एलटीटी-रांची ट्रेन के पार्सल वैन में सेंध, शातिर चोर का प्रयास विफल; रेलवे प्रशासन की उड़ी नींद!
रांची में एलटीटी-रांची एक्सप्रेस के पार्सल वैन में चोरी का प्रयास हुआ। चोरों ने वैन की शीट काटकर सेंध लगाने की कोशिश की पर असफल रहे। यह घटना एसएलआरडी ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, रांची। लगभग पांच वर्षों तक रेलवे में पार्सल चोरी की घटनाओं पर नियंत्रण बना रहने के बाद अब एक बार फिर शातिर चोरों ने रेलवे प्रशासन को चुनौती दे दी है। ताजा मामला एलटीटी-रांची एक्सप्रेस ट्रेन का है, जिसमें चलती ट्रेन के पार्सल वैन (एसएलआरडी कोच) में सेंध लगाने की घटना सामने आई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, चोरों ने बेहद चालाकी से पार्सल वैन के लोहे के चादर को कटर से काटकर अंदर घुसने की कोशिश की। करीब एक फीट तक शीट काट दी गई थी, लेकिन समय की कमी और खतरे की आशंका के कारण चोर अपने मंसूबे में पूरी तरह सफल नहीं हो सके और ट्रेन से कूदकर फरार हो गए।
चोरी की यह कोशिश उस एसएलआरडी कोच में हुई जिसमें पार्सल सेक्शन के साथ दिव्यांग यात्रियों के लिए जगह होती है।
ज्ञात हो कि पहले भी इस कोच के जरिए चोरी की घटनाएं सामने आई थीं, जिसके बाद रेलवे ने इस प्रकार के कोच को लगाना बंद कर दिया था, लेकिन हाल में फिर से इसे ट्रेनों में शामिल किया गया, जिससे सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
महाराष्ट्र बन रहा है चोरों का बेस
चोरी की इन घटनाओं का गढ़ बनता जा रहा है महाराष्ट्र। आंकड़ों के अनुसार, ज्यादातर घटनाएं महाराष्ट्र के उन स्थानों पर हो रही हैं जहां दो स्टेशनों के बीच लंबा अंतराल होता है। चोर ट्रेन की गति और स्थान का फायदा उठाकर शीट काटते हैं और चोरी को अंजाम देते हैं। चोरी के बाद माल को बाहर फेंक कर ट्रेन से कूद जाते हैं।
जिम्मेदार कौन?
इस मामले में रेलवे का मैकेनिकल विभाग प्रथम दृष्टया दोषी माना जा रहा है, जो ऐसे असुरक्षित कोच लगाता है। वहीं आरपीएफ की सुरक्षा में लापरवाही भी सामने आ रही है। क्षेत्र विशेष में पूर्व में भी घटनाएं हो चुकी हैं, बावजूद इसके सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए।
इतना ही नहीं, ट्रेन गार्ड की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह गाड़ी में हो रही किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर निगरानी रखे। पिछली बार लगातार हो रही चोरी की घटनाओं के चलते पार्सल सेक्टर में राजस्व में भारी गिरावट दर्ज की गई थी, जिससे रेलवे को नुकसान उठाना पड़ा।
2020 से पहले ऐसी तीन दर्जन से अधिक घटनाएं दर्ज की गई थीं, जिनमें चोर पार्सल यान की शीट काटकर अंदर घुस जाते थे और माल की चोरी करते थे। इन्हीं घटनाओं को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने एसएलआरडी कोच लगाने पर रोक लगाई थी, लेकिन अब दोबारा उसी व्यवस्था को लागू किया गया है जिससे पुरानी समस्याएं फिर उभर रही हैं।
नियम के मुताबिक 50 रुपये प्रति किलो भरपाई मिलेगी:
भारतीय रेलवे के 1990 से लागू नियमों की हकीकत है। रेलवे को इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि आपने पार्सल में क्या भेजा बेशकीमती लैपटाप या लोहे के औजार। अगर चोरी हुआ या सामान खो गया, तो नियम कहता है कि वजन के आधार पर ही भरपाई होगी बस 50 रुपये प्रति किलो। पीड़ित व्यापारी को अब वजन के हिसाब से मुआवज़ा मिलेगा यानी हजारों का नुकसान, लेकिन मुआवज़ा सिर्फ कुछ हज़ार।
सामान के चोरी पर सिर्फ इतने की होगी भरपाई
- व्यक्तिगत लगेज खोने पर मुआवजा – 100/किलोग्राम
- सामान्य पार्सल (जैसे बिजनेस कंसाइनमेंट) – ₹50/किलोग्राम
- हाथी – 6000 रुपये प्रति हाथी
- घोड़ा – 3000 रुपये प्रति घोड़ा
- ऊंट, सिंघ वाले जानवर – 800 रुपये प्रति जानवर
- कुत्ते, बकरियां, गधे, सुअर, भेड़, पक्षी – 120 रुपये प्रति

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