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    Reservation in Jharkhand: बिहार के बाद झारखंड में भी आरक्षण बढ़ाने के लेकर बढ़ेगा दबाव, शीतकालीन सत्र हो सकती पहल

    By Jagran NewsEdited By: Shubham Sharma
    Updated: Fri, 24 Nov 2023 05:00 AM (IST)

    बिहार राज्य में आरक्षण प्रतिशत बढ़ने के बाद अब झारखंड में भी इस मुद्दे को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है। राज्य विधानसभा के स्थापना दिवस समारोह में स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो ने इस संबंध में चर्चा कर संकेत भी दिए हैं। इसके अलावा उन्होंने स्थानीयता के लिए खतियान की बाध्यता और जनगणना में आदिवासियों के सरना कोड का मामला उठाते हुए इन सभी विषयों को कानूनी रूप मान्यता मिलेगी।

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    बिहार के बाद झारखंड में भी आरक्षण प्रतिशत बढ़ाने को लेकर बढ़ेगा दबाव।

    राज्य ब्यूरो, रांची। बिहार में आरक्षण प्रतिशत बढ़ने के बाद झारखंड में भी इस मुद्दे पर सुगबुगाहट बढ़ी है। झारखंड सरकार ने ओबीसी आरक्षण का दायरा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने के अलावा एसटी-एससी आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने संबंधित विधेयक राजभवन को प्रेषित किया था।

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    आरक्षण अधिनियम-2001 में संशोधन प्रस्ताव

    पिछले वर्ष 11 नवंबर को राज्य सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र आहूत कर आरक्षण की सीमा 60 प्रतिशत से 77 प्रतिशत करने के लिए झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण अधिनियम-2001 में संशोधन संबंधित प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया था।

    राजभवन ने इसपर अटार्नी जनरल से कानूनी सलाह का हवाला देते हुए विधेयक वापस कर दिया था। तर्क दिया गया था कि यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुकूल नहीं है। बिहार में आरक्षण प्रतिशत बढ़ने के बाद अब झारखंड में इसपर नए सिरे राजनीतिक दबाव राजभवन पर बढ़ सकता है।

    स्पीकर ने दिए चर्चा के संकेत

    बुधवार को राज्य विधानसभा के स्थापना दिवस समारोह में स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो ने इस संबंध में चर्चा कर संकेत भी दिए हैं। इसके अलावा उन्होंने स्थानीयता के लिए खतियान की बाध्यता और जनगणना में आदिवासियों के सरना कोड का मामला उठाते हुए आशा जताई कि जल्द ही इन सभी विषयों को कानूनी रूप मान्यता मिलेगी।

    शीतकालीन सत्र पर पहल कर सकती है सरकार

    स्पीकर के रुख से ऐसा लग रहा है कि दिसंबर में होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इन विषयों पर सरकार पहल कर सकती है। राज्य में फिलहाल क्या स्थितिझारखंड में फिलहाल अनुसूचित जनजाति को 26 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 10 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग को 14 प्रतिशत और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रविधान है।

    प्रस्ताव में पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने के अलावा अनुसूचित जाति का आरक्षण 26 से बढ़ाकर 28 प्रतिशत और अनुसूचित जाति का आरक्षण 10 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने का प्रविधान किया गया था।

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