GST Scam: रांची में श्याम ठक्कर के ठिकाने से 12 लाख व जमशेदपुर के ज्ञानचंद्र जायसवाल के यहां मिले थे 15 लाख रुपये, हवाला से करोड़ों के लेनदेन
राज्य में 730 करोड़ रुपये के जीएसटी घोटाले में मनी लांड्रिंग के तहत जांच कर रही ईडी ने छापेमारी के दौरान दो कारोबारियों के ठिकानों से 27 लाख रुपये नकदी बरामद की है। इनमें रांची के कारोबारी श्याम ठक्कर के ठिकाने से 12 लाख रुपये नकदी के अलावा जमशेदपुर के कारोबारी ज्ञानचंद्र जायसवाल के ठिकाने से 15 लाख रुपये नकदी की बरामदगी शामिल है।

राज्य ब्यूरो, रांची । राज्य में 730 करोड़ रुपये के जीएसटी घोटाले में मनी लांड्रिंग के तहत जांच कर रही ईडी ने छापेमारी के दौरान दो कारोबारियों के ठिकानों से 27 लाख रुपये नकदी बरामद की है।
इनमें रांची के कारोबारी श्याम ठक्कर के ठिकाने से 12 लाख रुपये नकदी के अलावा जमशेदपुर के कारोबारी ज्ञानचंद्र जायसवाल के ठिकाने से 15 लाख रुपये नकदी की बरामदगी शामिल है।
इसके अलावा इस छापेमारी में कागजी कंपनियों के नाम पर फर्जी बिल तैयार करने, हवाला के जरिये करोड़ों रुपये के लेन-देन की जानकारी मिली है।
भारी मात्रा में इससे संबंधित दस्तावेज व डिजिटल साक्ष्य मिले हैं, जिसका सत्यापन हो रहा है। ईडी ने सात अगस्त को झारखंड, पश्चिम बंगाल व महाराष्ट्र से जुड़े आठ ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी।
पूरा मामला पूर्व में गिरफ्तार पश्चिम बंगाल के कारोबारी शिवकुमार देवड़ा से संबंधित था। ईडी की यह छापेमारी धनबाद के व्यवसायी अमित अग्रवाल, अमित अग्रवाल की धनबाद के झरिया स्थित जगदंबा
फर्नीचर, जमशेदपुर के बबलू जायसवाल उर्फ ज्ञान चंद्र जायसवाल, पश्चिम बंगाल के हावड़ा के राज जायसवाल, झारखंड के सरायकेला के पंचानन सरदार, रांची के श्याम ठक्कर व उनकी कंपनी कामधेनु इंटरप्राइजेज तथा महाराष्ट्र के नवी मुंबई के अंकेश जैन उर्फ मल्लिक से जुड़े ठिकानों पर की थी।
सभी व्यवसायी हैं। इनमें महाराष्ट्र के नवी मुंबई के अंकेश जैन उर्फ मल्लिक के ठिकाने पर दो दिनों तक लगातार छापेमारी हुई है। इन कारोबारियों पर फर्जी जीएसटी बिल जारी कर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का लाभ लेने का आरोप है।
इन कारोबारियों ने कागजी कंपनियां बनाईं और उनके नाम से करोड़ों रुपये के फर्जी बिल बनाकर यह घोटाला किया है। आरोप है कि फर्जी बिल तैयार कर कमीशन के रूप में एक तिहाई हिस्सा लेते थे।
ये कागजी कंपनियों के नाम पर कोयला, लोहा, स्क्रैप आदि की खरीद-बिक्री के लिए फर्जी बिल तैयार करते थे। इन कंपनियों में आनलाइन नौकरी के नाम पर भी युवाओं को फंसाया गया था।
उनके आधार, पैन, फोटो बैंक डिटेल लेकर कागजी कंपनियां बनाईं गई और उन्हें प्रतिमाह 10-15 हजार रुपये भी दिए गए, ताकि यह साबित किया जा सके कि कंपनियां कार्यरत थीं।
समन कर सबको पूछताछ के लिए बुलाएगी ईडी
ईडी ने सात व आठ अगस्त को जिन आठ ठिकानों पर छापेमारी की थी, उन सभी संदिग्धों, आरोपितों को अब एक-एक कर समन कर पूछताछ के लिए बुलाएगी। उनसे जीएसटी घोटाले में मिले तथ्यों, डिजिटल साक्ष्यों आदि के बारे में जानकारी जुटाएगी।
इससे पहले ईडी ने आठ मई को छापेमारी कर जमशेदपुर के जुगसलाई से कारोबारी अमित कुमार अग्रवाल उर्फ विक्की भालोटिया, कोलकाता से शिव कुमार देवड़ा, मोहित देवड़ा व अमित गुप्ता को गिरफ्तार किया था। सभी वर्तमान में रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद हैं।
इनसे पूछताछ में मिले इनपुट के आधार पर ही ईडी ने सात अगस्त को छापेमारी की, जिसमें हवाला से लेनदेन व अन्य फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है।
गत माह ही ईडी ने गिरफ्तार चारों आरोपितों पर दाखिल चार्जशीट में यह खुलासा किया था कि इनलोगों ने 135 कागजी कंपनियों की मदद से 5000 करोड़ का फर्जी बिल जारी कर 730 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का लाभ लिया था।
छापेमारी के दौरान ईडी ने आरोपितों के ठिकानों से 29 लाख रुपये जब्त की थी। उनकी कागजी कंपनियों के बैंक खातों में जमा 63 लाख रुपये को फ्रीज भी कराया था और उनकी 5.30 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति को भी जब्त की थी।
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