Jharkhand Electricity: झारखंड में बिजली टैरिफ की नई रूपरेखा, नियामक आयोग ने जारी किया ड्राफ्ट नियम
झारखंड राज्य विद्युत विनियामक आयोग ने बिजली वितरण टैरिफ निर्धारण के लिए नई नियमावली जारी की है जो 1 अप्रैल 2026 से लागू होगी। इसका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति और वितरण कंपनियों की जवाबदेही बढ़ाना है। नई नियमावली में मल्टी-ईयर टैरिफ फ्रेमवर्क और संग्रहण दक्षता पर जोर दिया गया है। उपभोक्ता हित और बिजली खरीद नियमों को भी सख्त किया गया है।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड राज्य विद्युत विनियामक आयोग (जेएसईआरसी) ने बिजली वितरण टैरिफ निर्धारण के लिए नई नियमावली जारी की है। यह नियमावली एक अप्रैल, 2026 से लागू होगी और 31 मार्च, 2031 तक प्रभावी रहेगी। इसका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति, वितरण कंपनियों की जवाबदेही और दक्षता बढ़ाना है।
नई नियमावली लागू होने पर 2004, 2007, 2010, 2015, 2020 और 2023 की टैरिफ नियमावलियां निरस्त हो जाएंगी। 31 जुलाई 2025 तक पुराने नियम लागू रहेंगे, इसके बाद नई व्यवस्था प्रभावी होगी।
नियमावली में वितरण (व्हीलिंग) और खुदरा आपूर्ति के लिए अलग-अलग एग्रीगेट रेवेन्यू रिक्वायरमेंट (एआरआर) निर्धारित किए गए हैं। वितरण व्यवसाय में ओएंडएम खर्च, ब्याज, मूल्यह्रास और इक्विटी पर रिटर्न शामिल होंगे, जबकि खुदरा आपूर्ति में बिजली खरीद लागत, ट्रांसमिशन चार्ज और उपभोक्ता जमा पर ब्याज जैसी मदें होंगी।
मल्टी-ईयर टैरिफ फ्रेमवर्क, संग्रहण दक्षता का लक्ष्य
आयोग ने 2026-31 को नियंत्रण अवधि घोषित कर मल्टी-ईयर टैरिफ लागू करने का फैसला किया है। वितरण कंपनियों को वार्षिक प्रदर्शन समीक्षा और पारदर्शी टैरिफ निर्धारण करना होगा।
कंपनियों की जवाबदेही के लिए प्रोत्साहन व दंड व्यवस्था लागू होगी। बेहतर प्रदर्शन पर 50% लाभ उपभोक्ताओं को मिलेगा, जबकि खराब प्रदर्शन का पूरा घाटा कंपनियों को वहन करना होगा।
बचत का आधा हिस्सा भी उपभोक्ताओं को मिलेगा। सभी वितरण कंपनियों के लिए 99% से अधिक वसूली दक्षता का लक्ष्य रखा गया है। झारखंड बिजली वितरण निगम के लिए 99% और टाटा स्टील, जुस्को, डीवीसी, सेल-बोकारो के लिए 99.5% का लक्ष्य निर्धारित है।
उपभोक्ता हित और बिजली खरीद नियम
टैरिफ अधिकतम सीमा पर आधारित होगा, लेकिन कंपनियां कम दर पर बिजली दे सकती हैं। बिजली खरीद के लिए सख्त दिशा-निर्देश हैं, जिसमें पावर परचेज एग्रीमेंट के लिए आयोग की मंजूरी और नवीकरणीय ऊर्जा खरीद दायित्व का पालन अनिवार्य है।
कंपनियों को सप्लाई क्वालिटी इंडिकेटर्स के लक्ष्य निर्धारित करने होंगे। 2026-31 के लिए पूंजी निवेश योजना अनिवार्य होगी, जिसमें लोड ग्रोथ और लाइन लास शामिल होगी।
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