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    Chitrapat Bharati National Short Film Festival: आरएसएस के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख आलोक कुमार ने कहा, स्थानीय भाषा, संस्कृति और परंपरा का विकास फिल्मों में निहित

    Chitrapat Bharati National Short Film Festival राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख आलोक कुमार ने कहा कि स्थानीय भाषा संस्कृति तथा परंपरा का विकास फिल्मों में निहित है। भारतीय फिल्म नवरस से भरा पड़ा है। इसमें हास्य व्यंग आदि - आदि चीजों का समागम है।

    By Kanchan SinghEdited By: Updated: Wed, 29 Sep 2021 03:37 PM (IST)
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    चित्रपट भारती राष्ट्रीय लघु फिल्मोत्सव के पोस्टर विमोचन कार्यक्रम शामिल हुए आरएसएस के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख आलोक कुमार।

    रांची,जासं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख आलोक कुमार ने कहा कि स्थानीय भाषा, संस्कृति तथा परंपरा का विकास फिल्मों में निहित है। भारतीय फिल्म नवरस से भरा पड़ा है। इसमें हास्य व्यंग आदि - आदि चीजों का समागम है। भारतीय फिल्म मनोरंजन की विधा को पूरा विश्व स्वीकार करता है। अब पश्चिम के फिल्मों में संवेदना, गीत - संगीत प्रस्तुत किए जा रहे हैं जो भारतीय फिल्मों की विचारधारा से प्रेरित है। भारतीय परंपरा में मनोरंजन को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। मानवीय सभ्यता के उदय से लेकर वर्तमान समय तक मनोरंजन को अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम माना जाता है। चाहे वह गायन, नाटक या चित्र हो, मनोरंजन सर्वोच्च रहा है।

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    कालिदास का अभिज्ञान शकुंतलम के नाटक के माध्यम से मनोरंजन की अभिव्यक्ति की गई है। लालटेन के सहारे रामलीला का मंचन पुराने समय में होता रहा है। सभी में यह देखा गया है कि आदिम काल से मनोरंजन स्थानीय भाषा, संस्कृति तथा परंपरा के विकास का द्दोतक रहा है। वे बुधवार को चित्रपट भारती राष्ट्रीय लघु फिल्मोत्सव 2022 के पोस्टर विमोचन कार्यक्रम के अवसर पर लोगों को संबोधित कर रहे थे। विमोचन कार्यक्रम का आयोजन चित्रपट झारखंड की ओर से सरला बिरला विश्वविद्यालय के सभागार में किया गया था। उल्लेखनीय है कि 18 से 20 फरवरी 2022 तक भोपाल में चित्रपट भारती की ओर लघु फिल्मोत्सव का आयोजन किया गया है।

    उन्होंने कहा कि आज पूरे विश्व के फिल्म उद्योगों में भारत की भागीदारी 12.5 प्रतिशत है जो दर्शाता है कि भारतीय फिल्म की भूमिका समाज निर्माण में अतुलनीय है। यहां लघु फिल्मों का बड़ा संसार है। लघु फिल्मों के माध्यम से लोग अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी जीत रहे हैं । आज हम राष्ट्रीय स्तर पर लघु फिल्म उत्सव मनाने जा रहे हैं। आगे चलकर स्थानीय व संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रांतीय स्तर पर फिल्मोत्सव आयोजित करेंगे।

    लघु फिल्मों के माध्यम से स्थानीय बोलियों व भाषाओं को उजागर करना है

    आलोक कुमार ने कहा कि हमारा उद्देश्य लघु फिल्मों के माध्यम से स्थानीय बोलियों, भाषाओं , संस्कृतियों, परंपराओं को उजागर करना है। हमारा ध्येय है कि लघु फिल्मों के माध्यम से सकारात्मक परंपरा का निर्माण किया जाए और नकारात्मकता से परहेज किया जाए। उन्होंने कहा की 2019 में 25 भाषाओं में फिल्में बनी है। जिनमें सर्वाधिक 495 फिल्में हिंदी में बनीं। इसके साथ ही तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, तमिल में कुल 1090 फिल्में बनीं। इससे जाहिर होता है कि भारतीय समाज पर फिल्मों का कितना गहरा असर है।

    आधुनिक काल में दादा साहब फाल्के द्वारा 1913 में पहली फ़िल्म बनाई गई। इसके साथ ही पहली चलती बोलती फिल्म 1931 में आलम आरा आई। जो भारतीय समाज की संस्कृति, परंपरा और विकास का प्रतिबिंब बनी। कहा कि भगवान बुद्ध की जातक कथाओं जिसमें जानवर भी बोलते हैं उससे प्रेरित होकर पश्चिम में टॉम एंड जेरी जैसी एनिमेशन फिल्मों का निर्माण हुआ।

    कथा लेखन प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागियों को किया गया सम्मानित

    इस अवसर पर चित्रपट झारखंड द्वारा आयोजित कथा लेखन प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। इसमें प्रथम स्थान डॉ. लोधा उरांव, द्वितीय स्थान प्रकाश मिश्रा तथा तृतीय स्थान मयंक मिश्रा को प्राप्त हुआ। मौके पर सरला बिरला विश्वविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. प्रदीप वर्मा, कुलसचिव डा. विजय कुमार सिंह, आरएसएस के प्रांत प्रचार प्रमुख धनंजय सिंह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रांची विभाग बौद्धिक प्रमुख आशुतोष कुमार, डाक्टर सुशील अंकन, सुमित मित्तल, डा. संदीप कुमार, प्रो आरएम झा, डा. भारद्वाज शुक्ला तथा समन्वयक नंद कुमार सिंह उपस्थित थे।