पारा शिक्षकों को EPFO का लाभ दिलाने की कोशिश, मामले पर वित्त सचिव से मांगी रिपोर्ट, फिर लिया जाएगा फैसला
राज्य में कार्यरत 63 हजार पारा शिक्षकों (सहायक अध्यापकों) को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) का लाभ देने के मामले में वित्त सचिव से रिपोर्ट मांगी गई है। ...और पढ़ें

नीरज अम्बष्ठ, रांची। राज्य में कार्यरत 63 हजार पारा शिक्षकों (सहायक अध्यापकों) को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) का लाभ देने का मामला फिलहाल लंबित है। तत्कालीन शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने इसे लेकर प्रस्ताव कैबिनेट में लाने की स्वीकृति प्रदान कर दी थी। अब इस पर वित्त सचिव से रिपोर्ट मांगी गई है।
पारा शिक्षकों के अलावा इन्हें भी मिलेगा ईपीएफ का लाभ
वित्त सचिव को अन्य विभागों की स्थिति का आकलन करते हुए अपना प्रतिवेदन देने को कहा गया है ताकि पारा शिक्षकों एवं अन्य कर्मियों को ईपीएफ का लाभ देने के प्रस्ताव पर उचित निर्णय लिया जा सके।
पारा शिक्षकों की बहुप्रतीक्षित मांग को देखते हुए झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने पारा शिक्षकों के अलावा, बीआरपी, सीआरपी तथा कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालयों के शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों को ईपीएफ का लाभ देने का प्रस्ताव तैयार कर लिया था।
कैबिनेट में प्रस्ताव भेजे जाने से पहले जब इसे राज्य कार्यकारिणी समिति के समक्ष रखा गया, तो इस पर वित्त सचिव से रिपोर्ट मंगाने का निर्णय लिया गया।
प्रतिवर्ष आएगा 152.10 करोड़ खर्च
पारा शिक्षकों एवं अन्य कर्मियों को ईपीएफ का लाभ देने को लेकर तैयार प्रस्ताव में कहा गया कि प्रति कर्मी 1,950 रुपये के हिसाब से नियोक्ता का अंशदान देने पर प्रतिवर्ष 152.10 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इस खर्च का वहन राज्य बजट से करने का प्रस्ताव था। कर्मचारी अंशदान संबंधित पारा शिक्षक व अन्य कर्मियों के मानदेय से कटौती कर किया जाना था।
कल्याण कोष की नहीं होगी आवश्यकता
झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा तैयार प्रस्ताव में कहा गया है कि पारा शिक्षकों एवं अन्य कर्मियों को ईपीएफ का लाभ देने पर कल्याण कोष के गठन की आवश्यकता नहीं होगी। पारा शिक्षकों को दुर्घटना बीमा, जीवन बीमा आदि का लाभ देने का मामला विचाराधीन है।

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