Jharkhand: जेल अधीक्षक में बहाल हुए, उसी पद पर सेवानिवृत्त हो गए; 25 साल में नहीं मिला एक भी प्रमोशन
झारखंड की जेलों में अधिकारियों की पदोन्नति की स्थिति चिंताजनक है। कई जेल अधीक्षक बिना किसी पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो गए हैं जबकि पड़ोसी राज्यों में बेहतर अवसर हैं। नियमावली में सुधार के बावजूद समस्या बनी हुई है। कुछ अधिकारी उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर चुके हैं। 2016 के बाद कई नई नियुक्तियाँ हुई हैं पर पुरानी व्यवस्था अब भी कायम है।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड की जेलों में प्रोन्नति की स्थिति बेहद खराब है। अधिकारी तो यह भी कह रहे हैं कि केवल कैदियों के लिए मानवाधिकार हनन देखा जाता है, जबकि जेलों में तैनात अधिकारियों के मानवाधिकार का भी हनन हो रहा है।
राज्य की जेलों के लिए जेल अधीक्षक के पद पर सीधे बहाल अधिकारी जेल अधीक्षक के बेसिक ग्रेड से ही सेवानिवृत्त होते चले गए, लेकिन उन्हें एक भी प्रोन्नति नहीं मिली, जबकि पड़ोसी राज्य बिहार में जेल अधीक्षक 15 साल में डीआईजी के पद पर प्रोन्नत हो गया। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना व उत्तर प्रदेश में भी समय से प्रोन्नति मिलती चली गई। केवल झारखंड में ही स्थिति बेहद खराब रही।
झारखंड में 2012 में जेल अधीक्षक की नियमावली बनी थी, जिसमें एक प्रोन्नति को अनिवार्य किया गया था, लेकिन बावजूद किसी को प्रोन्नति नहीं मिली। इस वर्ष कैबिनेट से जो नियमावली पारित हुई है, उसके अनुसार जेल अधीक्षक को पूरे नौकरी काल में चार प्रोन्नति मिलनी है।
इसके अनुसार, जेल अधीक्षक के पद पर सीधी बहाल अधिकारी पांच साल में सेंट्रल जेल अधीक्षक, दस साल में सीनियर सेंट्रल जेल अधीक्षक, 15 साल में डीआईजी व 17 साल में एडिशनल आईजी तक प्रोन्नत हो सकता है। पहले नियमत: किसी भी जेल अधीक्षक को बहाली के आठ साल बाद एक प्रोन्नति मिलनी थी, जो झारखंड को छोड़ दूसरे राज्यों में मिलती रही।
ये हैं 10 जेल अधीक्षक जो इसी पद के बेसिक ग्रेड में हो गए सेवानिवृत्त
जो 10 जेल अधीक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं, उनमें अब्राहम मिंज (2008), बालमोहन नायक (2008), पुरुषोत्तम ठाकुर (2010), मधुसुदन हसन (2016), ओलिव ग्रेस कुल्लू (2016), रूपम प्रसाद (2018), दीपक विद्यार्थी (2019), अशोक चौधरी (2020), प्रवीण कुमार (2021) व हामिद अख्तर (2025) शामिल हैं।
जेल अधीक्षक को वरीयता के आधार पर सहायक कारा महानिरीक्षक (एआईजी जेल) के पद पर बैठा तो दिया जाता है, लेकिन उनका पद जेल अधीक्षक का ही होता है और वे उसी बेसिक ग्रेड के अधीन रहते हैं।
प्रोन्नति नहीं मिलने के चलते सहायक कारा महानिरीक्षक हामिद अख्तर ने दो साल पहले ही हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनका याचिका हाई कोर्ट में लंबित है। इसी बीच वे कुछ दिन पहले सेवानिवृत्त हो गए। वर्तमान में एआईजी तुषार रंजन बचे हैं, जो 1993 में संयुक्त बिहार में जेल अधीक्षक के पद पर सीधे बहाल हुए थे। आज भी उसी पद पर हैं।
वर्ष 2016 के बाद 17 जेल अधीक्षक हुए हैं बहाल
वर्ष 2016 से अब तक 17 जेल अधीक्षक के पद पर बहाल हो चुके हैं। कुछ तो प्रोन्नति से भी जेल अधीक्षक तक बने व सेवानिवृत्त भी हुए। इनमें एक कक्षपाल गणेश दास जेल अधीक्षक तक बना था। पहले कक्षपाल प्रोन्नत होकर क्लर्क, क्लर्क से प्रोन्नत होकर सहायक जेलर बनता था। सहायक जेलर से जेलर व जेलर से प्रोन्नत होकर वह जेल अधीक्षक तक बनता था।
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