Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विश्व के सबसे बड़े संगठन RSS में कैसे होता है चुनाव, जानिए पूरी प्रक्रिया

    By Sujeet Kumar SumanEdited By:
    Updated: Thu, 21 Jan 2021 02:49 PM (IST)

    RSS Election Process विश्व का शायद ही कोई ऐसा संगठन हो जिसका चुनाव इतने शांतिपूर्ण ढंग से होता है। चुनाव संपन्‍न होने के बाद भी न कोई ताली बजाई जाती है और न ही चुने गए को माला पहनाया जाता है।

    Hero Image
    इस चुनाव में न ताली बजाई जाती है, न माला पहनाया जाता है।

    रांची, [संजय कुमार]। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में सरसंघचालक के बाद सरकार्यवाह का पद सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। विश्व के सबसे बड़े संगठन के दूसरे प्रमुख पद के लिए जब चुनाव होता है तो न ही कोई तामझाम रहता है, और न ही कोई दिखावा। विश्व का शायद ही कोई ऐसा संगठन हो जिसका चुनाव इतनी शांतिपूर्ण ढंग से होता है। चुनाव संपन्‍न होने के बाद भी न कोई ताली बजाई जाती है और न ही चुने गए व्‍यक्ति को माला पहनाया जाता है। इस चुनाव की प्रक्रिया में पूरी केंद्रीय कार्यकारिणी, क्षेत्र व प्रांत के संघचालक, कार्यवाह व प्रचारक और संघ की प्रतिज्ञा किए हुए सक्रिय स्वयंसेवकों की ओर से चुने गए प्रतिनिधि शामिल होते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    संघ में प्रत्येक तीन वर्ष पर चुनावी प्रक्रिया जिला स्तर से शुरू होती है। पहले जिला व महानगर संघचालक का चुनाव होता है। उसके बाद विभाग संघचालक और फिर प्रांत संघचालक का चुनाव किया जाता है। चुनाव के बाद ये सभी अधिकारी अपनी नई टीम की घोषणा करते हैं। उसके बाद अखिल भारतीय स्तर पर प्रतिनिधि सभा की बैठक में सरकार्यवाह का चुनाव किया जाता है। उसी बैठक में क्षेत्र संघचालक का भी चुनाव होता है।

    बैठक के अंतिम दिन होता है चुनाव

    प्रतिनिधि सभा की बैठक में दो दिनों तक सभी प्रांतों के कार्यवाह, प्रचारक एवं विविध संगठनों के लोग अपने कामों का लेखा-जोखा रखते हैं। विभिन्न विषयों पर चर्चा होती है। आगामी वर्ष में होने वाले कार्यों को लेकर चर्चा करते हैं। अंतिम दिन जब बैठक शुरू होती है तब सरकार्यवाह वर्ष भर का प्रतिवेदन रखते हैं। उसके बाद घोषणा करते हैं कि मैंने अपने तीन वर्षों का कार्यकाल पूरा कर लिया। अब आप लोग जिन्हें चाहें इस दायित्व के लिए चुन सकते हैं। फिर वे मंच से उतरकर सामने आकर सभी लोगों के साथ बैठ जाते हैं। उस समय मंच पर केवल सरसंघचालक बैठे रहते हैं। इस बार यह दो दिनों की ही बैठक है। इसलिए 20 मार्च को सरकार्यवाह का चुनाव होगा।

    चुनाव पदाधिकारी सरकार्यवाह के लिए मांगते हैं नाम

    चुनाव के लिए एक चुनाव पदाधिकारी और एक पर्यवेक्षक पहले से तय रहते हैं। बैठक के अंतिम दिन चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद चुनाव पदाधिकारी इस प्रक्रिया में शामिल लोगों से सरकार्यवाह के नाम का प्रस्ताव मांगते हैं। कोई व्यक्ति खड़ा होकर नाम की घोषणा करता है। दूसरा उसका अनुमोदन कर देता है। चुनाव पदाधिकारी घोषणा करते हैं कि कोई और नाम इसके लिए प्रस्तावित है तो बताएं।

    जब कोई नाम नहीं आता है तब सर्वसम्मति से सरकार्यवाह के लिए उस नाम की घोषणा चुनाव पदाधिकारी की ओर से की जाती है। उसके बाद उन्हें सम्मानपूर्वक मंच पर ले जाकर सरसंघचालक के साथ बैठा दिया जाता है। उसके बाद सरकार्यवाह अपनी टोली के नामों की घोषणा करते हैं। फिर बैठक होती है और आगामी कार्ययोजना पर चर्चा होती है। संघ के इतिहास में अब तक सर्वसम्मति से ही सरकार्यवाह का चुनाव हुआ है।

    2000 सक्रिय स्वयंसेवकों पर एक केंद्रीय प्रतिनिधि चयनित होते हैं

    प्रतिनिधि सभा में भाग लेने के लिए देश के सभी राज्यों में केंद्रीय प्रतिनिधि का चुनाव होता है। सभी राज्यों में 50 सक्रिय व प्रतिज्ञाधारी स्वयंसेवक पर एक प्रांतीय प्रतिनिधि चुने जाते हैं। फिर 40 प्रांतीय प्रतिनिधि पर एक केंद्रीय प्रतिनिधि चुने जाते हैं। इस तरह 2000 सक्रिय स्वयंसेवक पर एक केंद्रीय प्रतिनिधि चुने जाते हैं। वे ही सरकार्यवाह के चुनाव में भाग लेते हैं।

    अब तक चुने गए सरकार्यवाह के कुछ नाम

    माधव राव सदाशिवराव गोलवलकर उर्फ गुरुजी (बाद में द्वितीय सरसंघचालक बने), भैयाजी दानी, एकनाथ राणाडे, माधव राव मूले, बाला साहब देवरस उपाख्य दत्तात्रेय देवरस (बाद में तृतीय सरसंघचालक बने), रज्जू भैया उपाख्य डाक्टर राजेंद्र सिंह (बाद में चौथे सरसंघचालक बने), हो वे शेषाद्री, डा. मोहन भागवत (वर्तमान सरसंघचालक), भय्याजी जोशी (वर्तमान सरकार्यवाह)।