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ईसाई मिशनरियों की चाल है सरना धर्म कोड, हिदू हूं और वहीं रहूंगा

केंद्रीय युवा सरना चाला विकास समिति के अध्यक्ष सोमा उराव ने खुलकर कहा कि हिंदू हूं और हिंदू ही रहूंगा। राज्यपाल को आदिवासी सरना धर्म कोड विधेयक को वापस कर देना चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 06:58 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 06:58 PM (IST)
ईसाई मिशनरियों की चाल है सरना धर्म कोड, हिदू हूं और वहीं रहूंगा
ईसाई मिशनरियों की चाल है सरना धर्म कोड, हिदू हूं और वहीं रहूंगा

संजय कुमार, राची

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केंद्रीय युवा सरना चाला विकास समिति के अध्यक्ष सोमा उराव ने खुलकर कहा कि हमलोगों को सरना धर्म कोड नहीं चाहिए। अभी हिंदू श्रेणी धर्म कोड में हूं और उसी में रहना चाहता हूं। ईसाई मिशनरियों के विशप के इशारे पर आनन- फानन में आदिवासी सरना धर्म कोड विधेयक विधानसभा से पारित कर दिया गया। राज्यपाल को इस विधेयक को वापस कर देना चाहिए। वे रविवार को दैनिक जागरण से बातचीत कर रहे थे।

सोमा उराव ने कहा कि यदि अलग धर्म कोड मिल गया तो हमलोगों के सारे अधिकार छिन जाएंगे। आरक्षण मिलना बंद हो जाएगा। अभी भी आरक्षण का ज्यादा से ज्यादा लाभ धर्मातरित आदिवासी ही उठा रहे हैं। हिदू कोड बिल 1955 और 56 में हिदुओं की व्याख्या की गई है। हमलोग उसे ही मानते हैं। आदिवासी समाज के कुछ लोग ईसाई मिशनरियों के बहकावे में आकर अलग धर्म कोड की मांग करने में लगे हैं। लव जेहाद के खिलाफ झारखंड में भी बने कानून

सोमा उरांव ने कहा कि जिस तरह से उत्तर प्रदेश में लव जेहाद के खिलाफ कानून बनाया गया है उसी तरह झारखंड में भी कानून बनना चाहिए। दोषी व्यक्ति को 20 वर्ष सजा का प्रावधान होना चाहिए। यहां बड़ी संख्या में आदिवासी लड़कियों को बहला-फुसलाकर मुसलमान शादी कर रहे हैं और उनकी जमीन को भी हड़प ले रहे हैं। कहा, जनगणना में आदिवासियों की संख्या जो कम दिख रही है वे सभी धर्मातरित हो रहे हैं। इसलिए सरकार इस विधेयक को वापस ले।

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आदिवासी सरना धर्म कोड लागू होने पर आदिवासियों के लिए गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाएगी

जासं, रांची : एचईसी सेक्टर तीन में रविवार को झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति धुर्वा, जनजाति सुरक्षा मंच झारखंड, केंद्रीय युवा सरना चाला विकास समिति झारखंड, पुंदाग सरना समिति एवं अन्य सामाजिक संगठनों की एक बैठक हुई। बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए जनजाति सुरक्षा मंच के संयोजक संदीप उरांव ने कहा कि अलग सरना आदिवासी धर्म कोड मिल जाने के बाद भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत कोई भी व्यक्ति या कोई भी धर्म मानने वाला व्यक्ति सरना धर्म को स्वीकार कर सकता है। ऐसी परिस्थिति में जनजातियों के लिए गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाएगी। संविधान के तहत जनजातियों को अधिकार मिले हैं, उन सभी पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। वहीं झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति के अध्यक्ष मेघा उराव ने कहा कि दोहरा लाभ लेने वाले धर्म परिवíतत लोगों को जनजातियों की सूची से बाहर करने की जरूरत है, ताकि मूल धर्म मानने वाले लोगों को उन्हें पूरा का पूरा संवैधानिक हक और अधिकार मिल सके। इस संबंध में जल्द ही राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मिलकर ज्ञापन सौंपेंगे। मौके पर सनी टोप्पो, कुमुदिनी लकड़ा ,डाक्टर बुटन महली, जय मंत्री उरांव, विरसा भगत, लोरया उरांव, कृष्णा उरांव, संजय उराव, बालेश्वर पहन, गुरु चरण मुंडा, कावेरी उरांव, सुशीला उराव, राजू उरांव, बसना उरांव सहित कई लोग उपस्थित थे।


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