Jharkhand Land Survey: हाई कोर्ट में सरकार ने दी जानकारी, जमीन सर्वे के लिए नई तकनीक का होगा इस्तेमाल
रांची हाई कोर्ट में भूमि सर्वे को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने सरकार को बिहार समेत तीन राज्यों से तकनीक साझा करने को कहा है ताकि सर्वे में तेजी लाई जा सके। सरकार ने बताया कि टीमें तकनीक सीख रही हैं क्योंकि वर्तमान तकनीक पुरानी है जिससे परेशानी हो रही है।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ में राज्य में जमीन सर्वे को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य सरकार को जमीन सर्वे की तकनीक बिहार सहित तीन राज्यों से आदान-प्रदान करने की प्रक्रिया तेज करने कहा है।
अदालत ने कहा कि नई तकनीक के जरिए जमीन सर्वे के काम में तेजी लाने का निर्देश देते हुए अद्यतन जानकारी मांगी है। मामले में अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी।
सुनवाई दौरान सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि जमीन सर्वे के लिए तीन टीम बिहार, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक की तकनीक सीख रही हैं। पिछले दिनों एक टीम आंध्र प्रदेश में हुए कान्फ्रेंस में शामिल होकर तकनीक को अपडेट किए जाने की जानकारी प्राप्त की।
इसके अलावा, दो अन्य टीम बिहार एवं कर्नाटक से जमीन सर्वे की नई तकनीक सीखेगी, जिससे जमीन सर्वे के तकनीक को झारखंड में भी अपग्रेड कर काम में तेजी लाई जाएगी। पिछली सुनवाई में सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि झारखंड में जमीन सर्वे की तकनीक काफी पुरानी है, इसलिए सर्वे करने में परेशानी आ रही है।
इसपर कोर्ट ने भूमि राजस्व सुधार विभाग के प्रधान सचिव को शपथ पत्र दाखिल कर यह बताने को कहा था कि जमीन सर्वे पूरा करने के लिए अमीन सहित अन्य कर्मियों की कब तक नियुक्ति कर ली जाएगी। अदालत ने पूछा था कि सर्वे के लिए पुराने तकनीक को कब तक एडवांस किया जाएगा और जमीन सर्वे कब तक पूरा होगा?
कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी की थी कि सर्वे समय से पूरा होने से आम लोगों की जमीन सहित सरकार के जमीन की सुरक्षा संभव हो पाएगी। तब सरकार की ओर से बताया गया था कि झारखंड में जमीन सर्वे का काम चल रहा है। कुछ जिलों में सर्वे का काम पूरा हो गया है। अमीन के कई पद रिक्त हैं। सर्वे के लिए तकनीकी कर्मचारियों की कमी के कारण सर्वे कार्य पूरा नहीं किया जा सका है।
इस संबंध में प्रार्थी गोकुल चंद की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि वर्ष 1932 में भूमि का सर्वे हुआ था। झारखंड में 1975 से भूमि सर्वेक्षण कार्य प्रारंभ हुआ था, जो अभी तक पूरा नहीं किया जा सका है। सर्वे नहीं होने की वजह से सरकारी और वन भूमि को बेचा जा रहा है।
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