Jharkhand High Court: मुवक्किल से बात कर रहे अधिवक्ता को RPF ने भेज दिया समन, हाई कोर्ट ने कहा- दुर्भाग्यपूर्ण
धनबाद आरपीएफ इंस्पेक्टर ने मुवक्किल से बात करने पर बचाव पक्ष के अधिवक्ता को ही समन कर दिया। झारखंड हाई कोर्ट ने अधिवक्ता को समन कर पूछताछ के लिए तलब किए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। साथ ही पूछताछ के लिए जारी नोटिस पर रोक लगा दी है। अदालत ने धनबाद एसपी आरपीएफ धनबाद के इंस्पेक्टर केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

राज्य ब्यूरो, रांची। धनबाद आरपीएफ इंस्पेक्टर ने मुवक्किल से बात कर रहे अधिवक्ता को ही समन कर दिया। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत में मुवक्किल को कानूनी सलाह देने वाले अधिवक्ता को समन जारी करने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई।
अदालत ने अधिवक्ता को समन कर पूछताछ के लिए तलब किए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। साथ ही पूछताछ के लिए जारी नोटिस पर रोक लगा दी है और दोबारा नोटिस नहीं भेजने का निर्देश दिया है।
अदालत ने धनबाद एसपी, आरपीएफ धनबाद के इंस्पेक्टर, केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 10 सितंबर को होगी।
इस संबंध में अग्निवा सरकार ने याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि रेलवे संपत्ति पर कब्जा करने के आरोपित के वह वकील हैं। अपने मुवक्किल से बातचीत के आधार पर आरपीएफ के जांच अधिकारी ने उन्हें समन जारी कर 27 जुलाई को पूछताछ के लिए बुलाया है।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता अपने मुवक्किल से बात करते हैं और उन्हें बचाने का भरोसा देते हैं। ऐसे में जांच अधिकारी का उन्हें नोटिस देकर पूछताछ के लिए बुलाना उचित नहीं है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि आरपीएफ ने एक आरोपित के जिस बयान के आधार पर वकील को समन जारी कर तलब किया है, उससे समन के औचित्य पर सवाल उठता है।
अभियुक्त का बचाव कर रहे एक अधिवक्ता को जांच अधिकारी द्वारा तलब करना वास्तव में परेशान करने वाला है। अधिवक्ता और उसके मुवक्किल के बीच कोई भी संवाद, चाहे उसके मुवक्किल की स्थिति कुछ भी हो, एक विशेषाधिकार प्राप्त संवाद है।
उसने अभियुक्त के साथ जो कुछ भी संवाद किया है, उसे किसी भी जांच अधिकारी के समक्ष प्रकट करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
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