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    Saryu Roy: 'बन्ना द्वारा मुझ पर लगाए गए आरोपों की जांच कराएं', सरयू राय ने मुख्यमंत्री को दे डाली चुनौती

    पूर्व मुख्यमंत्री सह विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अपील की है कि स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता द्वारा उन पर लगाए गए आरोपों की जांच किसी भी एजेंसी से करा ली जाए। सरयू राय ने इस संबध में बन्ना द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन भी किया है और मुख्य सचिव से इस संबध में जांच कराने की मांग की है।

    By Neeraj Ambastha Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Sun, 04 Aug 2024 04:47 PM (IST)
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    सरयू राय ने मुख्यमंत्री को जांच के लिए दे डाली चुनौती (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, रांची। पूर्व मुख्यमंत्री सह विधायक सरयू राय ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता द्वारा उनपर लगाए गए आरोपों की जांच कराने का अनुरोध मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से किया है। उन्होंने अपने पत्र में बन्ना द्वारा लगाए गए आरोपों का खंड भी किया है।

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    उन्होंने आग्रह किया है कि मुख्यमंत्री संबंधित संचिका मंगाकर अपने स्तर से इसकी जांच किसी भी एजेंसी से कराएं। इसकी जांच मुख्य सचिव से कराएं, महाधिवक्ता से इस पर मंतव्य प्राप्त करें या इसे सीबीआई या एसीबी को जांच के लिए भेज दें। इससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

    स्वास्थ्य मंत्री को लेकर क्या बोले सरयू राय

    सरयू ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री का उन पर पहला आरोप है कि उन्होंने खाद्य आपूर्ति विभाग के एक मंत्री के रूप में एक पणन पदाधिकारी (मार्केटिंग ऑफिसर) को बहाल कर दिया।

    जबकि पणन पदाधिकारियों की काफी कमी होने पर विभाग ने निर्णय लिया था कि विभाग से जो लोग सेवानिवृत हुए हैं। उनसे आवेदन मंगाकर नियुक्त किया जाए। इसी क्रम में एक सेवानिवृत पणन पदाधिकारी सुनील शंकर उनके पास अपना आवेदन लेकर आए थे।

    तब उन्होंने उस आवेदन को संचिका में लगाकर विभागीय सचिव को भेजा कि यदि इनपर कोई आरोप नहीं है और ये योग्य हैं, तो इन्हें संविदा पर नियुक्त कर लिया जाए। उन्होंने पत्रिका प्रकाश में गड़बड़ी के दूसरे आरोप का भी तथ्यों के साथ खंडन किया है।

    आटबाउंडिंग कॉल के आरोप पर क्या बोले?

    आउटबाउंडिंग कॉल के बारे में लगाए गए आरोप पर कहा कि इसके लिए एजेंसी का निर्धारण निविदा के आधार पर हुआ, जिसे निदेशालय ने किया था। इस निविदा में उनका कोई सरोकार नहीं था। इस कार्य की अवधि पूरी हो गई तथा उसके अवधि विस्तार का प्रस्ताव आया तो उन्होंने स्वीकृति दी।

    तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के नजदीकियों ने यह मामला जांच के लिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में भेजा, जहां जांचकर्ता ने कहा कि आवेदन में जो भी कागजात दिए गए वे सभी छायाप्रति हैं।

    इसकी मूल प्रति से मिलान करने के लिए पीई दर्ज कर जांच जरूरी प्रतीत होती है। इस मामले में खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने भी अलग से भी जांच किया है। मुख्यमंत्री इसकी फाइल मंगाकर जांच करा सकते हैं।

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