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    जीवन का मार्ग प्रशस्त करते हैं संस्कार

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 22 Sep 2021 08:30 AM (IST)

    बच्चों में अच्छे संस्कार के विकास के लिए मंगलवार को दैनिक जागरण संस्कारशाला का आयोजन किया गया।

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    जीवन का मार्ग प्रशस्त करते हैं संस्कार

    जागरण संवाददाता, रांची : बच्चों में अच्छे संस्कार के विकास के लिए मंगलवार को दैनिक जागरण की ओर से पुंदाग स्थित एसआर डीएवी पब्लिक स्कूल में संस्कारशाला का आयोजन किया गया। बच्चों और शिक्षकों ने 'सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान विषय पर आयोजित संस्कारशाला के वर्कशॉप में भाग लिया। वर्कशॉप में प्राचार्य के साथ बच्चों और शिक्षकों ने सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान और संस्कार पर अपने-अपने विचार रखे।

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    प्राचार्य संजय कुमार मिश्रा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए माता-पिता और गुरुजनों का सम्मान, धर्म, आत्मरक्षा, नैतिक, बौद्धिक व संस्कारित ज्ञान की बातें बताईं। उन्होंने कहा कि संस्कार हमारे जीवन का मार्ग प्रशस्त करते हैं। समाज में सम्मान से जीने का हक दिलाते हैं। व्यक्ति जैसा व्यवहार करता है, वैसा ही उसके संस्कारों का प्रदर्शन होता है। संस्कारों में ईमानदारी, त्याग, अनुशासन, साहस, परिश्रम आदि गुण हैं। इसके अभाव में हम सुखी व उन्नत जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। आज हर तरफ भौतिक विकास तो हो रहा है, परंतु संस्कार के अभाव में भयावह माहौल भी बन रहा है। अत: आवश्यक है कि बाल्यावस्था और किशोरावस्था में ही बच्चों को अच्छे संस्कार दें।

    यह अवस्था वृक्ष की कोमल शाखा की तरह होती है। यदि हमारे संस्कार अच्छे हैं, तो वह हमारा एक सुंदर चरित्र दर्शाएगा। यह संस्कारों के समायोजन और उनके अनुसरण से ही संभव है। संस्कारी सत्यवादी, ईमानदार व प्रिय होता है। संस्कारी व्यक्ति सबके सुख की कामना करता है। प्राचार्य ने कहा कि अच्छा परिवार व अच्छा वातावरण ही बच्चों को संस्कारी बनाता है। हमारे देश की संस्कृति सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है और इस देश को संस्कारी व ज्ञानी लोगों की ही आवश्यकता है। सार्वजनिक संपत्ति के सम्मान पर उन्होंने कहा कि मूल कर्तव्य में कहा गया है कि हमें हर हाल में सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखना है और हिसा से दूर रहना है। यदि कोई सार्वजनिक संपत्ति जैसे बस, ट्रेन, स्कूल इमारत आदि को नुकसान पहुंचाने कोशिश करता है, तो उसे रोकना चाहिए। जिम्मेदार नागरिकों का कर्तव्य है कि न केवल वह अपने परिवार और आसपास के लोगों को खुश रखे, बल्कि अपने नगर और समाज की उन्नति के लिए भी उचित कार्य करे।

    हमारा व्यवहार ही हमारे संस्कार को दिखाता है। जब हम किसी और से संपर्क साधते हैं, तो इस बात की आशा करते हैं कि वह अच्छा आचरण करे। यह जरूरी नहीं कि मुक्के का जवाब मुक्का ही हो। अच्छा आचरण और अच्छी आदतें, अच्छे मित्रों की तरह होती हैं, जो आपको ऐसी स्थिति में ले जाते हैं। दूसरों के आचरण पर ध्यान न देते हुए यदि आप सदैव सबसे अच्छा व्यवहार करते हैं, तो निश्चय ही आपकी अलग पहचान होगी। उसके आधार पर आप सबको प्रभावित कर सकेंगे। अपने कार्यस्थल पर आपके अच्छे व्यवहार का प्रदर्शन आपके सहकर्मियों में अच्छी छवि बनाएगा।

    - पंडित शैलेन्द्र कुमार पाठक, शिक्षक।

    अच्छे संस्कार ही सुखी जीवन की नींव है। बिना संस्कार के अच्छे चरित्र का निर्माण नहीं हो सकता। हमारे अंदर ईमानदारी एवं सच्चाई के संस्कार होने चाहिए। अच्छे संस्कारों से हमारी और हमारे परिवार की पहचान होती है। संस्कार हमें माता-पिता से, अध्यापकों से और अच्छी किताबों से भी मिलते हैं।

    - अंजली कुमारी गिरी, कक्षा-10

    हमें अपने माता-पिता का आदर करना चाहिए, क्योंकि संस्कारों की शुरुआत सबसे पहले हमारे माता-पिता से ही होती है। अगर उनके द्वारा दिए गए संस्कारों को हम अपनाएंगे और उनका समायोजन करेंगे, तब हम दुनिया में सब कुछ हासिल कर सकते हैं।

    - आकांक्षा कुमारी, कक्षा-9

    संस्कार हमें बहुत कुछ सिखाता है। बच्चों को अच्छे संस्कार मिलें, तो वह ऊंचाइयों को छू सकते हैं। लिहाजा, संस्कारों का विकास ही व्यक्ति को श्रेष्ठ बनाता है। इसकी शुरुआत घर से होती और यह पूरा विद्यालय में होता है। तभी व्यक्ति के लिए उन्नति के मार्ग प्रशस्त होता है।

    - ईशा आस्था, कक्षा-9

    आज की दुनिया में जो व्यक्ति संस्कारी नहीं है, वह पूर्ण नहीं है। अच्छे संस्कार ही एक अच्छे व्यक्तित्व का आधार होते हैं। आदर्श व्यक्ति वही होता है, जो अपने चरित्र में अच्छे संस्कारों का समायोजन करे। आपके संस्कार आपके परिवार एवं आपकी पहचान को प्रदर्शित करते हैं।

    - धर्मेश कुमार, कक्षा-9

    संस्कारों के ज्ञान के बिना हम आगे नहीं सकते हैं। यदि हमारे संस्कार अच्छे होंगे तो लोग हमें अच्छे व्यक्तित्व के तौर पर जानेंगे। यदि संस्कार ठीक नहीं होंगे तो लोग हमें गलत तरीके से जानेंगे। हमारे संस्कार ही हमारे व्यक्तित्व को दर्शाते हैं।

    - सुधांशु रंजन, कक्षा-9