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    RIMS में अव्यवस्था और सरकारी दावे की खुलेगी पोल, हाई कोर्ट के आदेश पर झालसा करेगा जांच

    By Manoj Singh Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Fri, 21 Nov 2025 10:47 AM (IST)

    रांची हाई कोर्ट ने रिम्स की लचर व्यवस्था की जांच के लिए झालसा सचिव को टीम गठित करने का निर्देश दिया है। यह टीम रिम्स में रखरखाव, पेयजल, दवाओं की उपलब्धता और डॉक्टरों की प्रैक्टिस जैसे पहलुओं की जांच करेगी। अदालत ने दस दिन में रिपोर्ट मांगी है और अगली सुनवाई तीन दिसंबर को तय की है। अदालत ने रिम्स और सरकार द्वारा दाखिल शपथपत्रों पर भी सवाल उठाए हैं।

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    हाई कोर्ट ने रिम्स की वर्तमान स्थिति की जांच के लिए झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार सचिव को निर्देश दिया है।

    राज्य ब्यूरो, रांची। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने गुरुवार को रिम्स की लचर व्यवस्था को दुरुस्त करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के बाद अदालत ने रिम्स की वर्तमान स्थिति की जांच के लिए झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा) सचिव को निर्देश दिया है।

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    अदालत ने कहा कि झालसा एक टीम बनाकर रिम्स भेजे, जो रिम्स में मेंटेनेंस, स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था, मशीनों की उपलब्धता, दवाओं की कमी, बाहरी दवाओं की खरीद, स्वच्छता, चिकित्सा उपकरणों की कार्यशीलता, डाक्टर की निजी प्रैक्टिस सहित विभिन्न पहलुओं की जांच करेगी।

    अदालत ने जांच रिपोर्ट दस दिन में कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई तीन दिसंबर को होगी। इस संबंध में ज्योति कुमार ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता दीपक दुबे ने अदालत को बताया गया कि रिम्स की स्थिति अभी भी बदहाल है।

    रिम्स जीबी की बैठक में लिए गए निर्णय निर्धारित समय सीमा के अंदर कोई काम नही हो रहा है। जबकि कोर्ट ने बैठक में लिए गए निर्णय को दो माह में लागू करने का निर्देश दिया था। इस पर अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि जीबी की बैठक में हुए निर्णय को लेकर कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया जाता है, तो अदालत ने जीबी के सदस्यों के खिलाफ भी अवमानना का मामला चला सकती है।

    इस दौरान अधिवक्ता दीपक दुबे ने दैनिक जागरण में प्रकाशित रिम्स में कंबल और बेडशीट नहीं दिए जाने का मुद्दा उठाया। अदालत ने टीम को इसकी भी जांच करने का निर्देश दिया है। प्रार्थियों की ओर से अदालत को बताया गया कि रिम्स और सरकार सिर्फ शपथपत्र दाखिल करती है, जमीनी स्तर पर काम नहीं किया जाता।

    उनकी ओर से रिम्स की स्थिति की पारदर्शी तरीके से जांच के लिए एक विशेष टीम का गठन करने का आग्रह किया गया। इस पर हाई कोर्ट ने झालसा के सचिव को निर्देश दिया कि वह एक जांच समिति का गठन करें और उसे रिम्स भेजकर सभी व्यवस्थाओं का निरीक्षण करवाएं।

    अदालत ने प्रार्थी को भी सरकार और रिम्स की ओर से दाखिल किए गए शपथपत्र और कोर्ट के 10 अक्टूबर 2025 के निर्देश के आलोक में किए गए कार्यों का ब्योरा टेबुलर चार्ट के माध्यम से कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है।