौकरी से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। खाली समय में अभी भी वे अपने संवादों को याद करते हैं।

    कहते हैं, रामायण शूटिंग पूरी होने के कई सालों बाद तक राम मंदिर नहीं गया। अपने को रावण के परिवार का सदस्य ही समझता हूं। दशहरा के दिन तो शायद ही कभी मैं घर से बाहर निकला। अकंपन मेरे लिए सिर्फ एक किरदार नहीं, बल्कि मेरी जिंदगी का फलसफा बन गया।

    मुरारीलाल बताते हैं, बचपन से ही मशहूर होने की चाह थी। बात 1986 की है। लंबे चौड़े शरीर को देख सभी कहते थे मॉडलिंग में भाग्य क्यों नहीं आजमाते। उसी साल मुंबई पहुंचा। कुछ महीनों के संघर्ष के बाद मॉडलिंग के लिए चयन हुआ। उस समय दूरदर्शन पर हमलोग धारावाहिक काफी प्रसिद्ध था। देखा तो धारावाहिकों में काम करने की इच्छा हुई।

    रामायण की शुरुआत हुई थी। किसी तरह रामानन्द सागर व बीआर चोपड़ा से मुलाकात हुई। लंबे चौड़े शरीर तथा आवाज में दम को देखते ही उन्होंने मेरा स्क्रीन टेस्ट लिया। रामानंद जी ने मुझे अकंपन के पात्र को निभाने को कहा। मेरा पहला संवाद ही रावण के दरबार से शुरू हुआ और रातों रात मैं अकंपन के नाम से प्रसिद्ध हो गया। उस समय जहां भी निकलता लोग मुझे सेनापति के नाम से ही पुकारते थे। कई साल बीत गए पर आज भी उस दौर को नहीं भूल पाया। रामायण के किरदार ने एक पहचान दी है, जिससे बेहद प्यार है।

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