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कौशल विकास प्रशिक्षण में 29.83 करोड़ का घोटाला, कई संस्थानों पर केस दर्ज

वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोवाइडर प्रशिक्षण में 29.83 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी का मामला उजागर हुआ है, इससे श्रम विभाग में हड़कंप है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 09 Apr 2018 11:18 AM (IST)Updated: Mon, 09 Apr 2018 07:05 PM (IST)
कौशल विकास प्रशिक्षण में 29.83 करोड़ का घोटाला, कई संस्थानों पर केस दर्ज
कौशल विकास प्रशिक्षण में 29.83 करोड़ का घोटाला, कई संस्थानों पर केस दर्ज

प्रदीप सिंह, रांची। झारखंड में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी कौशल विकास की योजनाएं भ्रष्ट अधिकारियों की भेंट चढ़ रही हैं। वस्तुस्थिति यह है कि इस योजना के तहत होने वाले वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोवाइडर (वीटीपी) प्रशिक्षण में 29.83 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी का मामला उजागर हुआ है। इससे श्रम विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। विभागीय सचिव ने खुद इस बारे में मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) से जांच की गुहार लगाई है।

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पूरा मामला मुख्यमंत्री रघुवर दास की जानकारी में भी है और उन्होंने इसकी जांच कराने का आदेश दिया है। मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग को एसीबी जांच के लिए भेजे गए अनुशंसा पत्र में इसका जिक्र है। वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम के मद में 10 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है, जबकि 19 करोड़ रुपये से अधिक के बिल का भुगतान अभी बाकी है। इस लिहाज से इस महत्वाकांक्षी योजना में कुल मिलाकर 29.83 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला सामने आ रहा है। एसीबी इस बात की जांच करेगी कि वोकेशनल ट्रेनिंग के मद में जो भुगतान हुआ वह सही है या नहीं। लोगों को ट्रेनिंग दी गई या फिर ऐसे ही खानापूर्ति कर दी गई। वहीं, जिन बिलों का भुगतान होना है वह भी जांच के घेरे में है। आशंका है कि ये बिल फर्जी हैं। जमीन पर काम हुए बिना ये बिल सबमिट कर दिए गए। संस्थानों की भूमिका भी संदिग्ध है।

कौशल विकास से जुड़ी योजनाओं को वरीय अधिकारियों ने ही झटका दिया। इसके मुख्य सूत्रधार तत्कालीन सहायक निदेशक प्रशिक्षण (मुख्यालय) योगेंद्र प्रसाद और उप निदेशक प्रशिक्षण (मुख्यालय) शशिभूषण प्रसाद हैं। दोनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है। दोनों ने वीटीपी में 109 एजेंसियों को करोड़ों रुपये का भुगतान किया। सजा के तौर पर इन्हें पदानवत (डिमोट) किया गया। बताते हैं कि योगेंद्र प्रसाद की छह निजी आइटीआइ संस्थानों के संचालन में सीधी भागीदारी है। ये संस्थान घाटशिला, बोकारो, गोड्डा, देवघर, बोकारो और सरायकेला-खरसावां में हैं। जबकि शशिभूषण प्रसाद के संबंध हजारीबाग और बिहार के हाजीपुर व सोनपुर में चल रहे प्राइवेट आइटीआइ से हैं।

कई संस्थानों पर केस दर्ज

2011 से फर्जीवाड़े का गोरखधंधा चल रहा है। वीटीपी प्रशिक्षण मद में उत्थान इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पिठोरिया, रांची को 12,84,000 रुपये का भुगतान किया गया है। इसकी विभागीय पदाधिकारी के स्तर से जांच कराने पर गड़बड़ी पाई गई और संस्थान के खिलाफ एफआइआर किया गया। इसी प्रकार उत्थान इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रांची, कोक्सटैन एडमिनिस्टि्रेटिव एंड मैनेजमेंट कॉलेज, धनबाद एवं एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ इश्योरेंस एंड रिस्क मैनेजमेंट, लालपुर, रांची के खिलाफ प्रतिकूल प्रतिवेदन प्राप्त हुआ। ये वीटीपी वर्णित पते पर नहीं पाए गए।


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