दामोदर नदी के प्रदूषण का फरवरी में फिर से होगा अध्ययन, विधायक सरयू राय के साथ जर्मनी के पर्यावरणविद भी रहेंगे साथ
जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने कहा कि अगले साल फरवरी में दामोदर नदी का फिर से अध्ययन किया जाएगा, जिसमें जर्मनी के पर्यावरणविद भी शामिल होंगे। ...और पढ़ें
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युगांतर भारती के कार्यक्रम को संबोधित करते विधायक सरयू राय। (जागरण)
राज्य ब्यूरो, रांची। जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक और दामोदर बचाओ आंदोलन के प्रणेता सरयू राय ने कहा है कि अगले साल फरवरी में दामोदर नदी का फिर से अध्ययन किया जाएगा।
इस अध्ययन में जर्मनी के पर्यावरणविद हस्को भी साथ में होंगे। उन्होंने दोहराया कि हमें नदी को गंदा करने से बचना चाहिए, क्योंकि हर मानसून में नदी स्वयं को साफ कर लेती है।
वे रविवार को युगांतर भारती, नेचर फाउंडेशन और आइआईटी (आईएसएम) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित झारखंड के जंगल और उद्योग-संभावनाएं, संतुलन और सतत विकास पर एक दिवसीय संगोष्ठी और युगांतर भारती की वार्षिक आमसभा को संबोधित कर रहे थे।
सरयू राय ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत जितने भी कड़े कानून बनाए जा सकते थे, बनाए गए। अब इनसे ज्यादा कड़े कानून नहीं बनाए जा सकते। हम लोगों ने तय कर लिया है कि चाहे कितने भी प्रविधान क्यों न बना दिए जाएं, उनका उल्लंघन ही करेंगे।
विकास का कार्य करेंगे तो प्रकृति पर प्रतिकूल असर होगा, यह साबित हो चुका है। अगर हम लोग इसे नियंत्रित कर लेते हैं, जैसे 60-70 के दशक में अमरीका ने किया था, तो दिक्कत नहीं होगी। अमेरिका में उन दिनों प्रदूषण एक बड़ी समस्या थी। लेकिन उसे नियंत्रित किया गया और उद्योग-धंधे भी चलाए गए।
अफसोस की बात है कि झारखंड के किसी भी शहर में मानक के अनुरूप प्रदूषण मापने वाला कोई यंत्र नहीं लगाया गया है। किसी के पास मशीन नहीं है। कहीं लगा भी नहीं है। धनबाद में एक लगा भी था तो वह अब काम नहीं कर रहा है।
धनबाद के केंदुआडीह में गैस रिसाव का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां नाइट्रोजन गैस नहीं डाला गया और फिर दबाव बढ़ने के कारण गैस धरती फाड़ कर निकली और फैल गई। अब पता चला है कि नाइट्रोजन गैस वहां डाला जा रहा है। अगर पहले ही डाल देते तो गैस लीक नहीं करती। चूंकि नियम-कानून की घोर उपेक्षा की गई, इसलिए ये सब हुआ।
जागरूकता के कारण पीने लायक हुआ दामोदर का जल
युगांतर भारती के अध्यक्ष अंशुल शरण ने कहा कि इस साल 45 स्थानों पर दामोदर महोत्सव का आयोजन किया गया। स्वर्णरेखा महोत्सव का भी शानदार आयोजन हुआ। साल भर जनजागरूकता के कार्य किए गए। वर्ष 2026 में इन कार्यक्रमों को और शानदार तरीके से किया जाएगा। दामोदर का पानी बीते कई सालों से लोग पी रहे हैं।
पहले कई स्थानों पर दामोदर का पानी जानवर भी नहीं पीते थे। यह बड़ा बदलाव है कि अब दामोदर में फिर से छठ होने लगा है। लोग इसमें नहा भी रहे हैं और रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल भी कर रहे हैं।
जंगल का हो संतुलित उपयोग
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि जंगल का इस्तेमाल संतुलित तरीके से हो। उद्योग भी संतुलित तरीके से लगे, तब ही फायदा है। झारखंड के जंगल ही जीवन का आधार हैं। इसका संतुलित इस्तेमाल जरूरी है। यहां स्मार्ट निवेश की सख्त जरूरत है।
इंडो क्लाइमेट लैब के सीईओ डॉ. दीपक सिंह ने कहा कि झारखंड ही नहीं, देश भर की औद्योगिक नीति ऐसी बनी है कि सब फंसे हुए हैं। डॉल्फिन रिसर्च सेंटर के अंतरिम निदेशक डॉ. गोपाल शर्मा ने कहा कि सरकार एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) लगा रही है, लेकिन यह जहां लगाना है, वहां नहीं लगाया जा रहा।
कई स्थानों पर यह उच्च स्थलों पर लगा दी जाती है, जबकि इसे निचले स्थान पर लगाना चाहिए। सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी संजय रंजन सिंह ने कहा कि हमें अब ऊर्जा के नए विकल्पों के बारे में सोचना होगा।

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