Ranchi News: दिन के उजाले में उठ रही बालू, रात में धड़ल्ले से हो रही ढुलाई; काली थार से घूमते हैं सैंड माफिया
रांची के सिल्ली और सोनाहातू में बालू माफिया का अवैध कारोबार जारी है। दिन के उजाले में बालू का उत्खनन और रात में ढुलाई हो रही है। प्रशासनिक और राजनीतिक संरक्षण के चलते सिंडिकेट बिना डर के काम कर रहा है। ग्रामीणों द्वारा विरोध करने पर उन्हें धमकी दी जाती है। खान विभाग के निर्देशों के बावजूद अवैध खनन बदस्तूर जारी है।

प्रदीप सिंह, रांची। बालू माफिया पर नकेल कसने के राज्य सरकार के लाख प्रयास के बावजूद इनपर पूरी तरह लगाम नहीं लग पा रहा है। यह स्थिति तब है, जब खान विभाग ने इस आशय के सख्त निर्देश जारी कर रखे हैं।
इसके बावजूद राजधानी रांची से समीप स्थित सिल्ली और सोनाहातू के बालू घाटों से रोजाना बड़े पैमाने पर अवैध तरीके से बालू खनन की शिकायतें सरकार तक पहुंच रही हैं।
अवैध धंधे में लगा सिंडिकेट बगैर किसी भय के अपना काम कर रहा है। इन्हें प्रशासनिक के साथ-साथ राजनीतिक संरक्षण भी मिल रहा है। यही वजह है कि कोई इनके विरुद्ध आवाज उठाने को तैयार नहीं है।
रोज ऐसे ट्रकों का टोकन और उसका रजिस्ट्रेशन नंबर सिंडिकेट द्वारा जारी होता है। दिन के उजाले में घाटों से बालू का उठाव जेसीबी मशीनों के जरिए होता है।
शाम ढ़लते ही सड़कों पर बालू लदे हाईवा ट्रक गंतव्य की ओर निकलते हैं। कुछ दिन पूर्व सोनाहातू के जाडेया गांव के ग्रामीणों ने इस अवैध धंधे का वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया पर जारी किया था। इसके बाद ग्रामीणों को उनके कोप का शिकार होना पड़ा।
प्रभावी सिंडिकेट पूरे धमक के साथ करता है काम
स्थानीय लोगों ने बताया कि बालू के धंधे में लगा सिंडिकेट काफी प्रभावी है और यह पूरे धमक के साथ काम करता है। जमशेदपुर के आदित्यपुर का रहने वाला छोटू झा उर्फ विकास और रांची के दीपक महतो के इशारे पर सिल्ली में अवैध बालू का पूरा कारोबार संचालित हो रहा है।
रात के अंधेरे में किसी रोकटोक के बालू ढ़ोते ट्रक।
लग्जरी गाड़ियों से ये अक्सर इस क्षेत्र में देखे जाते हैं। इनका एक स्थानीय एजेंट है, जो बालू ढ़ोने वाली गाड़ियों का नंबर नोट करता है। इसी के आधार पर सारा हिसाब-किताब होता है।
कोई अगर विरोध करता है तो इसकी भी सूचना इसके स्तर से मुहैया कराई जाती है। शाम पांच बजे से इस काम में लगा सिंडिकेट सक्रिय हो जाता है।
बालू लदी गाड़ी लेकर जाने वाले यहां दीपक महतो एवं अमित महतो नामक व्यक्ति से टोकन हासिल करते हैं। दोनों इस क्षेत्र में काले रंग की थार से घूमते हैं।
पहले ट्रिप के लिए 20500 रुपये और उसी रात दूसरे ट्रिप के लिए आठ हजार रुपये जमा करना पड़ता है। पैसा जमा होने के बाद कोई बालू से लदी गाड़ी रोकने की हिम्मत नहीं करता। प्रत्येक ट्रिप के हिसाब से क्षेत्र में गश्ती करने वाले पुलिस वाहन को भी चढ़ावा आता है।
बालू के धंधे में सबका साथ
इस अवैध कारोबार में ऊपर से लेकर नीचे तक सबकुछ फिक्स है। दल भले ही अलग-अलग हो, लेकिन बालू के मोर्चे पर सब एकजुट हैं। दो बड़े नेताओं के नाम पर पैसे उठाने वाला शख्स है, जबकि एक दल से जुड़ा पदाधिकारी सीधे इस सिंडिकेट से वसूली करता है।
नदी से बालू खनन में मुरली कोइरी उर्फ तिलकधारी, मनोज महतो उर्फ फौजी, चौधरी महतो, परदेसी महतो, बोलाई महतो, शंकर साहू, विपिन कुमार सिंह आदि के नाम स्थानीय लोग बताते हैं।
इन्हें गाड़ियो का नंबर दे दिया जाता है। नंबर मिलते ही इनके द्वारा राढू एवं कांची, स्वर्णरेखा नदी में धड़ाधड़ बालू वाहनों पर लादा जाता है। कुछ अवैध उत्खनन करने वालों की अपनी गाड़ियां भी हैं।
खान विभाग के मुताबिक अवैध खनन की शिकायतें मिलने पर कार्रवाई की जाती है। संबंधित पदाधिकारी अक्सर बालू घाटों का निरीक्षण कर कार्रवाई करते हैं।
कुछ ऐसे रेट होता है तय
जेसीबी से घाट पर बालू लोडिंग का शुल्क 5000 रुपये है। इसके बाद राजनीतिक दलों को एक हजार से तीन हजार रुपये प्रति ट्रक फिक्स है। ऊपर के नाम पर साढ़े ग्यारह हजार रुपये का उठाव होता है। इसके बाद पुलिस पदाधिकारियों के लिए अलग-अलग एक हजार और गश्ती पार्टी के लिए 500 रुपये।
पर्व-त्योहार और मेले के दौरान अलग से वसूली होती है। ग्रामीण इलाके के जनप्रतिनिधियों और चुनिंदा स्थानीय पत्रकारों को प्रति माह पांच हजार रुपये से छह हजार रुपये तय है।
सिल्ली, सोनाहातू के मुख्य बालूघाट, जहां चल रहा अवैध उठाव
अवैध तरीके से बालू खनन झाबरी, सोनाहातू, बिरदीडीह, जाडेया, सोमाडीह, गोमियाडीह, डोमाडीह, गड़ाडीह, भकुआडीह, बांधडीह, श्यामनगर, सुंडी, हजाम, जयनगर, पतराहातु, पोबरा और बसंतपुर घाट पर होता है।
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