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    Jharkhand Police: लातेहार में माओवादी को मुठभेड़ में मार गिराने पर मिला वीरता पदक, गृह मंत्रालय ने की घोषणा

    Updated: Thu, 14 Aug 2025 05:59 PM (IST)

    केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर झारखंड के 17 पुलिस पदाधिकारियों व जवानों के लिए पदकों की घोषणा की है। इनमें पांच पुलिस पदक हैं। जिन्हें वीरता के लिए पुलिस पदक मिले हैं उनमें तत्कालीन सब इंस्पेक्टर विनय कुमार तत्कालीन हवलदार प्रमोद कुमार राय सिपाही वेद प्रकाश महतो सिपाही रामचंद्र कुमार महतो व सिपाही कृष्णा मुर्मू शामिल हैं।

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    लातेहार में माओवादी को मुठभेड़ में मार गिराने के लिए मिला वीरता पदक।

    राज्य ब्यूरो, रांची। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर झारखंड के 17 पुलिस पदाधिकारियों व जवानों के लिए पदकों की घोषणा की है।

    इनमें पांच पदक वीरता के लिए पुलिस पदक हैं। जिन्हें वीरता के लिए पुलिस पदक मिले हैं, उनमें तत्कालीन सब इंस्पेक्टर विनय कुमार, तत्कालीन हवलदार प्रमोद कुमार राय, सिपाही वेद प्रकाश महतो, सिपाही रामचंद्र कुमार महतो व सिपाही कृष्णा मुर्मू शामिल हैं।

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    इन्हें ये पदक सात साल पहले लातेहार में माओवादियों के विरुद्ध मुठभेड़ में दिखाए पराक्रम के लिए मिले हैं। पांचों पदाधिकारी व जवान लातेहार जिले के छिपादोहर थाने में पदस्थापित थे।

    मामला चार जून 2018 का है। घटना के दिन गुप्त सूचना मिली कि छिपादोहर थाना क्षेत्र स्थित जोबे गांव के पास माओवादी जुटें हैं और किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की योजना बना रहे हैं।

    इसी सूचना पर तत्कालीन दारोगा विनय कुमार के नेतृत्व में एक टीम बनी, जिनमें हवलदार प्रमोद कुमार राय व तीन सिपाही वेद प्रकाश महतो, रामचंद्र कुमार महतो व कृष्णा मुर्मू शामिल थे।

    टीम मौके पर पहुंची तो माओवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में एक माओवादी मारा गया।

    पुलिस को भारी पड़ता देख उसके सहयोगी भाग निकले। मुठभेड़ के बाद सर्च अभियान में हथियार, गोली आदि की बरामदगी हुई थी।

    कोरोना के चलते हुआ विलंब, प्रक्रिया में लग गए सात साल

    चार जून 2018 की इस घटना के मामले में पांचों पुलिस पदाधिकारियों-जवानों के लिए उसी वक्त वीरता पदक की अनुशंसा की गई थी।

    इसके बाद वर्ष 2019 के दिसंबर में कोरोना की दस्तक हुई और फिर कोरोना काल शुरू हो गया। इसके चलते यह मामला लंबित पड़ गया जो लंबे समय तक लंबित रहा।

    फाइल पर विचार करने में वक्त लगा। अंतत: सात साल बाद मुठभेड़ में शामिल पदाधिकारी व जवानों के लिए पदक की घोषणा हुई।