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    झारखंड में राजद दो फाड़, अब दो-दो अध्यक्ष

    By Bhupendra SinghEdited By:
    Updated: Mon, 15 May 2017 09:36 AM (IST)

    झारखंड में अस्तित्व के संकट से जूझ रही राजद को जोरदार झटका लगा है। राजेश यादव समानांतर अध्यक्ष घोषित किए गए हैं।

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    झारखंड में राजद दो फाड़, अब दो-दो अध्यक्ष

    राज्य ब्यूरो, रांची : झारखंड में अस्तित्व के संकट से जूझ रही राजद को जोरदार झटका लगा है। पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष गौतम सागर राणा से विक्षुब्ध राजद कार्यकर्ताओं की एक टोली ने रविवार को एक नई कमेटी गठित कर ली है। नई कमेटी में राजेश यादव वर्तमान अध्यक्ष गौतम सागर राणा के समानांतर अध्यक्ष घोषित किए गए हैं। मुस्तफा अंसारी को प्रदेश युवा राजद की कमान सौंपी गई है।

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     रविवार को विधानसभा सभागार में आयोजित बैठक में विक्षुब्ध खेमे ने 'राणा हटाओ, राजद बचाओ' का नारा देते हुए यह कार्रवाई की। बैठक में वक्ताओं ने गौतम सागर राणा के क्रियाकलापों पर जोरदार टिप्पणी की। उनपर राजद के समर्पित कार्यकर्ताओं की उपेक्षा तथा अपने डेढ़ वर्षों के कार्यकाल में संगठन को रसातल में पहुंचाने का आरोप मढ़ा। नई कमेटी ने सारे मामलों से राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को अवगत कराने तथा राणा को प्रदेश राजद अध्यक्ष के पद से हटाने की मांग से संबंधित अनुरोध पत्र भेजने का निर्णय लिया है। मौके पर 11 जून को राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव का जन्मदिन उत्साह से मनाने तथा 11 जून से पांच जुलाई तक विशेष अभियान चलाकर एक-एक गांव तक राजद का संदेश पहुंचाने का निर्णय लिया गया। बैठक में रांची समेत चतरा, पलामू, साहिबगंज, जमशेदपुर, बोकारो, सिमडेगा, हजारीबाग, धनबाद के कार्यकर्ताओं ने शिरकत की।

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    आमने-सामने
    राजेश पार्टी से निष्कासित हो चुके हैं : गौतम सागर
    राजद के वर्तमान अध्यक्ष गौतम सागर राणा ने कहा है कि डेढ़ वर्षों के कार्यकाल में उन्होंने संगठन को धार देने की पुरजोर कोशिश की है। इस अवधि में कई प्रखंड से लेकर राज्य स्तर तक पर कई कार्यक्रम आयोजित हुए। पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलग्न रहने के कारण पूर्व अध्यक्ष गिरिनाथ सिंह के कार्यकाल में राजेश यादव पार्टी से निष्कासित किए जा चुके हैं।
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    विरोध लाजमी, कार्यकर्ताओं को सम्मान चाहिए : राजेश यादव
    विक्षुब्ध खेमे के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राजेश यादव ने कहा है कि निष्कासन से संबंधित किसी तरह का पत्र उन्हें आजतक नहीं मिला है। कार्यकर्ताओं को सम्मान चाहिए। अगर संगठन में यह भी नहीं मिलेगा तो विरोध लाजमी है। समर्पित कार्यकर्ताओं के बीच यह आग कब से सुलग रही थी। कार्यकर्ताओं ने मुझे जो जिम्मेदारी सौंपी है, उसका निर्वहन ईमानदारी से करूंगा।

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    बद से बदतर हुई स्थिति
    झारखंड गठन के बाद से राज्य में राजद की स्थिति बद से बदतर हुई है। अविभाजित बिहार में झारखंड से इस दल के नौ विधायक हुआ करते थे। 2005 में यह संख्या घटकर सात हो गई और 2009 में पांच। और तो और 2014 में इनका सुपड़ा ही साफ हो गया। यह स्थिति तब हुई, जब झामुमो नीत वाली तत्कालीन हेमंत सोरेन की सरकार में राजद के कोटे से दो मंत्री थे। प्रदेश में राजद की बद से बदतर होती स्थिति की यह बानगी भर है।
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    यह गंभीर मामला है। सस्ती लोकप्रियता के लिए पार्टी का कोई भी कार्यकर्ता संगठन को सड़क पर नहीं ला सकता है। अगर किसी को किसी बात पर नाराजगी है तो उसे उचित मंच पर रखना चाहिए। गौतम सागर राणा पार्टी के न सिर्फ सर्वमान्य और वरिष्ठ नेता हैं, बल्कि वे विधिवत प्रदेश राजद के अध्यक्ष हैं। समानांतर कमेटी गठित करना अनुशासनहीनता है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से इस मसले पर चर्चा होगी- जय प्रकाश यादव प्रदेश प्रभारी, झारखंड ।

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