ED ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में PLFI सुप्रीमो दिनेश गोप को किया गिरफ्तार, शेल कंपनियों में निवेश का खुलासा
माओवादी संगठन पीएलएफआई के सुप्रीमो दिनेश गोप को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया है। उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। एनआईए ने पहले उसे टेरर फंडिंग मामले में गिरफ्तार किया था। दिनेश गोप पर झारखंड सरकार और एनआईए ने इनाम भी रखा था। ईडी एनआईए की जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई कर रही है।

राज्य ब्यूरो, रांची। केंद्रीय कारा पलामू में बंद माओवादी संगठन पीएलएफआई के सुप्रीमो दिनेश गोप उर्फ दिनेश उर्फ अमरजीत सिंह उर्फ कुलदीप उर्फ बड़कू उर्फ मारंग बाड़ू उर्फ डीजी उर्फ साहेब उर्फ बाबा को अब ईडी ने अपने केस में बुधवार को गिरफ्तार कर लिया। दिनेश गोप को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया है और उसे इस केस में 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
टेरर फंडिंग मामले में एनआईए के हाथों 21 मई 2023 को नेपाल से गिरफ्तारी के बाद से ही दिनेश गोप न्यायिक हिरासत में है। उसपर गिरफ्तारी के पूर्व झारखंड सरकार ने 25 लाख व एनआईए ने पांच लाख रुपये का इनाम रखा था। वर्तमान में वह केंद्रीय कारा पलामू में बंद है।
ईडी ने एनआईए में दर्ज टेरर फंडिंग से संबंधित केस के आधार पर ही पीएमएल अधिनियम के तहत इंफोर्समेंट केस इंफार्मेशन रिपोर्ट (ईसीआईआर) किया था। उसी केस में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी के बाद कोर्ट ने उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा है।
इस केस में ईडी ने जुलाई 2023 में लगातार दो दिनों तक दिनेश गोप से पूछताछ भी की थी। इसके बाद उसके विरुद्ध छानबीन होती रही और अंतत: उसे अपने केस में गिरफ्तार दिखाया।
लेवी-रंगदारी से लेकर पुलिस-प्रशासन, नेताओं के सहयोग तक की जानकारी जुटा रही है ईडी
झारखंड सहित कई राज्यों के लिए कुख्यात रहा दिनेश गोप की पुलिस-प्रशासन, नेताओं आदि से कितना बेहतर संबंध था, ईडी ने इसकी भी जानकारी जुटाई है और अपना अनुसंधान जारी रखा है। अब गिरफ्तारी के बाद उसके लेवी-रंगदारी वसूलने के पूरे तंत्र व उस राशि के निवेश की जानकारी जुटा रही है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की जांच में मिले तथ्यों के आधार पर ही ईडी ने अपनी जांच आगे बढ़ाया है। उसने जांच एजेंसियों को पूछताछ में बताया था कि उसे लेवी में करोड़ों रुपये मिले थे। उसे उसने शेल कंपनियों व व्यवसायियों की मदद से खपाया था।
रांची के बेड़़ो थाने के एक केस में एनआईए ने दिनेश गोप पर 2018 में दर्ज की थी प्राथमिकी
एनआईए ने रांची के बेड़ो थाने के एक केस में 2018 में प्राथमिकी दर्ज की थी। एनआईए की प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने ईसीआइआर किया था। नवंबर 2016 में 500 व 1000 के पुराने नोट बंद करने संबंधित केंद्र सरकार की घोषणा के बाद दिनेश गोप का सहयोगी व्यवसायी पेट्रोल पंप संचालक 25.38 लाख रुपये के पुराने नोट जमा कराने के लिए बेड़ो के एक बैंक में गया था, जहां शक के आधार पर वह पकड़ा गया था।
पूछताछ में उसने स्वीकारा था कि सभी रुपये पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप के हैं। इसके बाद ही बेड़ो थाने में 10 नवंबर 2016 को एक प्राथमिकी दर्ज हुई थी। एनआईए ने उस केस को टेकओवर करते हुए 19 जनवरी 2018 को टेरर फंडिंग मामले में अपने यहां नया केस पंजीकृत किया था।
इस केस में एनआईए ने झारखंड, बंगाल व नई दिल्ली के ठिकानों पर छापेमारी कर 42.79 लाख रुपये नकदी, लैपटाप, मोबाइल और लेवी-रंगदारी के रुपयों के निवेश से संबंधित दस्तावेज जब्त किए थे। इस केस में रांची में इटकी रोड में ब्रिजमीना अपार्टमेंट स्थित दिनेश गोप के फ्लैट व एदलहातू स्थित आवास की पूर्व में जब्ती हुई थी। जब्त अचल संपत्ति की कीमत करीब एक करोड़ रुपये थे। पुलिस ने दिनेश गोप के कुछ स्कूल भी जब्त की थी।
इन शेल कंपनियों में निवेश की थी काली कमाई
दिनेश गोप ने स्वीकार किया है कि उसकी निगरानी में संचालित शेल कंपनियां में उसने लेवी-रंगदारी से उगाही गई काली कमाई को निवेश किया था। इन कंपनियों में मेसर्स भाव्या इंजीकान प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स शिव आदि शक्ति मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स शक्ति समृद्धि इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड, पलक इंटरप्राइजेज ऐसी शेल कंपनियां हैं।
इन कंपनियों का संचालन दिनेश गोप की दोनों पत्नियां शकुंतला देवी व गीता के अलावा सहयोगी सुमंत कुमार ने किया। एनआईए ने दिनेश गोप की पत्नियों के बैंक खाते से 19 लाख 93 हजार 817 रुपये जब्त किए थे। इनके दो दर्जन से अधिक बैंकों के खाते में 2.5 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन का खुलासा हुआ था।
ईडी ने पीएमएल अधिनियम के तहत अनुसंधान में पाया है कि दिनेश गोप संगठित रूप से लेवी-रंगदारी वसूलता था। उसने झारखंड व झारखंड के बाहर के राज्यों में बहुत से ठेकेदार, व्यवसायी, कोयला व्यवसायी, ट्रांसपोर्टर से लेवी व रंगदारी वसूली। इस अपराध से उसने करीब 20 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की।
इस राशि को उसने विधिवत तरीके से अपने नेटवर्क, शेल कंपनियों व अपने फर्म में निवेश किया। ये फर्म उसकी दोनों पत्नियों व सहयोगियों के नाम पर थे।
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