Ranchi News: आजादी के बाद भी नहीं नसीब हुई सड़क, ग्रामीणों ने चंदा जुटाकर बनाई 3 किमी सड़क
राँची के एक गाँव में आजादी के बाद भी सड़क नहीं थी। ग्रामीणों ने चंदा जमा करके 3 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई। सरकार से गुहार लगाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई, जिसके बाद ग्रामीणों ने खुद ही सड़क बनाने का निर्णय लिया। अब गाँव में विकास की उम्मीद जगी है।
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जेसीबी मशीन से सड़क बनवाते ग्रामीण। फोटो जागरण
संवाद सूत्र, धुरकी गढ़वा। धुरकी प्रखंड के रक्सी गांव के पंचफेडी टोला में लगभग 50 घर है। उस टोला में आजादी से ले कर आज तक सड़क नसीब नहीं हुआ। ग्रामीणों ने परेशान होकर चंदा जुटाया और लगभ तीन किलोमीटर सड़क बना डाली।
ग्रामीणों ने बताया कि मरीजों को चारपाई पर ले जाना पड़ता था। चंदा इकट्ठा कर और श्रमदान के माध्यम से यह कार्य पूरा किया। गांव के युवाओं का कहना है कि अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से सड़क की उम्मीद करना व्यर्थ है।
जनप्रतिनिधि भी सिर्फ वोट लेने के लिए गांव आते हैं लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद वापस नहीं आते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि सड़क खराब होने के कारण, गांव का विकास भी प्रभावित हुआ है।
बाहर के लोग भी एक बार गांव आने के बाद दोबारा यहां आना नहीं चाहते। ग्रामीणों ने बताया कि किसी की तबीयत खराब होने पर डोली टोला तक मरीज को लाना पडता है। इसके बाद ही वाहन मे बिठाकर अस्पताल तक ले जाने का साधन है।
रक्सी पंचायत के पूर्व मुखिया प्रतिनिधि साहेब राम ने बताया कि सड़क आजादी के बाद भी रक्सी गांव के यह टोला बुनियादी सुविधाओं से वंचित है।
उन्होंने बताया कि जब इस टोला के लोगों को तबीयत बिगड़ा तो उसे डोली में उठा कर ले जाने में भी मुश्किल होता है। गर्भवती महिला समय से अस्पताल नहीं पहुंच पाती है।
अनिल प्रजापति ने बताया कि पक्की सड़क उनके लिए एक सपना है। गर्मी और सर्दी में तो किसी तरह आवाजाही हो जाती है। लेकिन बरसात में घर से निकलना मुश्किल हो जाता है।
बिनोद प्रजापति और संतोष बैठा ने बताया कि बीमार व्यक्ति को खटिया पर ले जाना पड़ता है। एम्बुलेंस इस टोला तक नहीं पहुंच पाती। स्कूली बच्चों को कंधों पर बिठाकर कीचड़ पार कराना पड़ता है।
रिश्तेदार भी गांव आने से कतराते हैं। इन्हीं कारणों से ग्रामीणों ने स्वयं सड़क निर्माण का कार्य शुरू किया। उन्होंने ग्राम पंचायत से लेकर ब्लाक और जिला स्तर तक अपनी समस्या कई बार रखी है। हर बार केवल आश्वासन मिले, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई स्थायी समाधान अब तक नहीं निकला।

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