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    Jharkhand Politics: रिम्स की जमीन पर अतिक्रमण कराने वाले अधिकारियों पर हो कार्रवाई, बाबूलाल ने सीएम को लिखा पत्र

    By Dibyanshu Kumar Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Fri, 19 Dec 2025 11:01 PM (IST)

    बाबूलाल मरांडी ने रिम्स की जमीन पर अतिक्रमण कराने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग करते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने रिम्स की जमीन पर ...और पढ़ें

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    बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर रिम्स की जमीन पर अतिक्रमण कराने वाले अधिकारियों की पहचान कर उन पर कार्रवाई करने की मांग की है।

    राज्य ब्यूरो, रांची । भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर रिम्स की जमीन पर अतिक्रमण कराने वाले अधिकारियों की पहचान कर उनपर कार्रवाई करने को कहा है।

    पत्र में बाबूलाल मरांडी ने लिखा है कि झारखंड हाईकोर्ट के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा रिम्स की जमीन पर अवैध निर्माण को तोड़ा जा रहा है। हाईकोर्ट के निर्देश का पालन होना चाहिए। लेकिन सवाल यह है कि इस जमीन पर अवैध कब्जा जिला प्रशासन द्वारा कैसे होने दिया गया।

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    रिम्स की उक्त जमीन का कुछ हिस्सा फर्जी कागज बनाकर बाजार में बेच दिया गया और बिल्डरों ने उक्त जमीन पर अपार्टमेन्ट बनाकर आम नागरिकों के हाथों फ्लैट बेच दिया। मरांडी ने आरोप लगाया कि इसमें भ्रष्ट अधिकारी शामिल रहे हैं।

    ऐसे में बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस मामले में शामिल रजिस्ट्रार, अंचल अधिकारी और रांची नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों पर तत्काल मामला दर्ज किया जाए। जिन निर्दोष लोगों ने उक्त अवैध तरीके से निर्मित अपार्टमेंट में फ्लैट खरीदे हैं, उन्हें सरकार वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराए,नहीं हो तो फ्लैट खरीदारों को कीमत दी जाए।

    बालू लूट में माफिया, पुलिस के साथ राज्य सरकार भी शामिल

    नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य में बड़े पैमाने पर हो रहे बालू की लूट के लिए सरकार का जिम्मेदार ठहराया है। मरांडी ने कहा कि जमशेदपुर के भुइयांडीह क्षेत्र में सुवर्णरेखा नदी से नावों का प्रयोग कर अवैध बालू खनन किया जा रहा है।

    बोरों में भरकर किनारे रखा जाता है। इसके बाद परिवहन शुरू होता है। राज्य सरकार, माफिया और पुलिस सब इस लूट में शामिल हैं। बालू से होने वाली अवैध कमाई के कारण ही पेसा लागू नहीं हो रहा है। आदिवासी हितों की सुरक्षा के लिए बना कानून क्यों लागू नहीं हो रहा है यह सब जानते हैं। कहने को तो हाईकोर्ट ने बालू खनन पर रोक लगा रखी है लेकिन महंगी दर पर बालू बेचने वाले हर क्षेत्र में सक्रिय हैं।