झारखंड का आम हुआ खास, सऊदी अरब तक पहुंचा इसका स्वाद; इस किस्म की मांग ज्यादा
झारखंड सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत लगाए गए फलदार पौधों से किसानों को आमदनी हो रही है। इस साल राज्य में 34500 टन आम का उत्पादन हुआ। पहली बार सऊदी अरब में आम्रपाली आम भेजे गए जिसे वहां खूब पसंद किया गया। सरकार का उद्देश्य पलायन रोकना और आजीविका प्रदान करना है।

मनोज सिंह, रांची। झारखंड सरकार गांवों में किसानों को आजीविका मुहैया कराने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत लगाए गए फलदार पौधों से किसानों को आमदनी होने लगी है। इस साल राज्य में 34,500 टन आम का उत्पादन हुआ है। गुमला और खूंटी में सबसे ज्यादा आम का उत्पादन होता है।
गुमला में इस बार 250 टन आम का उत्पादन हुआ है। यह पहली बार है कि राज्य से आम सऊदी अरब के दो शहरों में भेजे गए हैं। सऊदी अरब के आम महोत्सव में लोगों को यहां का आम्रपाली आम खूब पसंद आया। अगले सीजन में और आम भेजने की तैयारी चल रही है।
सरकार की मंशा राज्य से लोगों का पलायन रोकने और उनकी खाली (परती) जमीन का उपयोग कर उन्हें आजीविका मुहैया कराने की है। इसी उद्देश्य से बिरसा हरित ग्राम योजना भी शुरू की गई थी। अब तक 1.67 लाख परिवार इससे जुड़े हैं, जो मनरेगा के तहत काम करते हैं। सरकार उनकी जमीन पर लगाए गए फलदार पेड़ों की पांच साल तक देखभाल के लिए पैसे भी देती है। राज्य में फिलहाल आम्रपाली, मालदा, मल्लिका, दशहरी और स्वर्णरेखा की खेती बड़ी मात्रा में की जाती है। -
1.45 लाख एकड़ में लगाए गए फलदार पेड़ ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत अब तक राज्य में 1.45 लाख एकड़ में फलदार पेड़ लगाए गए हैं। जिसमें करीब 40 हजार एकड़ में लगाए गए पेड़ों से फल प्राप्त हो रहे हैं।
सरकार गरीब किसानों की जमीन का चयन करती है जहां खेती संभव नहीं है। मनरेगा के तहत उस खेत में पेड़ लगाए जाते हैं। इसके बाद उक्त किसान को मजदूरी और पौधों की सुरक्षा, पानी समेत अन्य कार्यों के लिए मनरेगा के तहत पैसे भी दिए जाते हैं। एक एकड़ में करीब 112 से 108 फलदार पेड़ लगाए जाते हैं, इस पर पांच साल में कुल 4.5 लाख रुपये खर्च होते हैं।
गुमला और खूंटी आम के सबसे ज्यादा उत्पादन वाले राज्य हैं, जबकि साहिबगंज, पाकुड़ और रामगढ़ आम के सबसे ज्यादा उत्पादन वाले राज्य हैं। 50% लाभार्थियों का चयन JSLPS (झारखंड राज्य आजीविका संवर्धन समिति) से किया जाता है। अब तक 1.58 करोड़ फलदार वृक्ष लगाए जा चुके हैं। जिससे राज्य में हरियाली का क्षेत्रफल भी बढ़ा है।
आम्रपाली आम पहली बार सऊदी अरब भेजा
जमशेदपुर के अब्दुल हमीद खान ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार के सहयोग से पहली बार सऊदी अरब के जेद्दा और रियाद शहरों को आम निर्यात किया है। उन्होंने पाकुड़ और पूर्वी सिंहभूम के किसानों से आम खरीदे। केंद्र सरकार के APEDA (कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) के साथ-साथ राज्य की बाजार समिति ने इसमें पूरा सहयोग दिया।
हमीद खान कहते हैं कि सब्जियों के बाद पहली बार आम का निर्यात दूसरे देशों में हो रहा है। क्योंकि वहां ज़्यादातर भारतीय काम करते हैं। ऐसे में उन्हें अपने देश की सब्जियों या फलों से ज़्यादा लगाव होता है। झारखंड में आम और सब्जियों का जैविक उत्पादन होता है, जो सभी मानकों पर खरा उतरते हुए निर्यात के लिए बेहतर हैं।
ऑल सीजन फ्रेश फार्म कंपनी चलाने वाले हामिद खान बताते हैं कि आम खरीदने के बाद, कोलकाता की लैब में उसकी ग्रेडिंग, पैकेजिंग और टेस्टिंग की गई। उसके बाद, उसे कोलकाता से कार्गो प्लेन से सऊदी अरब भेजा गया। जहां एक किलो आम 19.95 रियाल यानी लगभग 460 रुपये में बिका। लगभग 350 किलो आम सऊदी अरब भेजे गए। जिसमें बोर्ड के अध्यक्ष रवींद्र सिंह का भी बड़ा योगदान रहा।
पहली बार आम निर्यात करने की योजना बनाई गई, क्योंकि रांची में रहते हुए, नगड़ी से दुबई तक सब्ज़ियाँ निर्यात की जाती थीं। हामिद की कंपनी के पास निर्यात का लाइसेंस भी है, जिसके ज़रिए सऊदी अरब तक आम भेजे जाते थे।
-अभिषेक आनंद, विपणन सचिव, जमशेदपुर, बाज़ार समिति
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