झारखंड बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष काजल यादव को हटाने का आदेश निरस्त, कोर्ट ने कही ये बात
झारखंड हाई कोर्ट ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष काजल यादव को पद से हटाने के आदेश को रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि सरकार को उन्हें पर्याप्त सुनवाई का अवसर देना चाहिए था। अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि वह काजल यादव को जांच रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध कराए और आठ सप्ताह के भीतर नया आदेश पारित करे।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट से राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष काजल यादव को बड़ी राहत मिली है। जस्टिस आर मुखोपाध्याय और जस्टिस अंबुज नाथ की खंडपीठ ने काजल यादव को उनके पद से हटाने के आदेश को निरस्त कर दिया है।
अदालत ने कहा कि सरकार चाहे तो प्रार्थी का पक्ष सुनते हुए उचित निर्णय ले सकती है। इस संबंध में काजल यादव और आयोग के सदस्य सुनील कुमार वर्मा ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ अपील दाखिल की थी।
सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार और अपराजिता भारद्वाज ने कोर्ट को बताया कि काजल यादव को 28 नवंबर, 2022 को झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। कुछ शिकायतों के आधार पर 12 फरवरी, 2024 को राज्य सरकार ने उन्हें पद से हटा दिया।
बताया गया कि जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया, लेकिन उसकी रिपोर्ट प्रार्थियों को नहीं दी गई। उनके खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई भी नहीं की गई थी। कमेटी के समक्ष उन्हें पक्ष रखने का मौका भी नहीं मिला था। बिना नैसर्गिक न्याय का पालन करते हुए सरकार ने मनमाने तरीके से उन्हें पद से हटा दिया। जिसे निरस्त किया जाए।
इस पर अदालत ने कहा कि काजल यादव को जांच रिपोर्ट की प्रति नहीं दी गई थी और उन्हें पर्याप्त सुनवाई का मौका नहीं मिला, जो नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
कोर्ट ने कहा कि सिर्फ एक शो काज नोटिस जारी करना और जांच समिति के सामने पेश होने का मौका देना पर्याप्त नहीं है।
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह यादव को जांच रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध कराए और नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करते हुए आठ सप्ताह के भीतर नया आदेश पारित कर सकती है।
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