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    Rohini Mine: आज बंद हो जाएगी रोहिणी खदान, 425 कामगारों का भविष्य अंधकार में; जानिए क्या है वजह

    By Dhirendra Prasad Edited By: Aysha Sheikh
    Updated: Sun, 31 Dec 2023 12:31 PM (IST)

    Jharkhand News रोहिणी खदान को बंद करने का निर्णय ले लिया गया है। रोहिणी परियोजना ने 312 मिलियन टन से भी अधिक कोयला उत्पादन कर दिया है। यहां की मैन पाव ...और पढ़ें

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    Rohini Mine: आज बंद हो जाएगी रोहिणी खदान, 425 कामगारों का भविष्य अंधकार में; जानिए क्या है वजह

    संवाद सूत्र, खलारी। सीसीएल एनके एरिया की एक महत्वपूर्ण परियोजना रोहिणी को बंद करने का निर्णय ले लिया गया है। रोहिणी परियोजना ने 1992-93 से सीसीएल को अब तक 312 मिलियन टन से भी अधिक कोयला उत्पादन कर दिया है।

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    रोहिणी परियोजना के पास खदान चलाने के लिए राज्य सरकार द्वारा दिए जाने वाला कंसर्न टू आपरेट (सीटीओ) 31 दिसंबर को समाप्त हो जाएगा। पुनः सीटीओ लेने के पहले इनवायरमेंट क्लीयरेंस (ईसी) लेने की जरूरत है। इसके लिए प्रबंधन को कई तरह का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष काम करना पड़ता है।

    इस काम को पूरा करने की संभावना यहां नहीं के बराबर है। इन सभी स्थितियों को देखते हुए फिलहाल रोहिणी परियोजना को बंद करने का निर्णय लिया गया है। यहां का मैनपावर व मशीनों को डकरा तथा केडीएच परियोजना में शिफ्ट किया जा रहा है। खदान को जीवित रखने के लिए रोहिणी में एक शावेल मशीन तथा दो डंपर रखे जाएंगे।

    425 कामगारों का भविष्य अधर में

    रोहिणी परियोजना का मैन पावर 425 है, जिसमें लगभग 50 लोगों का तबादला दूसरे परियोजना में कर दिया गया है। और भी लोगों को इधर-उधर किए जाने की तैयारी है। कुछ अधिकारियों को भी दूसरे परियोजना में शिफ्ट करने की तैयारी चल रही है। ऐसे लोग अपने भविष्य को लेकर चिंतित हो गए हैं। रोहिणी को एक लाख 20 हजार टन कोयला उत्पादन करने का लक्ष्य दिया गया है लेकिन अभी तक मात्र 38 हजार टन ही उत्पादन हो सका है।

    मुख्यालय का सहयोग मिला तो...

    रोहिणी परियोजना को चलाने के लिए 16.61 हेक्टेयर भूमि मिला है। इस जमीन पर खदान चलाने का सभी तरह का औपचारिकता पूरा कर लिया गया है। परियोजना पदाधिकारी जेके सिंह के नेतृत्व में परियोजना प्रबंधन ने खदान से उत्पादन करने की सभी तैयारियां पूरी कर ली है, लेकिन ईसी, एफसी क्लियरेंस मिले बगैर ओबी हटाने और कोयला निकालने का काम नहीं किया जा सकता है।

    परियोजना के लोग बताते हैं कि क्लियरेंस मिलते ही एक महीने में एक लाख टन कोयला उत्पादन करने की तैयारी करके रखा गया है लेकिन यह काम बगैर मुख्यालय के सहयोग के संभव नहीं है।

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