आरएसएस का शताब्दी समारोह: स्वयंसेवक घर-घर जाकर देंगे संगठन के कार्यों की जानकारी
रांची में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रांत संपर्क प्रमुख राजीव कमल बिट्टू ने कहा कि डॉ. हेडगेवार ने विजयादशमी के दिन आरएसएस की स्थापना की। उन्होंने स्वयंसेवकों द्वारा देश विभाजन के समय शरणार्थियों की मदद और संघ कार्य को सर्वव्यापी बनाने की तैयारियों पर प्रकाश डाला। शताब्दी समारोह को लेकर स्वयंसेवकों में उत्साह है।

संजय कुमार, रांची। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संपर्क प्रमुख राजीव कमल बिट्टू ने कहा कि डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने विजयादशमी के दिन आरएसएस की स्थापना की थी। कांग्रेस पार्टी में रहते हुए भी हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार से वे दुखी थे। वे दो बार जेल भी गए परंतु उन्हें लगा कि हिंदू जब तक सशक्त नहीं होगा, समस्याएं बनी रहेंगी।
उसके बाद अपने साथियों के साथ विचार करके आरएसएस की स्थापना की। प्रारंभिक दिनों में स्वयंसेवकों को काफी यातनाएं भी झेलनी पड़ी। महात्मा गांधी की हत्या के बाद तो संघ के स्वयंसेवकों को समाज में काफी कुछ सुनना पड़ा। स्वयंसेवकों के घरों तक जला दिए गए। परिवार में भी सम्मान नहीं मिल रहा था।
समाज संघ को स्वीकार्य कर चुका
संघ पर प्रतिबंध भी लगा दिया गया था, परंतु परिस्थितियां बदली। धीरे-धीरे संघ कार्य पूरे भारत में फैल गया। संघ के शताब्दी वर्ष में समाज संघ को पूरी तरह स्वीकार्य कर चुका है। लोग संघ से जुड़ने के लिए तैयार रहते हैं। यहां तक पहुंचने में संघ की चार पीढ़ियां लग गई।
बिट्टू मंगलवार को लातेहार के चंदवा में आरएसएस के शताब्दी समारोह उत्सव को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश विभाजन के समय संघ के स्वयंसेवकों ने पाकिस्तान से आने वाले शरणार्थियों की काफी मदद की। हजारों लोगों के जान बचाए। झारखंड में भी स्वयंसेवकों ने काफी मदद की।
संघ कार्य को सर्वव्यापी बनाने की तैयारी
उन्होंने कहा कि संघ कार्य सर्वस्पर्शी और सर्वव्यापी बने, इसके लिए शताब्दी वर्ष में कई कार्य लिए गए हैं। स्वयंसेवक घर-घर जाकर संघ के बारे में लोगों को बताएंगे। सामाजिक सदभाव बैठकें होंगी, सभी बस्तियों व मंडलों में हिंदू सम्मेलन होगा और युवाओं के लिए गोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। अगले एक वर्ष तक इस कार्य में स्वयंसेवक लगेंगे।
शताब्दी समारोह को लेकर है काफी उत्साह
संघ के शताब्दी समारोह को लेकर स्वयंसेवकों में काफी उत्साह है। सभी मंडलों व बस्तियों में आयोजन किया जा रहा है। पथसंचलन में बड़ी संख्या में स्वयंसेवक शामिल हो रहे हैं। विविध संगठनों में कार्य करने वाले लोग भी पूर्ण गणवेश में शामिल हो रहे हैं।
झारखंड में मंगलवार को दर्जनों स्थानों पर कार्यक्रम हुए। दो अक्टूबर को नागपुर में मुख्य कार्यक्रम होगा, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द शामिल होंगे। सरसंघचालक मोहन भागवत स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे। अलग-अलग माध्यमों से इसके लाइव प्रसारण की भी व्यवस्था की गई है।
स्वदेशी को अपनाने की है जरूरत
मंगलवार को रांची में कई स्थानों पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कुटे बस्ती में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए महानगर कार्यवाह दीपक पांडेय ने स्वदेशी पर जोर दिया। कहा, इसे अपनाने की जरूरत है।
स्वदेशी भाषा, भूषा, भजन, भोजन, भवन और भ्रमण को बढ़ावा देने की जरूरत है। कोई भी भाषा समाज को जोड़ने के लिए है, तोड़ने के लिए नहीं।
उन्होंने कहा कि भारत माता को परम वैभव पर ले जाने के लिए हमें अपनी विसंगतियों को दूर करना होगा। शक्ति की साधना सबके लिए अनिवार्य है। दो अक्टूबर विजयादशमी के दिन कई स्थानों पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। कई स्थानों पर पथसंचलन भी निकाले जाएंगे।
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