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    दत्तात्रेय होसबले बने RSS के सरकार्यवाह, प्रतिनिधि सभा की बैठक में हुआ चुनाव

    By Sujeet Kumar SumanEdited By:
    Updated: Sat, 20 Mar 2021 07:43 PM (IST)

    RSS Election Jharkhand News संघ में प्रत्येक तीन वर्षों पर चुनाव की प्रक्रिया अपना कर जिला संघचालक विभाग संघचालक प्रांत संघचालक क्षेत्र संघचालक के साथ ...और पढ़ें

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    RSS Election, Jharkhand News दत्तात्रेय होसबले RSS के सरकार्यवाह चुने गए हैं।

    रांची, [संजय कुमार]। RSS Election, Jharkhand News राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नए  सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले चुने गए हैं। बेंगलुरु के चेन्नहल्ली स्थित जनसेवा विद्या केंद्र में चल रहे प्रतिनिधि सभा की बैठक के अंतिम दिन शनिवार को नए सरकार्यवाह का चुनाव किया गया। संघ की प्रतिनिधि सभा ने सर्वसम्मति से अगले तीन वर्षों के लिए दत्तात्रेय को सरकार्यवाह चुन लिया। उससे पहले वे सह सरकार्यवाह का दायित्व संभाल रहे थे।

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    उल्लेखनीय है कि संघ में प्रत्येक तीन वर्षों पर चुनाव की प्रक्रिया अपना कर जिला संघचालक, विभाग संघचालक, प्रांत संघचालक, क्षेत्र संघचालक के साथ साथ सरकार्यवाह का चुनाव होता है। फिर ये लोग अपनी टीम की घोषणा करते हैं, जो अगले तीन वर्षों तक काम करते हैं। आवश्यकतानुसार बीच में भी कुछ पदों पर बदलाव होता रहता है। क्षेत्र प्रचारक और प्रांत प्रचारकों के दायित्व में बदलाव भी प्रतिनिधि सभा की बैठक में होती है। संघ में प्रतिनिधि सभा निर्णय लेने वाला विभाग है। सरकार्य का चुनाव आमतौर पर नागपुर में होता है, लेकिन महाराष्‍ट्र में कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण इस बार नागपुर की जगह बेंगलुरू में यह बैठक हुई है।  

    इससे पूर्व सुरेश भय्याजी जोशी सरकार्यवाह थे। हालांकि 2018 के चुनाव में भय्याजी ने सरकार्यवाह के दायित्व से मुक्त करने का आग्रह किया था, लेकिन उनके नेतृत्व में संघ के बढ़ते कामों को देखते हुए संघ ने उन्हें फिर से यह दायित्व देने का निर्णय लिया था।

    अंग्रेजी से किया एमए

    कर्नाटक के रहने वाले दत्तात्रेय होसबले का जन्म एक दिसंबर 1954 को हुआ है। वर्ष 1968 में वे कर्नाटक के शिवमोंगा जिला में संघ के संपर्क में आए और स्वयंसेवक बने। 1978 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्णकालिक सदस्‍य बने और 1990 में प्रचारक की घोषणा हुई। अंग्रेजी से इन्होंने एमए किया है। विद्यार्थी परिषद में क्षेत्रीय और राष्ट्रीय महामंत्री के साथ ही अखिल भारतीय संगठन मंत्री भी थे। संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख भी रहे हैं। उसके बाद सह सरकार्यवाह का दायित्व संभाला।

    ऐसे होता है आरएसएस के सरकार्यवाह का चुनाव

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में सरसंघचालक के बाद सरकार्यवाह का पद सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। विश्व के सबसे बड़े संगठन के दूसरे प्रमुख पद के लिए जब चुनाव होता है तो कोई तामझाम नहीं रहता है और न ही कोई दिखावा होता है। इस चुनाव की प्रक्रिया में पूरी केंद्रीय कार्यकारिणी, क्षेत्र व प्रांत के संघचालक, कार्यवाह व प्रचारक और संघ की प्रतिज्ञा किए हुए सक्रिय स्वयंसेवकों की ओर से चुने गए प्रतिनिधि शामिल होते हैं।