रांची-रामगढ़-हजारीबाग फोरलेन पर अवैध वसूली का खेल,चलता है रिकवरी एजेंटों का कानून
रामगढ़ में रिकवरी एजेंटों की मनमानी से वाहन मालिक परेशान हैं। एजेंट बिना कारण गाड़ियों को रोककर जुर्माना वसूलते हैं जिससे आर्थिक नुकसान और हिंसा बढ़ रही है। रिश्वतखोरी अपमान और अवैध वसूली आम बात हो गई है। जब्त गाड़ियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। स्थानीय व्यापारियों ने सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है।

मनोज कुमार सिंह,लपंगा(रामगढ़)। रांची-रामगढ़-हजारीबाग फोरलेन सड़कों पर रिकवरी एजेंटों की मनमानी और अवैध गतिविधियों ने वाहन मालिकों और ड्राइवरों का जीना मुहाल कर दिया है। इधर भुरकुंडा, पतरातू और रामगढ़ जैसे इलाकों में रिकवरी एजेंटों का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि गाड़ी मालिक अपनी गाड़ियां सड़कों पर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं।
इन रिकवरी एजेंटों की गैरकानूनी हरकतों के कारण न केवल वाहन मालिकों को आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि सड़कों पर हंगामा और हिंसक घटनाएं भी बढ़ रही हैं। सूत्रों के अनुसार, रिकवरी एजेंट अक्सर माल लदे वाहनों को बिना किसी ठोस कारण के रोक लेते हैं, जिससे लोड माल डिलीवरी समय पर नहीं हो पाता और वाहन मालिकों को भारी जुर्माना भरना पड़ता है।
कई बार तो गाड़ियों के सारे कागजात और फाइनेंस की किस्तें सही होने के बावजूद एजेंट घंटों तक वाहनों को रोककर “कन्फर्मेशन” के नाम पर दबाव बनाते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि ड्राइवरों को रिश्वत देकर गाड़ी छुड़ानी पड़ती है। कुछ मामलों में गाड़ी मालिकों को अपमानित किया जाता है और उनके निजी सामान तक गायब हो जाते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि कई रिकवरी एजेंट नशे में धुत रहते हैं और बिना किसी वैध लाइसेंस या परमिशन के यात्री शेड बनाकर अवैध रूप से गाड़ियों को पकड़कर स्टॉक करते हैं।
गाड़ियों को जब्त करने के बाद उन्हें गैरकानूनी गोदामों में रखा जाता है, जहां से छुड़ाने के लिए भारी रकम वसूली जाती है। हैरानी की बात यह है कि इन एजेंटों के खिलाफ कोई ठोस सरकारी कार्रवाई नहीं की गई है। न ही कोई नोटिस या गाइडलाइन जारी की गई है, जिससे इनकी मनमानी पर लगाम लग सके।
रामगढ़ फोरलेन पर रिकवरी एजेंटों के बीच आपसी प्रतिस्पर्धा भी खतरनाक रूप ले रही है। ज्यादा वसूली के चक्कर में ये एजेंट गाड़ियों को दौड़ा कर पकड़ने की कोशिश करते हैं, जिससे कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी है।
हाल ही में रामगढ़ में एजेंटों के आपसी विवाद के कारण गोलीबारी की घटना भी सामने आई थी। स्थानीय पुलिस प्रशासन पर भी जानबूझकर आंखें मूंदने का आरोप लग रहा है।
वाहन चालकों का कहना है कि खासकर झारखंड से बाहर की गाड़ियों को और ज्यादा परेशान किया जाता है। कागजों में मामूली गड़बड़ी पर भी एजेंट हंगामा खड़ा कर देते हैं और बिना रसीद के पैसे वसूलते हैं। इस अवैध धंधे में कई बार अपराधी प्रवृत्ति के लोग भी शामिल पाए गए हैं, जिनका कोई चरित्र प्रमाणपत्र तक नहीं होता।
स्थानीय व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों ने सरकार से मांग की है कि रिकवरी एजेंटों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए और इस धंधे को नियंत्रित करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। फिलहाल, रामगढ़ और आसपास के इलाकों में यह समस्या एक गंभीर चुनौती बनी हुई है, जिसका समाधान तत्काल जरूरी है।
जब्त वाहनों को पर्सनल काम में करते हैं उपयोग
रामगढ़ जिला में रिकवरी एजेंटों का मनमाना कानून चलता है,जब्त गाड़ियों को कुछ दिन बीतते ही रिकवरी एजेंट उसे पर्सनल कामों में इस्तेमाल करने लगते हैं। कई बार तो पकड़े गए गाड़ियों को खरीद बिक्री भी करने लगते हैं।
लेकिन ना तो इन्हें कोई रोकने वाला है ना हीं उन्हें कानून का डर है। मोटी कमाई करने के लिए रिकवरी एजेंट हर हथकंडा अपना रहे हैं।
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