रांची का रिम्स बना राज्य का पहला अस्पताल जहां अब हो सकेगा अंगदान, ब्रेन डेथ की कर सकेंगे घोषणा
Jharkhand News राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) राज्य का पहला अस्पताल बन गया है जहां अब अंगदान हो सकेगा। इसके बाद किडनी ट्रांसप्लांट का रास्ता साफ हुआ है। साथ ही हार्ट पेनक्रियाज व लीवर ट्रांसप्लांट भी भविष्य में किए जाने पर काम हो रहा है। ब्रेन डेथ की घोषणा सोटो की ओर से की जा सकेगी जिसके लिए मेडिकल विशेषज्ञों की टीम गठित की जाएगी।
जासं, रांची। Jharkhand News: राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) राज्य का पहला अस्पताल बन गया है, जहां अब अंगदान हो सकेगा। इसके बाद किडनी ट्रांसप्लांट का रास्ता साफ हुआ है। साथ ही हार्ट, पेनक्रियाज व लीवर ट्रांसप्लांट भी भविष्य में किए जाने पर काम हो रहा है।
ब्रेन डेथ होने के बाद ही किया जाता है अंग प्रत्यारोपण
अंगदान के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से रिम्स को सबसे पहले मरीज के ब्रेन डेथ की घोषणा करने की अनुमति दे दी गई है, जिससे अब ब्रेन डेथ मरीज का नियमानुसार अंग प्रत्यारोपण किया जा सकेगा।
किसी भी अंग प्रत्यारोपण का काम ब्रेन डेथ के समय ही किया जा सकता है। किसी व्यक्ति को ब्रेन डेथ घोषित करने से पहले कई प्रकार के परीक्षणों के आधार पर पुष्टि की जाती है। यह परीक्षण छह घंटे के अंदर चार डाक्टरों के पैनल द्वारा किया जाता है।
अंगदान से किसी जरूरतमंद को मिलती है नई जिंदगी
ब्रेन डेथ की घोषणा रिम्स के राज्य अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (सोटो) की ओर से की जा सकेगी, जिसके लिए मेडिकल विशेषज्ञों की टीम गठित की जाएगी।
रिम्स अधीक्षक डा. हीरेंद्र बिरुआ बताते हैं कि ब्रेन डेथ की स्थिति स्थाई होती है और ऐसे मरीज को ठीक नहीं किया जा सकता है।
किसी रोगी के ब्रेन डेथ घोषित होने के बाद परिवार के साथ बात करके अंगदान का निर्णय लिया जाता है, जिससे किसी जरूरतमंद को नया जीवनदान मिल सके।
अंग प्रत्यारोपण को दिया जा रहा बढ़ावा
मालूम हो कि रिम्स द्वारा पहले ही ब्रेन डेथ की घोषणा किए जाने के लिए मेडिकल टीम गठित करने की मांग की थी। मानव अंग ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम (थोटा) 1994 की धारा-3 की उपधारा-6 के अंतर्गत मेडिकल बोर्ड की टीम के द्वारा ब्रेन डेथ घोषित किये जाने का प्रविधान है।
रिम्स चिकित्सा अधीक्षक इस मेडिकल बोर्ड के अध्यक्ष होंगे। ब्रेन डेथ घोषणा के बाद संभावित अंगदाता की पहचान हो पाएगी जिससे अंगदान मिल सकेगा और इसके माध्यम से अंग प्रत्यारोपण को बढ़ावा दिया जा सकेगा।
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