नए साल पर रांची को ‘रवींद्र भवन’ का तोहफा, ₹155 करोड़ की योजना कैसे पहुंची ₹292 करोड़ तक?
Jharkhand रांची को नए साल में 'रवींद्र भवन' की सौगात मिलने वाली है। ₹155 करोड़ की यह योजना अब ₹292 करोड़ में तैयार हुई है। इस भवन में कई सांस्कृतिक और ...और पढ़ें

दिसंबर में ही अधूरे काम हो जाएंगे पूरे।
स्मार्ट व्यू- पूरी खबर, कम शब्दों में
जागरण संवाददाता, रांची। टाउन हाल की पहचान अब रवींद्र भवन के रूप में होगी। समाहरणालय के पास कचहरी रोड पर झारखंड अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी (जुडको) द्वारा बनाया जा रहा रवींद्र भवन का काम लगभग पूरा हो गया है।
दस-पंद्रह दिनों का काम और बचेगा। इसके बाद यह उद्घाटन के लिए तैयार हो जाएगा। हालांकि कयास लगाया जा रहा था कि मुख्यमंत्री राज्य स्थापना दिवस पर ही इसका उद्घाटन कर देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। हो सकता है, इसका आधा-अधूरा निर्माण हो।
भवन में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की आदमकद प्रतिमा भी लगी थी, लेकिन यह प्रतिमा इतनी भद्दी थी कि यहां के बंग समाज ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया और अंतत: गुरुदेव की प्रतिमा हटानी पड़ी और अभी तक यहां पर प्रतिमा स्थापित नहीं हो सकी है।
जहां प्रतिमा लगी थी, अब फूलों के गमलों ने जगह ले ली है। हालांकि इस रवींद्र भवन की खास बात यह है कि 155 करोड़ की योजना 244 करोड़ तक पहुंच गई और अंत में 292,26,10,809 रुपये यानी दो सौ बानबे करोड़ से ऊपर चली गई। अभी तक यह तैयार नहीं हुआ है।
इसके निर्माण का काम देख रही कंपनी हाइटेन के नीरज सिंह भी इतना ही बोल रहे, अगले साल उद्घाटन होगा। नगर विकास के सचिव सुनील कुमार भी कुछ बोल नहीं रहे हैं। हालांकि छह दिसंबर को नगर विकास मंत्री सुदीव्य कुमार ने इसका निरीक्षण किया था। माना जा रहा है इसका संचालन पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) माडल पर किया जाना है लेकिन अभी कुछ तय नहीं है।
तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने किया था शिलान्यास
2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास की सरकार में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने शिलान्यास किया था। निर्माण का काम 2017 में शुरू हुआ और दो साल यानी 2019 तक बन जाना चाहिए था। बाद में कई कारणों से दो साल तक काम बंद रहा।
इसके बाद मंत्रिपरिषद ने रवींद्र भवन के लिए 292.26 करोड़ रुपये के पुनरीक्षित प्राक्कलन को मंजूरी दी। इसके बाद काम शुरू हुआ। राशि तो बढ़ गई लेकिन यह अभी तक अधूरा ही है। अब नए साल का इंतजार है।

सांस्कृतिक पहचान को नया रूप
शहर में ऐसा कोई सांस्कृतिक केंद्र नहीं है। शहर के बीच में इसके बनने से सांस्कृतिक गतिविधियों में तेजी आएगी। यहां के कलाकारों को भी कार्यक्रम करने में आसानी होगी। पार्किंग की सुविधा भी है। शहर के सांस्कृतिक वातावरण के निर्माण में भी इसकी अहम भूमिका होगी। एक आड्रे हाउस है, जहां ऐसी सुविधा नहीं है। इसकी दूसरी खास बात, शहर के बीच होना है। अब टाउन हाल की पहचान भी बदल गई।
क्या-क्या है खास
- रवींद्र भवन का निर्माण करीब 12 हजार वर्गफीट में किया गया है। यह रांची का सबसे बड़ा कार्यक्रम स्थल है।
- 1500 लोगों की क्षमता वाला कम्युनिटी हाल है। बड़ा स्टेज है, जहां कोई भी बड़ा कार्यक्रम किया जा सकता है।
- सभागार को तीन भागों में भी बांट सकते हैं, यानी 500-500-500 क्षमता का तीन हाल।
- 24 एसी रूम बनाए गए हैं, साथ में शौचालय सहित अन्य सुविधाएं हैं ताकि बाहर से आने वाले अतिथि ठहर सकें।
- एक जिम, फूड कोर्ट, टी-स्टाल सहित म्यूजिक रूम व अन्य सुविधाएं हर फ्लोर पर उपलब्ध होंगी, अतिथियों को उसी फ्लोर पर सुविधा मिलेगी, जहां वे ठहरेंगे।
- यहां जर्मन-निर्मित एडवांस्ड साउंड सिस्टम और अन्य आधुनिक तकनीकें हैं।
- 570 कार और 390 दो पहिया वाहनों के लिए पार्किंग की व्यवस्था
- यह झारखंड की कला और संस्कृति को प्रदर्शित करने और कलाकारों को रचनात्मकता के लिए एक बड़ा मंच प्रदान करेगा।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।