Hemant Soren: जिस 8.46 एकड़ जमीन के मामले में हेमंत गए थे जेल, उस केस में अब 3 लोगों को मिली राहत
सुप्रीम कोर्ट ने जमीन फर्जीवाड़ा मामले में अंतु तिर्की और अन्य आरोपियों को जमानत दी। अदालत ने लम्बी हिरासत को बिना मुकदमे के सजा देने जैसा बताया। ईडी ने जमानत का विरोध किया था। आरोप है कि आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर जमीन हड़पी और उसे बेचने की तैयारी की थी। इस मामले में ईडी ने कई लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है।

राज्य ब्यूरो, रांची। सुप्रीम कोर्ट से बड़गाई अंचल की 8.46 एकड़ जमीन की फर्जीवाड़ा के आरोपित अंतु तिर्की, जमीन कारोबारी इरशाद अख्तर, अफसर अली, इरशाद को गुरुवार को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ ने सभी को जमानत प्रदान करने का निर्देश दिया है।
हाई कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद सभी ने सुप्रीम कोर्ट ने अपील दाखिल की थी। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि इनको लंबे समय तक हिरासत में रखना उन पर मुकदमा चलाए बिना सजा दिए जाने के बराबर होगा। अदालत ने आरोपितों जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अंजना प्रकाश ने पैरवी करते हुए कहा कि मामले के मुख्य आरोपित को हाई कोर्ट से ही जमानत मिल चुकी है, इसलिए उन्हें जमानत मिलनी चाहिए। ईडी की तरफ से अतिरिक्त सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने आरोपितों को जमानत देने का विरोध किया।
भाटी ने दावा किया कि आरोपित आदिवासियों और सरकारी जमीन को अवैध रूप से हड़पकर बेचने जैसे गंभीर अपराध में शामिल हैं। लेकिन अदालत ने उनके तर्कों को अस्वीकार करते हुए जमानत देने का फैसला सुनाया।
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि फर्जी दस्तावेज बनाने के मास्टर माइंड सदाम हुसैन से पूछताछ के आधार पर ईडी ने झामुमो नेता अंतु तिर्की, जमीन कारोबारी बिपिन सिंह सहित नौ लोगों के ठिकाने पर छापामारी की थी। इस मामले में ईडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, भानु प्रताप प्रसाद, शेखर कुशवाहा, अंतु तिर्की, इरशाद अख्तर, अफसर अली सहित 10 के खिलाफ आरोपपत्र भी दाखिल कर दिया है।
जमीन घोटाला मामले में शेखर कुशवाहा के ठिकाने पर ईडी दो बार छापेमारी की थी। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उसे गिरफ्तार किया गया था। शेखर कुशवाहा बड़गाई अंचल की एक जमीन की खरीद बिक्री में शामिल है। शेखर कुशवाहा ने अपने सहयोगी प्रियरंजन सहाय, सद्दाम हुसैन, विपिन सिंह, इरशाद अंसारी, अफसर अली और राजस्व कर्मी भानु प्रताप प्रसाद की मिलीभगत से वर्ष 1971 की फर्जी सेल डीड तैयार की थी।
कोलकाता के रजिस्ट्री कार्यालय में रखे मूल दस्तावेज से छेड़छाड़ कर इस सेल डीड को तैयार किया गया था। 4.83 एकड़ जमीन एक भोक्ता परिवार का है, जिसका नाम बदलकर दूसरे के नाम से सामान्य प्रकृति का जमीन बनाया गया था। इसके बाद 22.61 करोड़ की जमीन को 100 करोड रुपये में बेचने की तैयारी थी।
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